बाघ, पक्षी, रोमांचक खेल और धार्मिक-इको पर्यटन का अनूठा पैकेज, सुंदर नजारे देख बेतिया में ही बस जाने को मचलेगा मन
बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में बेतिया के आसपास के इलाके में कई पर्यटक स्थल हैं। यहां पर्यटक बाघ पक्षी इतिहास धर्म और खेल के संगम से रू-ब-रू होते हैं। यह रोमांच और अध्यात्म का केंद्र भी है। एक ओर हिमालय पर्वत और उसकी तलहटी में बसा यह नगर अपनी समृद्ध विरासत और मनोहारी परिदृश्य से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह महात्मा गांधी की कर्मस्थली भी है।
सुनील आनंद, बेतिया। बाघ, पक्षी, इतिहास, धर्म और खेल का संगम। रोमांच और अध्यात्म का केंद्र। हिमालय की तलहटी में समृद्ध विरासत और मनोहारी परिदृश्य जो मन में उतर जाए। इतिहास, प्राकृतिक सौंदर्य, अध्यात्म और आधुनिकता को करीब से निहारना चाहते हैं तो चले आइए पश्चिम चंपारण।
जैव विविधता से परिपूर्ण धरा पर्यटन की अद्भूत अनुभूति कराती है तो महात्मा गांधी की कर्मस्थली के रूप में आदर्श भी प्रस्तुत करती है। पश्चिम चंपारण के मुख्यालय बेतिया शहर से सात किमी आगे बढ़ने पर 100 वर्गकिमी के दायरे में पर्यटन केंद्रों की शृंखला बनती है। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों का आकर्षण है।
सरैयामन झील में पहुंचे पक्षी। फोटो- जागरण
- अमवामन झील : पटना से 190 किमी और जिला मुख्यालय से 11 किमी दूर 100 एकड़ में फैली अमवामन झील में वाटर एडवेंचर रोमांचित करता है। मोटर बोट, जेट स्की, पैरासिलिंग बोट, जार्बिंग बाल बोट, वाटर साइकिल, जेट्टी, स्पीड बोट का अनुभव एक अलग ही दुनिया में ले जाता है। कहने वाले तो इसे बिहार का गोवा तक कहते हैं। पर्यटक सुबह नौ से शाम पांच बजे तक जलक्रीड़ा का आनंद लेते हैं। यहां बने कैफेटेरिया में पारंपरिक स्वाद का मेल मिलता है। अब तो यहां रिंग सेरेमनी, बर्थडे तक सेलिब्रेट किए जा रहे हैं।
अमवामन झील में पर्यटकों के लिए तैयार बोट। फोटो- जागरण
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- सरैयामन झील : बेतिया से सात किमी दूर उदयपुर वन्यप्राणी आश्रयणी है। इसके बीच में सरैयामन झील है। यहां नौका विहार के साथ मेहमान परिंदों की अठखेलियां खूब सुहाती हैं। झील के समीप बने टावर और सात किमी में फैला सदाबहार जंगल प्राकृतिक सुंदरता का चरमबिंदु है। मन के तट पर जामुन के सैकड़ों पेड़ हैं। पानी में गिरे फल और पत्तों के कारण झील का जल औषधीय माना जाता है। कुछ लोग तो पाचन क्रिया बढ़ाने के लिए सरैयामन का पानी पीते भी हैं। इस झील की रोहू और भकुरा मछली बिहार एवं उत्तर प्रदेश में प्रसिद्ध है।
- पटिजिरवा शक्तिपीठ देवी स्थान : बेतिया से करीब 16 किमी दूर दक्षिण-पश्चिम में बैरिया प्रखंड में गंडक नदी के तट पर पटिजिरवा शक्तिपीठ देवी स्थान। जैव विविधता से भरे इस क्षेत्र में यह पौराणिकता और ऐतिहासिकता से अवगत कराता है। कहते हैं कि भगवान विष्णु ने अदृश्य सुदर्शन चक्र से सती के 51 खंड किए तो पैर के कुछ भाग यहां गिरे थे। इससे नर व मादा पीपल के दो वृक्षों की उत्पत्ति हुई। शिव व शक्ति के अर्धनारीश्वर स्वरूप में नर व मादा पीपल के वृक्ष यहां विद्यमान हैं। दूसरी बात यह भी है कि श्रीराम व माता सीता के विवाहोपरांत विदाई के बाद डोली यहीं ठहरी थी। श्रीराम व सीता सहित सभी बरातियों ने पटिजिरवा भवानी की पूजा-अर्चना की थी। मंदिर के ठीक पीछे महाराजा जनक द्वारा खुदवाया गया तालाब है।
- अशोक स्तंभ और नंदनगढ़ : बेतिया से 25 किमी की दूरी पर अवस्थित लौरिया। यहां सम्राट अशोक की निशानी है। सम्राट अशोक ने अपने 27 वर्ष के शासनकाल में 32 फीट ऊंचा स्तंभ का निर्माण कराया था। स्तंभ के शीर्ष पर सिंह विराजमान है। स्तंभ से दो किमी दक्षिण एवं पश्चिम में 15 अलग-अलग स्तूप हैं, जिसे नंदनगढ़ कहा जाता है। ये बौद्ध स्तूप दूर से देखने पर विशाल टीले सा नजर आता है। यहां थाईलैंड समेत अन्य देशों से बौद्ध भिक्षुओं की टोली आती है।
- सहोदरा देवी स्थान : नेपाल सीमा पर गौनाहा में सहोदरा देवी स्थान। यह पर्यटकों के लिए विशेष महत्व रखता है। माता को यहां प्रतिदिन खोईछा भरा जाता है। उन्हें नई साड़ी पहनाई जाती है। मंदिर की पुजारी भी महिला होती हैं। मान्यता है कि भगवान बुद्ध ने जब गृह त्याग किया था तो उनकी पत्नी यशोधरा यहां आई थीं।