पश्चिम चंपारण के हरनाटांड़ में बढ़ा कुत्तों का आंतक, एक महीने में 207 लोगों को काटा; PHC आ रहे पीड़ित मरीज
Dog Bite Cases In Harnatand हरनाटांड़ सहित थरुहट के ग्रामीण क्षेत्रों के गलियों और चौक चौराहों पर घूम रहे आवारा कुत्ते समस्या बन चुके हैं। आवारा कुत्ते कई लोगों को काटकर जख्मी कर रहें हैं। पीड़ित एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरनाटांड़ पहुंच रहे हैं।
By Arjun Kumar JaiswalEdited By: Prateek JainUpdated: Mon, 27 Mar 2023 04:21 PM (IST)
हरनाटांड़, संवाद सूत्र: हरनाटांड़ सहित थरुहट के ग्रामीण क्षेत्रों के गलियों और चौक चौराहों पर घूम रहे आवारा कुत्ते अब बड़ी समस्या बन चुके हैं। रोज ऐसे आवारा कुत्ते कई लोगों को काटकर जख्मी कर रहें हैं।
पीड़ित लोग एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरनाटांड़ पहुंच रहे हैं। यहां बता दें कि पीएचसी हरनाटांड़ की ओपीडी में प्रतिदिन 10 से 12 पीड़ितों को एंटी रैबीज के इंजेक्शन लगाए जाते हैं।
मालूम हो कि कुत्ते काटते हैं तो फिर एंटी रैबीज इंजेक्शन के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं रहता है। हालांकि, पहले परेशानी से बचने के लिए लोग ग्रामीण क्षेत्र में झाड़फूंक पर भी विश्वास करते थे, लेकिन जागरूकता की वजह से अब सरकारी अस्पताल में मुफ्त में लगने वाली एन्टी रैबीज सुई लेना ही बेहतर समझते हैं।
एक माह के अंदर डॉग बाईट के शिकार 207 लोग पहुंचे अस्पताल
मार्च माह में अभी तक के आकड़ों पर नजर डालें तो सिर्फ हरनाटांड़ पीएचसी में 207 लोगों का इलाज किया गया है, जो कुत्ते के काटने से प्रभावित थे।
सोमवार को भी 14 लोग कुत्ते काटने से पीड़ित होकर एंटी रैबीज लगवाने के लिए अस्पताल पहुंचे थे, जहां पीएचसी के चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार सिंह नीरज ने उनका इलाज कर उन्हें एंटी रैबीज की सुई लगवाने के लिए लिखा।
चिकित्सक का कहना है कि डॉग बाईट से पीड़ित व्यक्ति को स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर एंटी रैबीज इंजेक्शन लेना चाहिए। कुत्ते काटने पर पीड़ित को तीन से पांच एंटी रैबीज के डोज जरूरी होते हैं। साथ ही काटने वाले कुत्ते पर 10 दिन तक निगरानी भी रखना चाहिए।
यदि 10 दिन के अंदर कुत्ता मर जाता है, तो माना जाता है कि उसका विष पीड़ित में है और अगर कुत्ता नहीं मरता है, तो पांच डोज पीड़ित को लगाना जरूरी होते हैं।ग्रामीण क्षेत्रों में कुत्ते के काटने पर उसके विष से निजात के लिए झाड़ फूंक का सहारा लिया जाता है, जो बाद में खतरनाक साबित होता है। इसके लिए जरुरी है कि लोगों को जागरुकता किया जाए, ताकि लोग ओझा-सोखा के चक्कर में नहीं फंस सकें।
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