बिहार के पश्चिम चंपारण में वन विभागार के वनागार में आदमखोर बाघ का हुआ अंतिम संस्कार
West Champaran News बेतिया स्थित वन विभाग के कार्यालय परिसर में हुआ बाघ का अंतिम संस्कार। -वीटीआर के क्षेत्र निदेशक व एनटीसीए के सदस्य की मौजूदगी में पहले कराया गया पोस्टमार्टम। वन्य प्राणि अध्यययन संस्थान देहरादून भेजा जा रहा है बेसरा।
By Jagran NewsEdited By: Dharmendra Kumar SinghUpdated: Sun, 09 Oct 2022 04:05 PM (IST)
बेतिया, जासं। वीटीआर के आदमखोर बने बाघ को रविवार को बेतिया स्थित वन विभाग के वनागार में अंतिम संस्कार कर दिया गया है। उसे रामनगर के डुमरी गाव के समीप सरेह में मारा गया था। सबसे पहले बाघ का वीटीआर के क्षेत्र निदेशक डा. नेशामणि के नेतृत्व में अन्त्परीक्षण कराया गया। अन्त्यपरीक्षण वीटीआर के पशु चिकित्सक डा. मनोज टोनी एवं डा. संजीय कुमार ने किया। मौके पर क्षेत्र निदेशक के अलावा दोनों डीविजन के उप क्षेत्र निदेशक, बेतिया वन प्रमंडल के वन प्रमंडल पदाधिकारी सहित एनटीसीए के मनोनीत सदस्य सह वर्ल्ड वाइल्ड फंड फार नेचर बिहार के एरिया कोऑर्डिनेटर कमलेश मौर्य व अतिथि बगही सखुआनी के मुखिया धीरज देवनाथ मौजूद रहे।
वाघ के पेट में नहीं मिला कोई अवशेष
सुरक्षा व्यवस्था के बीच वन विभाग के एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसेड्यूर) का पालन करते हुए उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। क्षेत्र निदेशक ने बताया कि प्रथम द्ष्ट्या बाघ अन्तपरीक्षण से कोई विशेष जानकारी नहीं मिली है। बाघ के पेट से कुछ वैसा अवशेष भी नहीं मिला है, ताकि इस पर कुछ कहा जा सके। लेकिन इसके बेसरा को फॉरेसिंक जांच के लिए राष्ट्रीय पशु अध्ययन संस्थान, इज्जतनगर एवं वन्य प्राणि अध्ययन, संस्थान, देहरादून भेज जा रहा है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के बाद विशेष जानकारी मिल सकती है। बता दें कि आज सुबह बाघ के शव को गोबर्द्ध्ना स्थित वन विभाग के कार्यालय से यहां लाया गया। फिर उसे वनागार (फारेस्ट डिपो) में अंतिम संस्कार कर दिया गया।
टी 104 के रूप में हुई आदमखोर बाघ की पहचान
क्षेत्र निदेशक के अनुसार आदमखोर बाघ की पहचान टी 104 के रूप में हुई है। इसकी उम्र तीन वर्ष के आसपास थी। उसने बीते 12 सितंबर से अब तक छह लोगों का शिकार किया था। इसमें दूसरा शिकार 21 सितंबर को, तीसरा 6 अक्टूबर, चौथा 7 अक्टूबर तथा छठ्ठा एवं सातवां 8 अक्टूबर को शिकार बनाया।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।