National Emergency In India: इमरजेंसी को याद कर छलके पंकज के आंसू, बोले- जेल में बीमार पड़ने पर होता था बुरा हाल
Emergency In India 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था जो 21 मार्च 1977 को हटा। उस समय विरोध प्रदर्शन करने वाले हर व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाता था। इन्हीं में से एक आपातकाल के पीड़ित और जेपी सेनानी ने जागरण से उस दौरान हुए अत्याचारों की दास्तां साझा की है।
जागरण संवाददाता, बेतिया। why emergency was imposed: बात 1975 की है। जब भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने डीआईआर (भारत सुरक्षा अधिनियम) लागू किया था। इस कानून के तहत किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया जाता था। बेतिया के जेपी सेनानी एवं भूमि अधिकार कार्यकर्ता पंकज नौ जुलाई, 1975 को गिरफ्तार किए गए थे।
इसमें पंकज ही नहीं विभिन्न जगहों से 1300 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। सभी को कारा में जगह नहीं मिलने की स्थिति में भागलपुर में कैंप जेल बनाकर भेज दिया गया था। जेल में प्रताड़ना हर बात पर थी। बताते-बताते पंकज भावुक हो जाते हैं।
बताते हैं कि जेल में भी प्रशासन की निरंकुशता बरकरार रही। इस कानून के तहत गिरफ्तार किए गए बंदियों को तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता था। बीमार पड़ने पर दवा भी समय से नहीं दी जाती थी।
बताते हैं कि दवा के अभाव में धनबाद के एक बंदी ने दम तोड़ दिया था। आठ माह के बाद इस कानून के बंदियों को जमानत मिलनी शुरू हुई। फरवरी, 1976 में सभी को जमानत पर छोड़ दिया गया था।
जेपी सेनानी पंकज मीसा (मेंटेनेंस आफ इंटनरल सिक्योरिटी एक्ट) के तहत दो-दो बार बंदी बनाए गए थे। अगस्त, 1974 मे उन्हें इस कानून के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। उस समय बेतिया मंडल कारा में रखा गया, लेकिन पांच सितंबर को जिले में आई बाढ़ व भारी वर्षा के कारण मंडलकारा में गंदा पानी भर गया था। उस दौरान सभी को परेशानी हुई थी।