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Bihar Politics: लालू यादव ने इस सीट से भी कांग्रेस को किया आउट, RJD कैंडिडेट को लेकर सियासी हलचल तेज

Bihar Political News in Hindi बिहार में वाल्मीकिनगर की सीट आरजेडी के खाते में आने के बाद यहां का चुनावी तापमान तेज हो गया है। राजद इस सीट से पहली बार अपना भाग्य आजमाएगा। लोकसभा चुनाव के एलान के साथ ही चुनावी मैदान में सियासी बिसात बिछने लगी है। राजनीतिक दल जैसे-जैसे अपने कैंडीडेट की घोषणा कर रहे हैं। अटकलों पर विराम लगता जा रहा है।

By Vinod Rao Edited By: Mohit Tripathi Updated: Fri, 29 Mar 2024 05:15 PM (IST)
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लालू यादव ने वाल्मीकिनगर सीट से भी कांग्रेस को किया आउट। (फाइल फोटो)
जागरण टीम, बगहा (पश्चिमी चंपारण)। Lok Sabha Elections 2024 । बिहार वाल्मीकिनगर की सीट राजद (राष्ट्रीय जनता दल) के खाते में आने के बाद यहां का चुनावी तापमान तेज हो गया है। इस सीट से राजद पहली बार अपना भाग्य आजमाएगा।

लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बजने के साथ ही चुनावी मैदान में राजनीति की बिसात बिछने लगी है। इस बीच राजनीतिक दल जैसे-जैसे अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर रहे हैं। अटकलों के बाजार पर विराम लगता जा रहा।

महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण के दो सीटों पर लंबे समय तक कांग्रेस का झंडा बुलंद होता रहा, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर जब कांग्रेस का प्रभाव कम हुआ तो इसका साफ असर इन दोनों सीटों पर भी दिखा।

वाल्मीकिनगर की सीट तो बीते करीब तीन दशक से कांग्रेस से दूर है। इसे देखते हुए इस चुनाव में कांग्रेस ने वाल्मीकिनगर की सीट को छोड़ना ही उचित समझा है। साथ ही इन कयासों पर विराम लग गया कि इस सीट से एनडीए उम्मीदवार सुनील कुमार के विरुद्ध कांग्रेस उम्मीदवार होंगे या फिर राजद के।

तीन दिन पहले तक चर्चा कांग्रेस को लेकर थी, लेकिन भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य दीपक यादव के फेसबुक पर अपनी पीड़ा व महागठबंधन से चुनाव लड़ने की अटकलों के बाद के बाद यह कयास तेज हो गया था कि सीट राजद के खाते में जाएगी।

शुक्रवार को घोषणा के बाद यह सीट अब राजद के कोटे में जा चुकी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि राजद किसे उम्मीदवार बनाती है। राजनीतिक परिपेक्ष्य में देखें तो इस लोकसभा क्षेत्र से हर चुनाव में यादव और मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। ऐसे में राजद काफी सोच समझकर यहां से प्रत्याशी उतारेगी।

सात बार कांग्रेस को मिल चुकी है जीत

वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र को पहले बगहा के नाम से जाना जाता था। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद संसदीय क्षेत्र का नाम बदलकर वाल्मीकिनगर हो गया। सुरक्षित की जगह सामान्य सीट का दर्जा मिल गया था। इसमें विधानसभा की छह सीटें वाल्मीकिनगर, रामनगर, नरकटियागंज, बगहा, लौरिया और सिकटा शामिल हैं।

वर्ष 1952 से लेकर अब तक के संसदीय चुनाव के इतिहास पर नजर डालें तो 1971 तक लगातार कांग्रेस के भोला राउत सांसद रहे।

आपातकाल के बाद पहली बार यहां कांंग्रेस को हार मिली। वर्ष 1977 में जनता पार्टी के जगरनाथ स्वतंत्र क्षेत्र के सांसद बने, लेकिन महज तीन वर्ष के बाद 1980 में एक बार फिर कांग्रेस के भोला राउत जीते।

वह 1984 में भी जीते। इसके बाद से कांग्रेस को यहां जीत नसीब नहीं हो सकी। तीन बार जनता दल, दो बार समता पार्टी, एक बार भाजपा और चार बार जदयू को जीत मिल चुकी है।

2009 में वाल्मीकिनगर संसदीय क्षेत्र पड़ा नाम

वर्ष 2009 में संसदीय क्षेत्र का नाम बदलकर वाल्मीकि नगर हो गया । एनडीए उम्मीदवार के रूप में जदयू के बैद्यनाथ प्रसाद महतो चुनावी दंगल में उतरे और जीत मिली। कांग्रेस के उम्मीदवार मो.शमीम अख्तर को महज 4.47 प्रतिशत वोट मिले थे।

वर्ष 2019 के चुनाव में बैद्यनाथ प्रसाद महतो एनडीए के टिकट पर चुनाव लड़े और सांसद बने। कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी शाश्वत केदार पांडेय को टिकट दिया, लेकिन उनको तीन लाख 54 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा।

इस बीच लंबी बीमारी के बाद सांसद बैद्यनाथ प्रसाद महतो का निधन हो गया। उनके निधन के बाद विधानसभा चुनाव के साथ 2020 में उपचुनाव हुए। जिसमें एनडीए की ओर से बैद्यनाथ के पुत्र सुनील कुमार को टिकट दिया । कांग्रेस प्रत्याशी प्रवेश कुमार मिश्र से मात्र 22 हजार वोटों से सुनील विजयी हुए।

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