बिहार में लड़कियों के लिए आगे आया शिक्षा विभाग, हर स्कूल में 'सहेली कक्ष' बनाने का सुनाया फरमान; अब पीरियड्स नहीं प्रॉब्लम
लड़कियों को मासिक धर्म के बारे में सही जानकारी देने के लिए बिहार शिक्षा विभाग ने सभी मध्य माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में सहेली कक्ष बनाए जाने का निर्देश दिया है। सहेली कक्ष में शिक्षिका दीदी छात्राओं को सलाह देंगी और उन्हें पीरियड्स के बारे में जागरूक करेंगी। यहां नेपकिन वेंडिंग मशीन भी लगाए जाएंगे और साथ में छात्राओं के आराम करने की भी व्यवस्था होगी।
By Vinod RaoEdited By: Arijita SenUpdated: Tue, 19 Dec 2023 12:51 PM (IST)
जागरण संवाददाता, बगहा। छूत-अछूत की बंदिश में सदियों से बंधे समाज को मासिक धर्म की सही जानकारी बेटियों तक पहुंचाने की जवाबदेही आजतक समझ नहीं आई। नतीजा, लापरवाही के कारण कई बार जानलेवा बीमारियों की चपेट में आने वाली बेटियां किसी को अपनी लाचारी का दोष नहीं दे पातीं। इससे निपटने के लिए शिक्षा विभाग आगे आया है।
हर स्कूल में सहेली कक्ष बनाए जाने का निर्देश
बिहार शिक्षा परियोजना निदेशक बी. कार्तिकेय धनजी ने सभी जिलों को पत्र लिखकर इस जरूरी बिंदु पर ध्यान अंकित कराते हुए निर्देश दिया है कि सभी मध्य, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में सहेली कक्ष की स्थापना की जाए।
बच्चियों को दी जाएगी पीरियड से जुड़ी हर जानकारी
इस कक्ष का निर्माण अध्ययनरत छात्राओं को केंद्र में रखकर किया जाएगा। माहवारी के दौरान स्कूल नहीं जाने की विवशता से उन्हें मुक्ति मिलेगी।कक्षा छह से 12वीं तक के सभी स्कूलों में इस कक्ष की स्थापना की जाएगी। इसका मकसद छात्राओं को न सिर्फ जागरूक करना है, बल्कि उन्हें मासिक धर्म की जरूरी जानकारी भी उपलब्ध कराना है।
स्कूल के एक कमरे को सहेली कक्ष के रूप में विकसित किया जाएगा। नोडल प्रभारी के रूप में विद्यालय की एक शिक्षिका को नामित किया जाएगा। इनकी जवाबदेही सिर्फ कक्ष की देखभाल नहीं, बल्कि बच्चियों को मासिक धर्म से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी देना होगा।
छात्राओं को हेल्थ व मासिक धर्म से लेकर सभी तरह से जागरूक किया जाएगा। यहां पीरियड के दौरान जरूरत पड़ने पर कुछ देर तक छात्राएं आराम करके फिर से क्लास कर सकेंगी।
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हर संबंधित विद्यालय में पूर्व में ही नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाने की मंजूरी विभाग द्वारा दी जा चुकी है। सहेली कक्ष में ही इस मशीन को स्थापित किया जाएगा। यदि क्लास चलने के दौरान किसी लड़की को अचानक पीरियड आ जाए , तो उसे अपनी एक सहेली के साथ इस कक्ष में जाना होगा। जहां उसे हाथों हाथ नैपकिन मिल जाएगी। यहां कुछ देर आराम करने के बाद छात्रा अपनी कक्षा को जारी रख सकेगी।क्यों जरूरी है सहेली कक्ष
सामाजिक अवधारणा कुछ इस तरह की बनी हुई है कि मासिक धर्म की समयावधि को अछूत को दर्जा दे दिया गया है। जबकि वस्तुस्थिति यह है कि इस समय में विशेष सतर्कता और साफ-सफाई की जरूरत पड़ती है।इसके साथ शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों के बारे में भी बच्चियों को जागरूक करना जरूरी होता है, लेकिन इसके ठीक उलट उन पर समाज की पुरानी परंपरा थोप दी जाती है। जिससे न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी वे परेशान हो जाती हैं। विद्यालयों में सहेली कक्ष की स्थापना के साथ नोडल शिक्षिका को जरूरी प्रशिक्षण देकर उन्हें पारंगत किया जाएगा ताकि वे छात्राओं को उचित सलाह व जानकारी दे सकें।यह भी पढ़ें: 'जीत चाहिए तो एक निश्चय और एक नीतीश...' पटना में लगे पोस्टर्स, INDIA की बैठक से पहले PM कैंडिडेट को लेकर बढ़ी सियासी हलचल यह भी पढ़ें: ब्रह्मेश्वर सिंह मुखिया हत्याकांड: स्कॉर्पियो से उतरने के बाद पकड़ लिया हाथ, फिर दाग दीं छह-छह गोलियां; ऐसे रची गई थी हत्या की साजिशसभी प्रधान शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने अपने विद्यालय में सहेली कक्ष की स्थापना कराएं। लड़कियों की एक टीम बनाकर उन्हें जवाबदेही सौंपी जाएगी- पूनम कुमारी, बीईओ, बगहा दो