International Tiger Day 2024: शिकार पर अंकुश और अधिवास प्रबंधन से VTR में बढ़ रहे बाघ, 50 के पार पहुंची संख्या
पश्चिम चंपारण के वीटीआर में बेहतर अधिवास प्रबंधन और शिकार पर अंकुश लगाए जाने के बाद बाघों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। 2022 की गणना में यहां 54 बाघ पाए गए जबकि लगातार बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। बाघों की संख्या में बढ़ोतरी के पीछे प्रमुख कारण घास के मैदान का विस्तार और शाकाहारी जानवरों की वृद्धि है।
शशि कुमार मिश्र, बेतिया। पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में बेहतर अधिवास प्रबंधन और शिकार पर अंकुश लगाए जाने के बाद बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2022 की गणना में यहां 54 बाघ पाए गए हैं, जबकि लगातार बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।
बाघों को मंगुराहां का जंगल खूब पसंद आ रहा है। केवल इसी प्रक्षेत्र में 12 से 14 बाघ हैं। अनुकूल वातावरण को लेकर आज ट्रैप कैमरे में एक बाघिन तीन-तीन शवकों के साथ घूमते दिख रही है, जबकि पहले एक बाघिन मात्र एक या दो शवक जनती थी।
बाघों की संख्या में वृद्धि के पीछे मुख्य कारण घास के मैदान का विस्तार और शाकाहारी जानवरों की वृद्धि है।
वीटीआर क्षेत्र में समस्याग्रस्त झाड़ी खजूर प्रजाति के फिनिक्स की सफाई की जा रही है, तो घास के मैदान में वृद्धि की जा रही है। इससे यहां शाकाहारी जानवरों की संख्या में वृद्धि हो रही है।ऐसे में यह देश के सबसे समृद्ध टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश का कान्हा एवं पेंच, राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व की श्रेणी में शामिल हो गया है।
2010 में 50 हेक्टेयर था घास का मैदान, आज 3000 हेक्टेयर
वीटीआर प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2010 में वीटीआर में 50 हेक्टेयर में घास का मैदान था, वह बढ़कर आज 3000 हेक्टेयर में पहुंच गया है। इसके कारण यहां शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ी है।क्षेत्र निदेशक डा. नेशामणि के अनुसार, बाघों की संख्या में वृद्धि के लिए घास के मैदान बढ़ाने के साथ-साथ उसकी सुरक्ष व्यवस्था दुरुस्त कर दी जाए तो इनकी संख्या बढ़नी तय है।
बाघ बिल्ली प्रजाति के हैं। उसे अनुकूल व्यवस्था मिले तो बाघिन तीन-चार की संख्या में बच्चे दे सकती हैं। बाघों एवं अन्य वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए 53 शिकाररोधी कैंप बनाए गए हैं। इसपर दिन-रात चार से पांच वनकर्मी तैनात रहते हैं।बाघों व अन्य वन्यजीवों के लिए 50 से ज्यादा वाटर होल बनाए गए हैं। गर्मियों में पानी की कमी नहीं हो, इसके लिए वाटर होल में टैंकर से पानी भरे जाते हैं। जीपीएस सिस्टम से इसकी मानीटरिंग की जाती है।
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