Bihar: पश्चिम चंपारण के भिखना ठोरी गांव में घर-घर सौर ऊर्जा उत्पादन, कार्बन मुक्त बनाने की दिशा में बढ़े कदम
Bhikhna Thori Village West Champaran भारत-नेपाल सीमा और वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) क्षेत्र में बसे भिखना ठोरी गांव तक वन विभाग की आपत्ति के कारण आज तक बिजली नहीं पहुंच सकी है। राज्य सरकार के सहयोग से वर्ष 2017 में सोलर पैनल लगाया गया था।
वन विभाग की आपत्ति के कारण नहीं पहुंच रही बिजली
भारत-नेपाल सीमा और वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) क्षेत्र में बसे भिखना ठोरी गांव तक वन विभाग की आपत्ति के कारण आज तक बिजली नहीं पहुंच सकी है।पहले मोबाइल चार्ज करने जाना पड़ता था दूसरे गांव
तीन तरफ जंगल से घिरा है गांव
भिखना ठोरी गांव एक तरफ पंडई नदी तो बाकी तीन तरफ वीटीआर के जंगल से घिरा है। यहां के ग्रामीणों की जिंदगी काफी कठिन है। इलाल के लिए भी उन्हें करीब 14 किमी दूर गौनाहा रेफरल अस्पताल जाना पड़ता है। वन क्षेत्र में होने के चलत इसे राजस्व गांव का दर्जा नहीं मिला है।इस कारण बहुत सी सरकारी योजनाओं का लाभ भी यहां के ग्रामीणों को नहीं मिलता। इसके साथ ही यहां के लोगों को विस्थापित होने का डर भी बना रहता है। सोलर आधारित पंप से पानी तो निकल रहा है, लेकिन वह जरूरत से काफी कम है। ऐसे में पीएचईडी की ओर से टैंकर से 12 हजार लीटर पानी प्रतिदिन पहुंचाया जा रहा है।पर्यावरण सरंक्षण की दिशा में भिखना ठोरी में ग्रामीणों ने अच्छा काम किया है। सरकार गैर परंपरागत ऊर्जा पर जोर दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार दोनों इस दिशा में प्रयास कर रही हैं। इस व्यवस्था को और जगहों पर भी लागू करने का प्रयास किया जाएगा। - अजय प्रकाश राय, प्रखंड विकास पदाधिकारी, गौनाहा
सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने के लिए गांव स्तर पर जागरूकता फैलाई जा रही है। अभी पंचायतों में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने का कार्य चल रहा है। जंगल के समीप के गांवों को सोलर एनर्जी से आच्छादित करने का प्राविधान है। भिखना ठोरी के ग्रामीणों का प्रयास अच्छा है। - मनीष कुमार, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, बेतिया