पश्चिम चंपारण में वीटीआर के जंगल में घुसा गंडक नदी पानी, बराज के 36 फाटक उठाए गए
West Champaran News गंडक नदी से तीन लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज कई एकड़ फसल को नुकसान। नदी के जलस्तर में वृद्धि से एसएसबी के झंडुवा टोला कैंप के समीप पहुंचा पानी। वीटीआर के आस-पास के गांव के लोगों में दहशत का माहौल।
By Jagran NewsEdited By: Dharmendra Kumar SinghUpdated: Thu, 06 Oct 2022 05:03 PM (IST)
बगहा (पचं), जासं। नेपाल में लगातार हो रही बारिश से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। गंडक नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। गुरुवार की दोपहर दो बजे वाल्मीकिनगर गंडक बराज से लगभग तीन लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया। बढ़ते जलस्तर को देखते हुए बराज के सभी 36 फाटक उठा दिए गए। हालांकि गंडक नदी अभी खतरे के निशान के नीचे बह रही है। ऐसी ही बारिश होती रही तो उम्मीद है कि जलस्तर चार लाख क्यूसेक के पार हो जाए।
नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी के बाद सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के सोहगीबरवा समेत कई गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। सीमावर्ती नेपाल के पहाड़ों का पानी मैदानी इलाकों में मुसीबत बढ़ा रहा है। लगातार हो रही बारिश को देख सतर्कता बढ़ा दी गई है। गंडक बराज नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। गंडक नदी के जलस्तर में वृद्धि से एसएसबी के झंडहवा टोला स्थित कैंप के समीप बाढ़ का पानी पहुंच गया है। बाढ़ का पानी कुछ गांवों में फैलने से जनजीवन अस्त व्यस्त हो चला है। वीटीआर के जंगल में पानी घुसने के कारण वन्य जीव ऊंचे स्थानों की ओर पलायन करने लगे हैं। सैकड़ों एकड़ में लगी फसलें भी डूब गई है।
वीटीआर का बढ़ा हिस्सा पानी की चपेट में
गंडक नदी का जलस्तर में वृद्धि के बाद नदी का पानी निचले इलाकों में प्रवेश करने लगा है। नेपाल से मिली जानकारी के मुताबिक 24 घंटे में जलस्तर में कमी की कोई संभावना नहीं है।नेपाल में बारिश से इन दिनों गंडक नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया है। वहीं पहाड़ी नाला का बहाव भी उफान पर है। जंगल में बाढ़ के चलते स्थिति यह बन गई कि वनकर्मियों को पेट्रोलिंग में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। गंडक नदी का पानी वीटीआर के चुलभट्ठा, भेड़िहारी ,मदनपुर आदि इलाके में भरने लगा है। हर साल आने वाली बाढ़ से वन और वन्यजीवों को भारी नुकसान हो रहा है। वीटीआर का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में आने लगा है। बाढ़ के चलते वन्यजीवों के आवास और चारे की समस्या भी पैदा हो गई है। वन्यजीव सुरक्षित स्थानों पर पलायन के प्रयास में शिकारियों के निशाने पर आ सकते हैं। इससे वन संपदा को काफी नुकसान हो रहा है।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।