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West Champaran: मरीजों की जान से खिलवाड़, अल्ट्रासाउंड-एक्स-रे के नाम पर चल रहे दर्जनों फर्जी सेंटर; ऐसे हुआ खुलासा

पश्चिमी चंपारण में मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा है। शहर में अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे सेंटर के नाम पर दर्जनों अवैध सेंटर चलाए जा रहे हैं। यहां पर गैर पेशेवर जांच रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इन जांच केंद्रों में 100-200 रुपये में अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे किए जा रहे हैं। जिले में निजी अस्पताल व नर्सिंग होम के साथ-साथ जांच सेंटर भरे पड़े हुए हैं।

By Prabhat MishraEdited By: Shashank ShekharUpdated: Wed, 11 Oct 2023 03:12 PM (IST)
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मरीजों की जान से खिलवाड़, अल्ट्रासाउंड-एक्स-रे के नाम पर चल रहे दर्जनों फर्जी सेंटर
प्रभात कुमार, नरकटियागंज (पश्चिम चंपारण)। सुगौली के शैलेश राम ने स्थानीय अल्ट्रासाउंड सेंटर में किडनी की जांच कराई। 200 रुपये में अल्ट्रासाउंड हो गया। रिपोर्ट में 3.5 एमएम की पथरी बताई गई।

दवा खाने के बाद भी राहत नहीं हुई तो दो सप्ताह बाद दूसरी जगह जांच कराने पर 500 रुपये लगे। वहां सात एमएम की पथरी का पता चला।

जांच रिपोर्ट में अंतर और अलग-अलग रेट

पश्चिम चंपारण में मरीजों के सामने बड़ी समस्या है। शहर से लेकर प्रखंडों तक में अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे सेंटर के नाम पर दर्जनों अवैध केंद्र चल रहे हैं। वहां गैर पेशेवर लोग जांच कर रिपोर्ट बना रहे हैं।

बड़ी बात यह है कि इन्हीं जांच रिपोर्ट के आधार पर सड़क छाप या गैर निबंधित अस्पताल-नर्सिंग होम में उपचार और ऑपरेशन तक किया जा रहा है। इसमें मरीजों की जान तक चली जा रही।

फर्जी जांच केंद्रों में 100-200 रुपये में अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे हो रहे हैं। यहां न तो विशेषज्ञ जांचकर्ता हैं, न ही चिकित्सक। थोड़ी-बहुत जानकारी वाले कर्मी द्वारा अल्ट्रासाउंड कर गलत रिपोर्ट थमा दी जाती है।

जिले में न ही डॉक्टर, न सोनोग्राफर

जिले में निजी अस्पताल व नर्सिंग होम के अलावा जांच घरों की भरमार है। इनके पास न लाइसेंस, न ही सुविधा होती है। यहां तो चौकी पर लिटाकर ऑपरेशन कर दिया जाता है।

बगहा में नवंबर में जिन 11 महिलाओं के गर्भाशय निकाले गए थे, वहां कुछ ऐसी ही स्थिति थी और सभी की रिपोर्ट ऐसे ही जांच घरों में बनी थी। ऐसे अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों से ऐसी कई जांच भी करवाई जाती है, जिसका इलाज से कोई लेना-देना नहीं होता है।

गैर निबंधित अल्ट्रासाउंड केंद्र हुआ था सील 

स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर नरकटियागंज अनुमंडल अस्पताल की टीम ने जून में अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जांच की थी। इसमें अस्पताल के पास ही गैर निबंधित अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालित हो रहा था। उसे 12 जून को सील कर दिया गया था।

इससे पहले 27 अप्रैल को हरदिया में नेशनल अल्ट्रासाउंड सेंटर की जांच की गई थी। वहां न तो कोई चिकित्सक मिले न पेशेवर-डिग्रीधारी सोनाग्राफर। उसी दिन नरकटियागंज के पॉपुलर अल्ट्रासाउंड और मैनाटांड़ के अदिति और अरबाज अल्ट्रासोनोग्राफी सेंटर की जांच के दौरान कोई कर्मी नहीं मिला।

26 अप्रैल को बलथर चौक पर सुपर अल्ट्रासाउंड की जांच करने स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची, उन्हें देखते ही कर्मी भाग खड़े हुए।

आधा दर्जन से अधिक अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच हुई थी

दो जून 2022 को जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ. हरेंद्र कुमार के नेतृत्व में जिले की टीम ने आधा दर्जन से अधिक अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच की थी। जब उन केंद्रों पर कर्मी नहीं मिले तो अल्ट्रासाउंड संचालन के लिए कागजात के साथ संचालकों को जिले में तलब किया गया।

ऐसे ही जांच घर की फर्जी रिपोर्ट में फंस चुके नरकटियागंज के मनोज दास का कहना है कि टीम के पहुंचने से पहले ऐसे अनधिकृत अल्ट्रासाउंड सेंटरों को भनक लग जाती है। यह सब बिचौलियों की सक्रियता से होता है। उनका नेटवर्क प्रखंड से लेकर शहर तक है।

16 मई 2018 को तत्कालीन सिविल सर्जन ने नरकटियागंज के दो अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच की थी। मानक पर नहीं होने के कारण उन्हें सील कर दिया था। इन सबके के बावजूद जिले में धड़ल्ले से गैर निबंधित अल्ट्रासाउंड सेंटर चल रहे हैं। इनमें अधिकतर में सोनोग्राफर नहीं हैं।

कुछ जगह चिकित्सकों के नाम के बोर्ड तो लगा दिए गए हैं, लेकिन वे कभी दिखते नहीं हैं। कुछ तो नाम बदलकर भी चल रहे हैं। जैसे गौनाहा में मिश्रा ड्रग एजेंसी में नर्सिंग होम का संचालन हो रहा था और वहां एक मरीज की मौत आपरेशन के बाद हो गई थी।

अनुमंडल अस्पताल में धूल फांक रही मशीन

शहर में जब फर्जी और जानलेवा जांच रिपोर्ट बनाने वाले अल्ट्रासाउंड केंद्र धड़ल्ले से चल रहे हैं, तब नरकटियागंज अनुमंडल अस्पताल में तीन साल से 12 लाख का अल्ट्रासाउंड सेटअप कमरे में कैद धूल फांक रहा है।

सोनोग्राफर के नहीं रहने से संचालन नहीं हो रहा है। एक महिला चिकित्सक को इसके लिए प्रशिक्षण दिलाया गया था, लेकिन वह भी सफल नहीं हुआ।

मरीजों को सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसे में उन्हें बाजार में जैसे-तैसे संचालित हो रहे अल्ट्रासाउंड सेंटरों में जाने की विवशता है। एक बार गलत रिपोर्ट बन गई तो उसके इर्द-गिर्द इलाज होता है।

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अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटर एवं पैथोलाजी की जांच के लिए प्रखंड स्तर पर पीएचसी प्रभारी के नेतृत्व में टीम बनाई गई है। लगातार जांच की जा रही है। कई अवैध सेंटरों को सील किया गया है। जिला स्तरीय टीम जांच कर रही है।- डॉ. श्रीकांत दुबे, सिविल सर्जन, पश्चिम चंपारण।

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