सोने के आभूषण खरीदने वालों के लिए बड़ी खबर: बिना हॉलमार्क के गहने खरीदे तो लगेगी तगड़ी चपत
सरकार ने एक अप्रैल से सोने के आभूषणों पर हॉलमार्क लगाना अनिवार्य कर दिया है। इससे छोटे आभूषण निर्माताओं की परेशानी बढ़ गई है। इसका कारण यह है कि जिले में आभूषणों पर हॉल मार्क लगाने की कोई सुविधा नहीं है।
By Manoj MishraEdited By: Mohit TripathiUpdated: Thu, 30 Mar 2023 08:26 PM (IST)
जागरण संवाददाता, बेतिया: सरकार ने आभूषण की बिक्री में मनमानी को रोकने के लिए एक अप्रैल से हॉलमार्क लगे गहनों की ही बिक्री का निर्णय लिया है। इसके तहत सभी आभूषण दुकानदारों को हॉलमार्क गहनों बेचने का आदेश जारी किया है।
सरकार ने दुकानदार को पुराने गहनों को हटाने का दिया निर्देश
इस आदेश में दुकानदारों को सभी पुराने आभूषणों को दुकान से हटाने का निर्देश दिया है। गुरुवार को इस आदेश के आलोक में प्रशासन द्वारा दुकानों की पड़ताल की गई। इसमें नगर के बड़े दुकानों पर यह सुविधा आरंभ कर दी गई है।
छोटे दुकान जो प्रखंड या बाजारों में संचालित हो रही हैं, वैसे दुकानों में अभी इस तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं है। हालांकि दुकानदारों का कहना है कि वे लोग भी एक अप्रैल से इस कानून को लागू करेंगे।
हॉलमार्क की सुविधा न होने से ज्वैलर्स की बढ़ी परेशानी
सरकार ने एक अप्रैल से सोने के आभूषणों पर हॉलमार्क लगाना अनिवार्य कर दिया है। इससे छोटे आभूषण निर्माताओं की परेशानी बढ़ गई है। इसका कारण यह है कि जिले में आभूषणों पर हॉल मार्क लगाने की कोई सुविधा नहीं है।
छोटे स्तर पर आभूषण निर्माण का काम करने वाले व्यवसायी समझ नहीं पा रहे की अब वे क्या करें। आभूषणों पर हॉलमार्क लगवाने के लिए उन्हें पटना, गोरखपुर, बनारस या दिल्ली जाना पड़ेगा।
ज्वैलर्स बोले, हॉलमार्क काफी खर्चीला
आभूषण निर्माता पपन सोनार, अभिषेक सर्राफ ने बताया कि पहले दो ग्राम से कम के आभूषणों पर हॉलमार्क की अनिवार्यता नहीं थी लेकिन नए नियम के बाद सोने के हर आभूषण पर हॉलमार्क लगवाना पड़ेगा। हॉलमार्क लगवाने के लिए उन्हें लंबा सफर करना पड़ेगा, जिसमें काफी खर्च होगा।
ज्वैलर्स का कहना है कि सरकार को जिला व प्रखंड मुख्यालयों में हॉल मार्क लगवाने की सुविधा देनी चाहिए। यह सुविधा हो जाने के बाद ही इसकी अनिवार्यता की जानी चाहिए।
सरकार के नए नियम का असर सोने चांदी के बड़े व्यवसायियों पर नहीं पड़ेगा। बताया जाता है कि जिले में आभूषणों के बड़े व्यवसायी सोने के अधिकतर आभूषण बाहर से मंगाते हैं, जिस पर हॉल मार्क लगा रहता है।
इन पर इस नियम का असर नहीं पड़ेगा। लेकिन छोटे स्तर पर सोने का काम करने वाले व्यवसायियों की परेशानी बढ़नी तय मानी जा रही है।
हजारीमल धर्मशाला के अप्सरा ज्वेलर्स के मालिक अमरनाथ ने बताया कि वे हॉलमार्क लगे आभूषण की ही बिक्री करते हैं। हॉलमार्क लगाने की यहां सुविधा नहीं है। जरूरत पड़ने पर बड़े शहरों में जाकर आभूषणों पर हॉलमार्क लगवाया जाता है।
स्वर्ण व्यवसायियों ने बताया कि जिले में आम दिनों में प्रतिदिन पांच से छह करोड़ रुपये के आभूषणों की बिक्री होती है। जबकि लग्न के दिनों में यह ग्राफ 10 करोड़ से पार कर जाता है।
कुछ स्वर्ण व्यवसायियों ने बताया कि बेतिया में हॉलमार्क लगाने की अधिकृत संस्था नहीं है। लेकिन एक दो जगहों पर चोरी-छिपे हॉलमार्क लगाने का खेल चल रहा है। प्रशासन की इस पर नजर नहीं है।
इस कारण उपभोक्ता तो ठगे ही जा रहे हैं और साफ-सुथरे ढंग से काम करने वाले व्यवसायियों को भी इससे नुकसान हो रहा है।
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