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गंडक को घड़ियाल संरक्षण क्षेत्र बनाने की तैयारी, अब तक कोई खास नहीं था इंतजाम; मानसून के आते ही अंडे हो जाते हैं नष्‍ट

देश में चंबल के बाद घड़ियालों का सबसे बड़ा केंद्र गंडक नदी है लेकिन पानी साफ होने और बगैर मिट्टी की बालूयुक्त तलहटी होने से यहां घड़ियाल फल-फूल रहे हैं लेकिन बावजूद इसके यहां इनके लिए कोई खास इंतजाम नहीं है इसलिए अब गंडक को गंडक को घड़ियाल संरक्षण क्षेत्र बनाने की तैयारी चल रही है ताकि मानसून में इनके अंडों को कोई नुकसान न पहुंचे।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Tue, 19 Dec 2023 03:39 PM (IST)
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गंडक को घड़ियाल संरक्षण क्षेत्र बनाने की तैयारी।

सुनील आनंद, बेतिया। देश में चंबल के बाद घड़ियालों का सबसे बड़ा केंद्र गंडक नदी है। स्वच्छ जल और बगैर मिट्टी की बालूयुक्त तलहटी होने से यहां घड़ियाल बढ़ रहे हैं। वन विभाग एवं वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआइ) की ओर से मार्च, 2023 में विस्तृत सर्वेक्षण कराया गया था। इसमें पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर से सोनपुर तक 350 किमी में 250 घड़ियाल मिले थे।

गंडक में घड़ियालों की नियमित रूप से मॉनीटरिंग

यह उपलब्धि तब मिली है, जब गंडक को घड़ियाल संरक्षण क्षेत्र की मान्यता भी नहीं है। घड़ियालों की बढ़ती संख्या और रहवास में अनुकूलन से उत्साहित बिहार राज्य वन्य प्राणी परिषद, वन विभाग एवं डब्ल्यूटीआई की ओर से वर्ष 2014 से यहां घड़ियालों के संरक्षण एवं संवर्धन पर काम किया जा रहा है। इनकी नियमित रूप से माॅनीटरिंग भी हो रही है।

खास इंतजाम न होने के कारण अंडों को पहुंचता है नुकसान

डब्ल्यूटीआई के संयुक्त निदेशक डा. समीर कुमार सिंह बताते हैं कि बिहार में सिर्फ गंडक में घड़ियाल पाए जाते हैं।

मार्च में सर्वे के दौरान वाल्मीकिनगर से फतेहाबाद (मुजफ्फरपुर) तक गंडक में करीब 140 किलोमीटर में घड़ियालों की सर्वाधिक संख्या देखी गई है।

उनके प्रजनन के लिए यह उपयुक्त क्षेत्र है। कोई खास प्रबंधन नहीं होने के बावजूद 60 प्रतिशत अंडे सुरक्षित रह जाते हैं। मानसून में 40 प्रतिशत अंडों को क्षति पहुंचती है। इसी 140 किलोमीटर को संरक्षित क्षेत्र बनाने पर काम हो रहा है।

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फरवरी, 2024 में होगा विस्तृत सर्वेक्षण

चंबल के 400 किमी के क्षेत्र में दो हजार घड़ियाल चिह्नित किए गए हैं। चंबल समेत देश के अन्य घड़ियाल अभ्यारण्य को बेहतर सुविधाएं मिलती हैं।

डब्ल्यूटीआई के प्रोजेक्ट प्रबंधक सुब्रत बेहेरा का कहना है कि गंडक में पांच नर एवं 245 मादा घड़ियाल हैं। मार्च से अप्रैल तक मादा घड़ियाल अंडे देती हैं।

वर्ष 2014 में गंडक में 30 घड़ियाल छोड़े गए थे। डब्ल्यूटीआइ की टीम नदी में घड़ियालों को छोड़ने उतरी, तो पता चला कि यहां पूर्व से घड़ियाल हैं।

उनके संरक्षण एवं संवर्धन की आवश्यकता है, तब से उनके संरक्षण पर काम हो रहा है। गंडक में इलेक्ट्रो फिशिंग (विद्युत करंट से मछली मारना) पर रोक लगाने का प्रयास किया जा रहा है। फरवरी, 2024 में घड़ियालों का विस्तृत सर्वेक्षण कराया जाएगा।

छह वर्ष में दोगुना वृद्धि

गंडक में पिछले छह वर्ष में घड़ियालों की संख्या में दोगुना से अधिक की वृद्धि हुई है। वर्ष 2017 में घड़ियालों का सर्वेक्षण किया गया था। उस वक्त 120 घड़ियाल मिले थे।

धनहा-रतवल से फतेहाबाद तक घड़ियालों के प्रजनन के लिए पांच स्टाप चिह्नित किए गए हैं। जहां स्वच्छ जल, प्रदूषण का स्तर कम और बालू की गुणवत्ता बेहतर है।

गंडक नदी में घड़ियालों की बढ़ रही संख्या को देखते हुए रतवल-धनहा में अधिवास केंद्र स्थापित करने की पहल की गई है। स्वच्छ गंगा समिति में इसका प्रस्ताव रखा गया है- दिनेश कुमार राय, डीएम, पश्चिम चंपारण।

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