डीजल ने घटाई किसान के पसीने की कीमत
जिले में खरीफ फसल की मुख्य धान की खेती शुरू हो गई है।
बेतिया। जिले में खरीफ फसल की मुख्य धान की खेती शुरू हो गई है। अधिकांश किसानों धान की रोपनी भी पूरी कर ली है। लेकिन जिन किसानों ने रोपनी की है, उन्हें सिचाई का खर्च काफी अधिक बढ़ गया है। यह इसलिए हुआ है कि वर्तमान परि²श्य मे डीजल की कीमत बढ़ती जा रही है। एक पखवारे में डीजल की कीमत 67 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 77 रुपये 65 पैसे तक पहुंच गई है। डीजल की बढ़ी कीमत का सीधा असर उन किसानों पर पड़ रहा है, जिन्होंने अब तक धान की रोपनी नहीं की है। हालांकि मानसून की बेहतर स्थिति उनकी परेशानी जरूर घटाई है, लेकिन रोपनी करने के लिए बढ़ी संख्या में किसानों को अलग से भी सिचाई जल देना पड़ रहा है। योगापट्टी के किसान पप्पू रान ने बताया कि बहरहाल यूरिया की कीम प्रति बोरी दस रुपये बढ़ गई है। इस समय किसानों को यूरिया खाद की ज्यादा आवश्यकता होती है, लेकिन यूरिया की बढ़ा मूल्य किसानों को परेशानी में डाल रहा है। उन्होने धान की रोपनी के लिए पंपसेट का सहारा लिया है। इसमें डीजल के मूल्य बढ़ने से उन्हें अधिक परेशानी हुई है। बेतिया मुफस्सिल के किसान झुनकू सिह के अनुसार एक ओर कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन ने किसानों की भी कमर तोड़ रखी है। दूसरी ओर किसानों करने में इनपुट की महंगाई कोढ़ में खाज का काम कर रहा है। इस समय 320 रुपये प्रति बोरी यूरिया बाजार में उपलब्ध है। जबकि एक पखवारे पहले यह दर 310 रुपये ही था। हालांकि अन्य उर्वरकों पर इसका असर नहीं पड़ा है। डीएपी, जिक, फोराटैक्स की कीमत अभी नहीं बढ़ी है। डीएपी अभी 1200 रुपये प्रति कोरी बिक रही है। डीएपी का मूल्य एक माह पहले भी इतना ही था। नौतन के गुप्ता खाद बीज भंडार के प्रोपराइटर कमेश्वर प्रसाद गुप्ता की माने, तो यूरिया को छोड़कर किसी भी उर्वरक की मूल्य नही बढ़ा है। हालांकि कुछ इनपुट में महंगाई का असर धान के उत्पादन पर जरूर पड़ेगा। यदि सरकार समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाती है, तो इसका प्रतिकूल असर किसानों पर पड़ेगा।