सोने के आभूषण खरीदने वालों के लिए बड़ी खबर: बिना हॉलमार्क के गहने खरीदे तो लगेगी तगड़ी चपत
सरकार ने एक अप्रैल से सोने के आभूषणों पर हॉलमार्क लगाना अनिवार्य कर दिया है। इससे छोटे आभूषण निर्माताओं की परेशानी बढ़ गई है। इसका कारण यह है कि जिले में आभूषणों पर हॉल मार्क लगाने की कोई सुविधा नहीं है।
जागरण संवाददाता, बेतिया: सरकार ने आभूषण की बिक्री में मनमानी को रोकने के लिए एक अप्रैल से हॉलमार्क लगे गहनों की ही बिक्री का निर्णय लिया है। इसके तहत सभी आभूषण दुकानदारों को हॉलमार्क गहनों बेचने का आदेश जारी किया है।
सरकार ने दुकानदार को पुराने गहनों को हटाने का दिया निर्देश
इस आदेश में दुकानदारों को सभी पुराने आभूषणों को दुकान से हटाने का निर्देश दिया है। गुरुवार को इस आदेश के आलोक में प्रशासन द्वारा दुकानों की पड़ताल की गई। इसमें नगर के बड़े दुकानों पर यह सुविधा आरंभ कर दी गई है।
छोटे दुकान जो प्रखंड या बाजारों में संचालित हो रही हैं, वैसे दुकानों में अभी इस तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं है। हालांकि दुकानदारों का कहना है कि वे लोग भी एक अप्रैल से इस कानून को लागू करेंगे।
हॉलमार्क की सुविधा न होने से ज्वैलर्स की बढ़ी परेशानी
सरकार ने एक अप्रैल से सोने के आभूषणों पर हॉलमार्क लगाना अनिवार्य कर दिया है। इससे छोटे आभूषण निर्माताओं की परेशानी बढ़ गई है। इसका कारण यह है कि जिले में आभूषणों पर हॉल मार्क लगाने की कोई सुविधा नहीं है।
छोटे स्तर पर आभूषण निर्माण का काम करने वाले व्यवसायी समझ नहीं पा रहे की अब वे क्या करें। आभूषणों पर हॉलमार्क लगवाने के लिए उन्हें पटना, गोरखपुर, बनारस या दिल्ली जाना पड़ेगा।
ज्वैलर्स बोले, हॉलमार्क काफी खर्चीला
आभूषण निर्माता पपन सोनार, अभिषेक सर्राफ ने बताया कि पहले दो ग्राम से कम के आभूषणों पर हॉलमार्क की अनिवार्यता नहीं थी लेकिन नए नियम के बाद सोने के हर आभूषण पर हॉलमार्क लगवाना पड़ेगा। हॉलमार्क लगवाने के लिए उन्हें लंबा सफर करना पड़ेगा, जिसमें काफी खर्च होगा।
ज्वैलर्स का कहना है कि सरकार को जिला व प्रखंड मुख्यालयों में हॉल मार्क लगवाने की सुविधा देनी चाहिए। यह सुविधा हो जाने के बाद ही इसकी अनिवार्यता की जानी चाहिए।
बड़े व्यवसायियों पर नहीं पड़ेगा असर
हॉलमार्क के नियम पर क्या बोले ज्वैलर्स
चोरी-छिपे चल रहा हॉलमार्क लगाने का खेल
क्या कहते हैं जानकार
जानकार बताते हैं कि पूर्व के गहनों पर हॉलमार्क नहीं है। ऐसे में ऐसे गहनों को दोबारा गलाते हुए बनाना पड़ेगा। अगर नहीं बनाते है तो ग्रामीण क्षेत्र में लोग कम पढे़ लिखे है। वहां के लोग इससे ठगी का भी शिकार हो सकते है।
अब ऐसे में सरकार को टीम गठित करते छापेमारी अभियान चलाकर जांच भी करना चाहिए कि कौन से आभूषण दुकानदार उनके आदेशों को पालन कर रहे है।