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India Nepal Land Dispute: विवादित जमीन पर नेपाल बढ़ा रहा पैठ, पुल और भवन के बाद बिजली की आपूर्ति

नेपाल भारत के सुस्ता क्षेत्र में अवैध निर्माण कर रहा है जिससे सीमा विवाद और बढ़ रहा है। नेपाल ने पुल सड़क थाना भवन स्कूल और पोखर बनाए हैं और अब बिजली आपूर्ति के लिए भी काम कर रहा है। इस क्षेत्र में 300 परिवार रहते हैं जिनमें से 250 भारतीय हैं और 50 नेपाली मूल के हैं। भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है।

By Vinod Rao Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 05 Sep 2024 06:14 PM (IST)
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विवादित सुस्ता क्षेत्र में नेपाल की बढ़ी गतिविधियां। जागरण
सुनील कुमार गुप्ता, बगहा। पश्चिम चंपारण के बगहा-दो में भारत-नेपाल सीमा पर विवादित (India Nepal Land Dispute) सुस्ता क्षेत्र में नेपाल पैठ जमा रहा है। भारत की बिना सहमति-समझौते के इस क्षेत्र में तेजी से निर्माण कार्य करा रहा है। पुल, सड़क, थाना भवन, स्कूल और पोखर निर्माण के बाद अब नेपाल सरकार बिजली की आपूर्ति के लिए काम कर रही है। नेपाल विद्युत प्राधिकरण की ओर से झूला पुल के सहारे पकलियहवा से सुस्ता तक तार डालकर रोशनी की तैयारी है।

एक करोड़, 30 लाख रुपये की लागत से एमडी राजा निर्माण सेवा की ओर से विद्युत लाइन का विस्तार किया जा रहा है। गंडक नदी में झूला पुल के निर्माण होने से सुस्ता क्षेत्र नेपाल से जुड़ गया है। नेपाल के बर्दघाट विद्युत प्राधिकरण के वितरण केंद्र के प्रमुख प्रशांत झा के अनुसार, सुस्ता गांव में नेपाल विद्युत प्राधिकरण की ओर से विद्युत प्रसारण लाइन का विस्तारीकरण लगभग पूरा कर लिया गया है।

अभी तक सुस्ता में सौर मिनी ग्रिड परियोजना के तहत 4.80 करोड़ रुपये की लागत से सोलर प्रणाली लगाई गई थी। इससे सुस्ता में करीब 300 घरों में आपूर्ति होती थी, लेकिन नेपाल सरकार बिजली की स्थायी आपूर्ति कर अपनी पैठ मजबूत करने में जुटी है।

सुस्ता क्षेत्र में बसे हैं 300 परिवार

सुस्ता में 300 परिवार बसे हैं, जहां की आबादी करीब दो हजार है। यहां के करीब 250 परिवार भारतीय हैं जबकि 50 नेपाली मूल के हैं। 250 परिवारों में कुछ उत्तर प्रदेश से भी आकर बसे हैं। इन्हें नेपाल सरकार ने नागरिकता दे रखी है। अंतरराष्ट्रीय मामला होने के कारण यहां की गतिविधियों को देखने की जिम्मेदारी सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की है।

यहां की बटालियन की ओर से जिला मुख्यालय व एसएसबी के अधिकारियों को इनपुट भेजा जाता है। एसएसबी की रिपोर्ट को जिलाधिकारी गृह मंत्रालय को भेजते हैं, लेकिन हाल के नेपाल द्वारा निर्माण कार्य को लेकर किसी तरह की आपत्ति नहीं दर्ज की गई है।

1965 से चल रहा विवाद

भारत तथा नेपाल के बीच सुस्ता विवाद 1965 से है। यह विवाद गंडक नदी की धारा में परिवर्तन होने से उत्पन्न हुआ है। नेपाल में नारायणी के नाम से बहने वाली गंडक नदी दोनों देशों की सीमा विभाजित करते हुए नो मेंस लैंड से होकर बहती है। विवादित सुस्ता गांव गंडक नदी के भारतीय क्षेत्र के किनारे बसा था, लेकिन कालांतर में नदी ने अपना रुख बदला और सुस्ता गांव को चपेट में लेते हुए भारतीय क्षेत्र से लगभग एक किलोमीटर अंदर की तरफ कटान करते हुए बहने लगी।

सुस्ता गांव कटान के साथ भारतीय भूमि को कब्जाते हुए एक किलोमीटर अंदर की तरफ आ गई। इस जमीन का मालिकाना हक आज भी भारतीय किसानों के पास है। 19 हजार 480 हेक्टेयर जमीन के विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के अधिकारियों के बीच कई बैठकें भी हुईं। इसमें तय हुआ था कि जो स्थिति है उसे यथावत रखा जाए। कोई निर्माण कार्य नहीं होगा, लेकिन नेपाल इसे नहीं मान रहा है।

वाल्मीकिनगर थाना क्षेत्र के रामपुरवा, ठाढ़ी, लक्ष्मीपुर, भेड़ियारी के लोग आज भी उक्त जमीन की रसीद कटाते हैं, लेकिन जमीन पर अधिकार नेपाल के नवलपरासी में बसे लोगों के हाथों में है। कई बार दोनों तरफ के लोगों के बीच झड़प भी हुई थी। कई बार समझौते भी हुए, लेकिन कोई सार्थक हल नहीं निकला।

ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं है। एसएसबी के अधिकारियों से इस संबंध में बात की जाएगी। उच्चाधिकारियों को मामला संज्ञान में लाने के बाद विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी। - निखिल प्रताप सिंह, सीओ, बगहा-दो

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