वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में आग लगने की 70 फीसदी घटनाएं मानवजनित, मशरूम उगाने के लिए भी जला रहे जंगल: रिपोर्ट
Bihar News वीटीआर में जंगली मशरूम उगाने के लिए शरारती तत्व आग लगा रहे हैं। कुछ लोग अनजाने भी ऐसा काम कर बैठते हैं जिससे जंगल में आग लग जाती है जैसे- जंगल के रास्ते में बीड़ी और सिगरेट पीकर उसे झाड़ियों में फेंकना।
By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Sat, 13 May 2023 09:51 AM (IST)
जागरण संवाददाता, बेतिया (पश्चिम चंपारण): वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में आग लगने की 70 प्रतिशत घटनाएं मानवजनित हैं। 30 प्रतिशत घटनाएं पेड़ों की टहनियों के घर्षण या दूसरे प्राकृतिक तरीके से हुई हैं। चार दिन पहले वीटीआर अधिकारियों द्वारा जारी आंतरिक रिपोर्ट में कहा गया है कि आग लगने की घटनाएं कुछ जानबूझकर तो कुछ अज्ञानतावश होती हैं।
पिछले साल की तुलना इस बार घटनाएं ज्यादा हुई हैं, जबकि फायर सीजन की समाप्ति में करीब एक माह शेष हैं। वीटीआर प्रशासन के अनुसार जनवरी से लेकर सात मई तक 500 घटनाएं हुई हैं, जबकि पिछले वर्ष इस अंतराल में 410 घटनाएं हुई थीं।
इस वर्ष 20 एकड़ से अधिक भूभाग में जंगल को नुकसान हुआ है। जंगल में आग लगने की घटनाओं में बढ़ोतरी के पीछे कम वर्षा और शुष्क मौसम को भी जिम्मेदार माना गया है।
वीटीआर प्रशासन का कहना है कि जंगल के आसपास रहनेवाले लोग जंगल के कुछ हिस्से की सफाई करने के लिए आग लगा देते हैं। इस भूमि पर वे कृषि कार्य करते हैं। कुछ लोग बरसात में चारा उगाने के लिए भी आग लगा देते हैं।
मशरुम उगाने के लिए जला रहे जंगल
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में जंगली मशरूम उगाने के लिए शरारती तत्व आग लगा रहे हैं। कुछ लोग अज्ञानतावश भी ऐसा काम कर बैठते हैं जिससे जंगल में आग लग जाती है, जैसे- जंगल के रास्ते में बीड़ी और सिगरेट पीकर उसे झाड़ियों में फेंक देना।वहीं वीटीआर के आसपास रहने वाले लोग जंगल के कुछ हिस्से की सफाई करने के लिए आग लगा देते हैं। ऐसा इसलिए कि जब बारिश होती है, तो यहां जंगली मशरूम उग आते हैं। इन मशरूमों को लोग खुद खाते हैं या फिर बाजार में बेचते हैं।
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