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प्रखंड पर्यटन दर्शनीय बिहार: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में प्राकृतिक सौंदर्य के साथ देखें वन्यजीवों का संसार

Bihar Tourist Places बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) केवल बाघ ही नहीं बल्कि तेंदुआ और भालू समेत अन्य जंगली जानवरों का भी घर है। यहां पर्यटक जंगल सफारी का आनंद लेने के लिए आते हैं। सैलानियों को यहां जंगल का प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ गंडक नदी और वन्य क्षेत्र की खूबसूरती खासा आकर्षित करती है।

By Vinod Rao Edited By: Yogesh Sahu Updated: Tue, 17 Sep 2024 06:10 PM (IST)
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Bihar Tourist Place: वीटीआर का मुख्य द्वार और वन में मौजूद हिरण।
विनोद राव, बगहा (पश्चिम चंपारण)। दूर-दूर तक घने जंगल और उसमें विचरण करते बाघ, तेंदुआ, बंदर, लंगूर, हिरण, सांभर, भालू, हाथी, मोर व गौर के अलावा अन्य जीव-जंतुओं को देखना है तो आइए पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर)।

बिहार के इस इकलौते टाइगर रिजर्व में प्रकृति ने अपनी सुंदरता बिखेर रखी है। यहां जंगली जानवरों के अलावा सिर्फ हरे-भरे जंगल का ही प्राकृतिक सौंदर्य नहीं है, नेपाल से निकली नदियां भी लुभाती हैं। यहां से हिमालय पर्वत शृंखला का दीदार भी कर सकते हैं।

अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं और उसकी सुंदरता को अपने दिलोदिमाग में कैद करना चाहते हैं तो बगहा दो प्रखंड स्थित वीटीआर जरूर आएं।

जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित वीटीआर लगभग 900 वर्ग किलोमीटर में फैला है। जंगल का 530 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र व्याघ्र परियोजना के लिए आरक्षित है।

इसकी सीमा पर ढाई सौ गांव एवं मध्य में 26 गांव बसे हैं। गंडक नदी के शांत पानी में पहाड़ का प्रतिबिंब मन को मोह लेता है। 15 अक्टूबर से 15 जून तक यहां पर्यटन सत्र चलता है।

जहां बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश के साथ नेपाल और अन्य देशों के पर्यटक समय-समय आते हैं। हर साल करीब एक लाख देशी-विदेशी पर्यटक सैर को आते हैं।

यहां जंगल सफारी करते हुए बाघों का दीदार कर सकेंगे। रास्ते में घास और झुरमुटों के बीच से झांकते वन्य जीवों को देखने का रोमांच आपके सफर को यादगार बना देंगे।

गंडक नदी वन्य क्षेत्र की हरियाली और खूबसूरती में इजाफा करती है। बाघ को चंद कदमों की दूरी पर देखने का एहसास बेहद खास होता है।

विलुप्त प्रजातियों के होंगे दीदार

वीटीआर में 11 विलुप्त प्रजातियों के जीव जैसे क्लाउडेड लेपर्ड, सफेद कान वाला रात का बगुला, चार सिंगों वाला मृग, बकरी-मृग, बर्मीज अजगर, भारतीय भेड़िए, नेवला, चित्तीदार बिल्ली, होरी-बेलिड गिलहरी, येलो थ्रोटेड मार्टेन, हिमालयन सीरो आदि को देखने का अवसर मिलेगा। गंडक नदी में घड़ियाल भी देख सकेंगे।

ईको पार्क व बोटिंग की सुविधा

चारों तरफ फैली हरियाली की चादर के बीच रंग-बिरंगे फूलों से सजा ईको पार्क देख लगता है जन्नत की सैर पर हों। पक्षियों का कलरव जंगल का शांत वातावरण इन सब के बीच नदी में बोटिंग का आनंद मन को सुकून देंगे।

पर्यटक इस पूरे वन्य क्षेत्र का अच्छी तरह से दीदार कर सकें और उन्हें वन्य प्राणियों के बारे में जानकारी मिले, इसके लिए वीटीआर में नेचर गाइड प्रत्येक पंजीकृत जिप्सी के साथ ले जाने की सुविधा है। टावर के जरिए वन क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों का दीदार कर सकेंगे।

जंगल के बीच मंदिरों के दर्शन

वाल्मीकिनगर घूमने वाले पर्यटक गंडक बराज पर जाना नहीं भूलते। गंडक नदी के ऊपर 36 पिलर पर बना पुल पर्यटकों को आकर्षित करता है।

पर्यटक इसी बराज से होकर पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित नेपाल के त्रिवेणी धाम भी जाते हैं। महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि वाल्मीकिनगर नेपाल में पड़ता है।

वीटीआर के सघन वन क्षेत्र में स्थित नरदेवी व मदनपुर देवी माता का मंदिर आस्था का केंद्र है। यहां उत्तर प्रदेश एवं नेपाल के बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।

बंबू व ट्री हट में ठहरने का रोमांच

अगर आप यहां ठहरना चाहते हैं तो वन क्षेत्र में गेस्ट हाउस व ईको हट की व्यवस्था है। होटल, जंगल कैंप परिसर में बने बंबू हट, फोर फ्लैट के अलावा वाल्मीकिनगर, गनौली, नौरंगिया, गोवर्धना, मदनपुर, दोन व मंगुराहा आदि जगहों पर वन विभाग के रेस्ट हाउस बने हैं। यहां ट्री और बंबू हट भी हैं।

वीटीआर के सभी होटलों की आनलाइन बुकिंग होती है। इसके अलावा वाल्मीकिनगर में आधा दर्जन रिसार्ट व एक दर्जन से अधिक अत्याधुनिक प्राइवेट होटल हैं, जो एक से दो हजार तक में उपलब्ध हो जाएंगे। 120 करोड़ की लागत से बने कन्वेंशन सेंटर में भी रहने की बेहतर सुविधा मिलेगी। यहां 102 वीआइपी रूम बनाए गए हैं।

वीटीआर में हिरण।

आनंदी भूंजा का स्वाद

वीटीआर आने वाले पर्यटकों का आनंदी भूंजा से स्वागत किया जाता है। मछली के साथ भूंजा का पारंपरिक स्वाद लेने का मौका मिलेगा। ईको विकास समिति की ओर से जंगल के समीप एक रेस्टोरेंट भी है, जहां शाकाहार और मांसाहारी भोजन उपलब्ध है।

ऐसे पहुंचें

बगहा रेलवे स्टेशन से वाल्मीकिनगर की दूरी लगभग 45 किलोमीटर है। आधा दर्जन बसें पटना से चलती हैं। बगहा अनुमंडल मुख्यालय पर ट्रेन से उतरकर पर्यटक प्राइवेट गाड़ी से यहां पहुंच सकते हैं।

वीटीआर में पर्यटन के विकास के लिए लगातार काम किया जा रहा है। पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। जंगल सफारी से लेकर होटल में ठहरने के बेहतर प्रबंध हैं। अच्छी सुविधाएं मिलने की वजह से विदेशी पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है। -नेशामणि, क्षेत्र निदेशक, वीटीआर

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