बिहार के इस गांव में इलाज के नाम ईसाई मिशनरियां धड़ल्ले से करा रहीं मतांतरण, 6 माह में दर्जनभर लोगों की गई जान
पश्चिमी चंपारण के दहवा प्रखंड मुख्यालय से महज डेढ़ किलोमीटर दूरी गोबरहिया गांव में ईसाई मिशनरी की प्रार्थना सभा में बीमारी का इलाज कराने आए बुजुर्ग की मौत हो गई। ग्रामीणों की मानें तो पिछले छह महीने में ईसाई मिशनी की प्रार्थना सभा में इलाज कराने आए लगभग एक दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है। मतातंरण के इस खेल में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया जाता है।
पश्चिमी चंपारण, संवाद सूत्र: पश्चिमी चंपारण के दहवा प्रखंड मुख्यालय से महज डेढ़ किलोमीटर दूरी गोबरहिया गांव में ईसाई मिशनरी की प्रार्थना सभा में बीमारी का इलाज कराने आए एक बुजुर्ग की मौत हो गई। वृद्ध की पहचान गोपालगंज के बबन सिंह के रूप में हुई है।
ग्रामीणों की मानें तो पिछले छह महीने में ईसाई मिशनी की प्रार्थना सभा में इलाज कराने आए लगभग एक दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है। मतातंरण के इस खेल में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया जाता है। इलाज के लिए मिशनरियों के पास आने वाले कई मरीज गंभीर बीमारी से ग्रस्त होते हैं। उनके स्वास्थ्य का ध्यान न देते हुए कड़कती धूप और उमस में जबरन प्रार्थना सभाओं में शामिल कराया जाता है। इस दौरान कई मरीजों की हालत बद से बदतर हो जाती है। इन्हीं में कई लोगों की अबतक जान जा चुकी है।
गंभीर बीमारियों को ठीक करने के नाम पर मिशनरियों द्वारा गरीब और अनपढ़ ग्रामीणों का मतांतरण करने का खेल किया जाता है। मतांतरण में यूपी के कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, गोरखपुर सहित बिहार के गोपालगंज, सिवान, छपरा, पश्चिमी चंपारण जिले के लोग शामिल होते है।
प्रार्थना सभा सप्ताह में दो दिन गुरुवार और रविवार को लगाया जाता है। भीषण गर्मी और तपती धूप से बचने की व्यवस्था नहीं होने के कारण उस व्यक्ति की मौत हुई है। अगर झाड़-फूंक की जगह पर समय से किसी डॉक्टर से इलाज कराया गया होता तो, उसकी जान बच सकती थी।
अक्सर इस प्रार्थना सभा में समय से इलाज नहीं मिलने के जगह झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ कर लोग अपनी जान गवा दे रहे हैं। प्रशासन भी करवाई के बदले इनको शह दे रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अन्य किसी समुदाय को कोई पर्व या त्योहार मनाने के लिए अनुमंडल से लेकर थाना स्तर तक लाइसेंस के साथ परमिशन लेना पड़ता है। जबकि दस हजार की संख्या में जुट रही भीड़ के लिए किसी अनुमति की जरूरत नहीं है।
ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते स्थानीय प्रशासन के साथ जिला प्रशासन इस पर कानूनी कार्रवाई नहीं करता है, तो समाज और देश के लिए घातक साबित होगा। गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को तब तक प्रार्थना सभा में शामिल किया जाता है, जब तक वह अपने धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म को मानने न लगे। इनका जाल थाना क्षेत्र के अन्य गांव से भी जुड़ा हुआ है, जहां पर इस तरह का आयोजन किया जाता है। लेकिन पुलिस प्रशासन इनके प्रति मौन धारण की हुई है।