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Mauni Amavasya: बिहार के तमाम संगम घाटों में यूपी, बिहार और नेपाल से पहुंचने लगे हैं श्रद्धालु, लगाएंगे आस्‍था की डुबकी

आज माघ मौनी अमावस्या के मौके पर लाखों की तादात में लोग नदी के तटों पर पवित्र स्‍नान करेंगे और आस्‍था की डुबकी लगाएंगे। इस सिलसिले में बिहार के वाल्मीकिनगर संगम तट गंडक नारायणी नदी के त्रिवेणी संगम तट बगहा-मधुबनी-दरभंगा और समस्‍तीपुर के संगम घाट पर यूपी बिहार और नेपाल के हजारों श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं। इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

By Viveka Nand Edited By: Arijita Sen Published: Fri, 09 Feb 2024 10:04 AM (IST)Updated: Fri, 09 Feb 2024 10:04 AM (IST)
माघ मेला खाक चौक में श्रद्धालुओं की भीड़।-जागरण

संवाद सूत्र, वाल्मीकिनगर। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकिनगर संगम तट पर मौनी अमावस्या को लेकर श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। श्रद्धालु यहां माघ माह के मौनी अमावस्या के मौके पर श्रद्धा की डुबकी लगाएंगे और विभिन्न मंदिरों में जलाभिषेक करेंगे। मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी संगम में स्नान करने को लेकर वाल्मीकिनगर में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है।

पवित्र स्‍नान के लिए दूर-दूर से पहुंच रहे लोग

बिहार, यूपी और नेपाल के विभिन्न इलाकों से श्रद्धालु ट्रैक्टर और बस के माध्यम से इंडो-नेपाल सीमा अंतर्गत वाल्मीकिनगर पहुंच रहे हैं।

प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी मौनी अमावस्या माघ मेला में हजारों श्रद्धालुओं का जत्था पहुंचा है। शुक्रवार को अहले सुबह से ही गंडक नारायणी नदी के त्रिवेणी संगम तट पर भक्त आस्था की डुबकी लगाएंगे और गौ दान, तिल के साथ चावल और रुपये दान कर पूजा अर्चना करेंगे। बगहा-मधुबनी-दरभंगा में भी संगम घाट है, समस्तीपुर में गंगा हैं... यहां भी श्रद्धालु स्नान करने पहुंचते हैं।

माघ मेला के काली मार्ग से मेले में प्रवेश करते श्रद्धालु।

गंडक नदी के तट पर लाखों का जमावड़ा

माघ मेला में नेपाल और भारत दोनों ओर गंडक नदी के तट पर हर साल लाखों की संख्या में भक्त स्नान दान करते है। यहां सोनभद्र, ताम्रभद्र और नारायणी का पवित्र मिलन होता है। यही वजह है कि इसे प्रयागराज के बाद देश का दूसरा त्रिवेणी संगम होने का गौरव प्राप्त है।

माघ मेला के त्रिवेणी मार्ग पांटून पुल से गुजरते श्रद्धालु।

पंडित अनिरुद्ध द्विवेदी ने बताया कि मौन धारण कर मुनियों के समान आचरण करते हुए स्नान दान की पौराणिक परंपरा है। उन्होंने आगे बताया कि पौराणिक धारणाओं के अनुसार, माघ मास में भगवान सूर्य गोचर करते हुए जब चंद्रमा के साथ मकर राशि पर आसीन होते है तो उस काल को मौनी अमावस्या कहा जाता है।

माघ मेला के त्रिवेणी मार्ग से जाते श्रद्धालु।

सर्वार्थ सिद्धि योग में मौनी अमावस्या

मौनी अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07 बजकर 05 मिनट से बन रहा है जो रात 11 बजकर 29 मिनट तक है। यह एक शुभ योग है। सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य सफल सिद्ध होते हैं।सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए दान, पूजा पाठ का पूर्ण फल प्राप्त होता है। इस दिन व्यतीपात योग भी बन रहा है, जो सुबह से शाम 07:07 बजे तक है।

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