बिहार से दिख रहा हिमालय; लोग इस जगह को कहते हैं 'कश्मीर', गुलाबी ठंड में घर बैठे हो रहा सुंदर नजारे का दीदार
Himalaya visible from Bihar गुलाबी ठंड के आगाज के साथ वाल्मीकिनगर में कुछ ऐसा दिखा कि सभी लोग रोमांचित हो गए। वाल्मीकिनगर वासियों को घर बैठे हिमालय पर्वत का दीदार हो रहा है। यहां कि हवा इतनी ज्यादा साफ है कि उन्हें अपने घरों की छत से ही हिमालय की वादियां नजर आ रही हैं। शानदार नजारा लोगों को दिख रहा है वो यहां से सैकड़ो किलोमीटर दूर का है।
संवाद सूत्र, वाल्मीकिनगर। गुलाबी ठंड के आगाज के साथ वाल्मीकिनगर में कुछ ऐसा दिखा कि सभी लोग रोमांचित हो गए। वाल्मीकिनगर वासियों को घर बैठे हिमालय पर्वत का दीदार हो रहा है।
यहां कि हवा इतनी ज्यादा साफ है कि उन्हें अपने घरों की छत से ही हिमालय की वादियां नजर आ रही हैं। शानदार नजारा लोगों को दिख रहा है वो यहां से सैकड़ो किलोमीटर दूर का है। यह प्रकृति की खूबसूरती है।
सीमावर्ती नेपाल के शिवालिक पर्वत श्रृंखला को बाह्य हिमालय भी कहा जाता है। इसी के ओट से हिमालय का दीदार अक्सर ठंड के मौसम में होता है।
सैलानियों को लुभा रही वीटीआर की हसीन वादियां
गुलाबी ठंड की शुरूआत होते ही वीटीआर की सुरम्य वादियां सैलानियों को लुभा रही हैं। यहां सैलानियों का आना जारी है।
नेपाल की पहाड़ियों से निकलकर वाल्मीकि नगर के मैदानी इलाके में कल-कल कर बहने वाली गंडक नदी में फिलहाल पानी के अभाव के कारण नौका विहार बंद है। पक्षियों का कलरव, खुले जंगल में भ्रमण के दौरान बाघ व अन्य वन्य जीवों का दीदार सैलानियों के लिए अत्यन्त रोमांचकारी दृश्य होता है।
इंडो-नेपाल बार्डर पर स्थित वीटीआर में बाघों की दहाड़, जंगल में वृक्षों की शाखाओं पर आराम फर्माते तेंदुए, कुलाचें भरते हिरणों का झुण्ड, लम्बे थूथन से वन भूमि खोदते जंगली सुअर, वृक्षों की डालों पर झूलते बन्दर व लंगूरों का अवलोकन करने से नैसर्गिक अनुभूति होती है।
शीतकाल में प्रवासी तथा अप्रवासी जलीय पक्षियों का आगमन गंडक बराज के जलाशय में होने वाला है, जिससे वीटीआर की सुन्दरता में इन दिनों चार चाँद लग जाते हैं।
लगभग 900 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले जैव विविधता एवं बाघों के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध इस वीटीआर को वर्ष 1994 मेंं इसे प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया था। सैलानी वीटीआर की हसीन वादियों का लुत्फ़ उठा रहे हैं।
इन दिनों वाल्मीकि नगर का मौसम सुहावना है। वाल्मीकि नगर से हिमालय पर्वत श्रृंखला का दीदार पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रही है। आने वाले दिनों में पर्यटकों की संख्या में और अधिक इजाफा होने की उम्मीद है।
गंडक नदी की खूबसूरती पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। मनोरम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण, ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक स्थलों से अपने आप को समेटे वाल्मीकि नगर हर वक्त पर्यटकों के स्वागत के लिए तैयार है। यहां न केवल पर्यटकों को हर मोड़ पर प्रकृति की प्राकृतिक रचना के दीदार होते हैं।
सफारी रूट 30 किलोमीटर लंबा रास्ता घने जंगलों से गुजरता है। इसमें पर्यटकों को करीब दो घंटे का वक्त लगता है। इस रास्ते पर बाघ, तेन्दुआ, भालू ज्यादा दिखाई देता है। इस मार्ग पर पर्यटक प्राकृतिक नजारे के साथ ही जंगली जानवरों काे देख सकते हैं।
पर्यटक इस मार्ग से जटाशंकर चेक नाका से प्रवेश कर गोनोली चेक नाका होते हुए दरूआवारी नाका, मोटर अड्डा ग्रासलैंड के रास्ते, भालू थापा पार कर, जटाशंकर धाम मंदिर होते हुए वापस जंगल कैम्प पहुंचता है। पर्यटकों को टाइगर रिजर्व का ईको पर्यटन आकर्षित कर रहा है। पर्यटक जंगल सफारी से सैर कर जंगल की प्राकृतिक सुंदरता और वन्यजीव देखकर लुफ्त उठा रहे हैं।
वीटीआर में धीरे-धीरे पर्यटकों की पहली पसंद बनता जा रहा है। ठंड के मौसम में स्थानीय और बाहरी पर्यटकों का तांता लग रहा है। प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में पर्यटक गंडक बराज को देखने आते हैं।
गंडक नदी केचमेंट क्षेत्र में सैकड़ों मगरमच्छ एवं घड़ियालो का डेरा है। सर्दीयो के मौसम में गंडक नदी के तट पर दर्जनों मगरमच्छ एवं विदेशी मेहमान परिन्दो को देखा जा सकता है। यहां की प्राकृतिक सौंदर्य एवं जैव विविधता अतुलनीय है।
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