नीतीश जी इनकी गुहार सुनिए..! 48 हजार किसानों के सामने सिंचाई का संकट, सहायक नहरें विरान
किसान गुलरेज अख्तर और विवेक सिंह का कहना है कि जहां एक या डेढ़ किमी लंबी पइन की सफाई करके खेतों तक पानी पहुंचाया जा सकता था उसकी भी टुकड़े-टुकड़े में स फाई की गई है। उसके कुछ हिस्से छोड़ दिए गए हैं। कनेक्टिविटी का ध्यान नहीं रखा गया। मनियारी- गोखुला बेलवा- साठी सेरहवा- मढिया समेत इन उपवितरणियों से जुड़े करीब 48 हजार किसान लंबे समय से परेशान हैं।
जागरण संवाददाता, नरकटियागंज (पश्चिम चंपारण)। त्रिवेणी नहर से निकलने वाली क्षेत्र की आधा दर्जन उपवितरणियां (सहायक नहरें) खेतों को सिंचित नहीं कर पा रही हैं। करीब एक दशक से इनका लाभ नहीं मिल रहा है। जबकि किसान गेहूं की सिंचाई के लिए परेशान हैं। जिन उपवितरणियों में पानी भी पहुंच रहा है, वह सुदूर खेतों तक नहीं जा पा रहा है, क्योंकि उनसे निकलने वाली पइन सफाई नहीं होने से बेकार हैं। कुछ पइनों की मनरेगा के तहत सफाई भी हुई तो योजनाबद्ध तरीके से उसे पूरा नहीं किया गया जिससे पानी खेतों तक पहुंचना संभव नहीं।
किसान गुलरेज अख्तर और विवेक सिंह का कहना है कि जहां एक या डेढ़ किमी लंबी पइन की सफाई करके खेतों तक पानी पहुंचाया जा सकता था, उसकी भी टुकड़े-टुकड़े में सफाई की गई है। उसके कुछ हिस्से छोड़ दिए गए हैं। कनेक्टिविटी का ध्यान नहीं रखा गया।त्रिवेणी नहर से निकलकर रामनगर क्षेत्र होते हुए नरकटियागंज के सेरहवा पंचायत में प्रवेश कर रही मरहिया राजवाहा उपवितरणी की विभाग द्वारा बीते साल सफाई की गई, लेकिन उससे निकलने वाली पइन को पानी देने के लिए जगह जगह उपवितरणी के मुहाने पर टूटे हुए पाइप और चेंबर की न तो मरम्मत की गई और न ही उसका निर्माण किया गया। किसान सुभाष मिश्रा ने बताया कि कृषि कार्य के लिए विद्युत कनेक्शन देने की गति काफी धीमी है। किसान आवेदन देकर दो दो साल से कनेक्शन के लिए विभाग का चक्कर लगा रहे हैं।
1984 में ध्वस्त हुई गोखुला उपवितरणी
मनियारी- गोखुला, बेलवा- साठी, सेरहवा- मढिया समेत इन उपवितरणियों से जुड़े करीब 48 हजार किसान लंबे समय से परेशान हैं। करीब 40 हजार एकड़ खेतों को पूरी तरह पंपसेट से सिंचाई पर निर्भर है। मरहिया राजवाहा नहर के उपेक्षित रहने से शेरहवा, डकहवा, मुरली, सेमरा, वृतिटोला, सिसवा, लौकरिया, बनवरिया, चतुर्भुजवा आदि गांवों के किसान प्रभावित हैं। वहीं बेलवा साठी नहर से बेलवा, जयमंगलपुर, मढ़िया, धमिनाहा, हरसरी, मुसहरवा, साठी समेत दर्जनाधिक गांव प्रभावित हैं। 1984 में गोखुला उपवितरणी ध्वस्त हो गई। यह उप वितरणी मनियारी से केसरिया, धोबहां, रखहीं, चंपापुर आदि गांव होकर गोखुला तक जाती है। किसान महेंद्र यादव का कहना है कि क्षेत्र में पइन अभी भी उपेक्षित हैं।
ये भी पढ़ें- हजारों शिक्षकों की जा सकती है नौकरी... ई-शिक्षा पोर्टल से खुलेगी सच्चाई, विभाग को बस डेटा अपलोड होने का इंतजारग्रामीण क्षेत्रों में पइन की साफ सफाई कराई जा रही है। जहां जहां विभाग से एनओसी प्राप्त हुआ है। उसे भी योजना में लेकर सफाई कराई जा रही है। उप वितरणियों की सफाई विभाग द्वारा कराई जाती है। शेष पइन सफाई के लिए योजना लेकर कार्य किया जाएगा। - उमेश कुमार सिंह, कार्यक्रम पदाधिकारी, मनरेगा, नरकटियागंज
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