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Papita Kheti: पपीते की खेती कर आर्थिक समृद्धि का द्वार खोल रहे किसान, सब्सिडी पर मिल रहे बीज

Papita Kheti In Bihar नरकटियागंज के एक किसान ने पपीता की खेती करके अपनी आर्थिक समृद्धि का द्वार खोल लिया है। स्वास्थ्यवर्धक पपीता की मिठास लोगों को तो मिल ही रहा है किसान भी आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं। इस लेख में हम इस किसान की सफलता की कहानी और पपीता की खेती के लाभों के बारे में जानेंगे।

By Sunil Tiwari Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 01 Nov 2024 03:45 PM (IST)
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पपीते की खेती कर आर्थिक समृद्धि का द्वार खोल रहे किसान, सब्सिडी पर मिल रहे बीज
संवाद सहयोगी, नरकटियागंज। कहते हैं अगर कड़ी मेहनत और लगन से कोई परिश्रम किया जाए, तो उसका फल हमेशा ही मीठा होता है। साथ ही उन्नत तकनीक अपनाकर खेती किसानी किसानों के लिए समृद्धि भी ला सकती है। ऐसी ही खेती कर नरकटियागंज के एक किसान ने स्वयं अपनी समृद्धि का द्वार खोल लिया है। स्वास्थ्यवर्धक पपीता की मिठास लोगों को तो मिल ही रहा है, किसान भी आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं।

मनवा परसी पंचायत के महुअवा विशुनपुरवा के किसान अब्बास अंसारी ने पपीता की खेती की है। किसान अब्बास अंसारी ने बताया कि उन्हें उत्तरप्रदेश के लखनऊ में एक किसान से इसकी प्रेरणा मिली है। इसके बाद लखनऊ की ही एक एजेंसी ने उन्हें प्रशिक्षित करने के साथ साथ बीज भी मुहैया कराया। जिसके चलते उन्होंने चार कट्ठा में पपीता की खेती की है। फल भी तैयार है और उसे 40 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेच रहे हैं।

किसान ने बताया कि धान, गेहूं व अन्य फसलों के मुकाबले पपीता की खेती करने में लागत की तुलना में उन्हें करीब चार गुणा अधिक मुनाफा मिल रहा है। उनके यह खेती इस इलाके लिए मॉडल बन गई है। ऐसा इसलिए कि आसपास के शिकवापुर, परसी, बड़निहार गांव के उमेश यादव, राजेश कुशवाहा, हरी प्रसाद आदि किसानों ने अगले सीजन में इसे अपनाने को कहा है। वे इसकी खेती कर अपनी समृद्धि के द्वार खोलने की तैयारी में हैं।

साल में दो बार हो सकती है इसकी खेती

किसान अब्बास अंसारी ने बताया कि पपीता की खेती के लिए साल में दो बार का समय उपयुक्त है। फरवरी ओर अक्टूबर माह इसकी खेती के लिए बेहतर समय है। खेती के बाद करीब चार से पांच माह में फल तैयार हो जाता है।

उन्होंने कहा कि दो पार्ट में उन्होंने भी इसकी खेती की है। फरवरी के समय की गई खेती में अब फल तैयार होने लगा है। किसान ने बताया कि एक कट्ठा में बीज व दवा आदि पर करीब पांच हजार रुपये खर्च हुई है। चार कट्ठा में की गई खेती में अब उन्हें औसतन एक लाख रूपये से ऊपर का फल बेचेंगे।

अनुदानित दर पर बीज की व्यवस्था

प्रखंड कृषि पदाधिकारी अमरनाथ ठाकुर ने बताया कि पपीता की खेती में किसान को मुनाफा अधिक है। सरकार की ओर से भी किसानों को अनुदानित दर पर बीज मुहैया कराई जाती है। किसान चाहे, तो इसका लाभ उठा सकते हैं।

वहीं, कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि पपीते की खेती से किसान समृद्ध हो सकते हैं। इसमें कम लागत में अधिक फायदा है। कृषि विज्ञान केंद्र में भी इसके विज्ञानी हैं। किसान चाहे तो बेहतर प्रशिक्षण लेकर इसकी खेती को व्यापक रूप दे सकता है।

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