चचरी पुल पर रेंग रही जिंदगी
जिले के लौरिया प्रखंड स्थित बूढ़ी गंडक का जवाहिरपुर घाट पार करने में आज भी लोगों को दुर्गति झेलनी पड़ रही है।
बेतिया । जिले के लौरिया प्रखंड स्थित बूढ़ी गंडक का जवाहिरपुर घाट पार करने में आज भी लोगों को दुर्गति झेलनी पड़ रही है। इस मार्ग को साठी-परसा मार्ग भी कहा जाता है। यह दो ऐतिहासिक स्थलों को जोड़ता है। कालांतर में साठी कोठी को शनिचरी कोठी से जोड़ने के लिए अंग्रेज अफसर मि.सी. स्टील व मि. कैनिग ने संयुक्त रूप से उक्त सड़क का निर्माण कराया, लेकिन जवाहिरपुरघाट के पास बूढी गंडक को पार करने के लिए अंग्रेज अफसर नाव का प्रयोग करते थे। देश को आजाद हुए सात दशक पूरा हो रहे हैं। इतने सालों में सरकार की ओर से कई योजनाओं की आधारशिला रखी गई। एक के बाद एक मुख्यमंत्री सेतु योजना से सूबे में पुलों का निर्माण कराया गया, लेकिन कई बार आंदोलन करने के बाद यहां की जनता को शासन प्रशासन की ओर से महज आश्वासन की घुट्टी पिलाकर शांत करा दिया गया। इस संदर्भ में राम प्रसौना गांव निवासी सिपाही चौधरी, मुशहरी गांव निवासी अवकाश प्राप्त शिक्षक अदालत हजरा, सत्यनारायण तिवारी, अधिवक्ता भुदेव मिश्रा, धोबनी गांव निवासी मोहम्मद फारूक ने बताया कि दर्जनों पंचायत के लोगों को प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए जान जोखिम मे डालना पड़ता है। कई बार जनता ने आंदोलन किया, नतीजा सिफर रहा। बरसात के दिनों में लोगों को नाव के सहारे पार जाना पड़ता है। बरसात बीतने के बाद चचरी पुल का ही सहारा नदी को पार किया जाता है।