VTR News: भारत-नेपाल बॉर्डर पर बाघों के बीच क्षेत्राधिकार को लेकर संघर्ष, दहशत में सीमाई इलाकों के ग्रामीण
भारत-नेपाल सीमा पर क्षेत्राधिकार को लेकर बाघों के बीच संघर्ष का खौफ सिर्फ भारत के सीमाई इलाके में हीं नहीं नेपाल के गांवों में भी है। लड़ाई के बाद भटके बाघ या तेंदुआ सीमावर्ती इलाकों के गांवों में लोगों की चिंता बढ़ा रहे हैं। जितना खौफ पश्चिम चंपारण में वीटीआर के आसपास के गांवों में है उतना ही नेपाल के चितवन राष्ट्रीय निकुंज से सटे ग्रामीण इलाकों में है।
संवाद सूत्र, सिकटा/ भिस्वा। भारत-नेपाल सीमा पर तस्करों की सक्रियता के बीच वीटीआर (वाल्मीकि ब्याघ्र परियोजना) में क्षेत्राधिकार को लेकर बाघों के बीच संघर्ष का खौफ सिर्फ भारत के सीमाई इलाके में हीं नहीं, नेपाल के गांवों में भी है।
लड़ाई के बाद भटके बाघ या तेंदुआ सीमावर्ती इलाकों के गांवों में लोगों की चिंता बढ़ा रहे हैं। जितना खौफ पश्चिम चंपारण में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) के आसपास के गांवों में है, उतना ही नेपाल के चितवन राष्ट्रीय निकुंज से सटे ग्रामीण इलाकों में है।
वीटीआर से लगातार बाघ व तेंदुआ भटककर ग्रामीण इलाकों में पहुंच रहे हैं। बीते 22 अगस्त को वीटीआर में मंगुराहांं वन क्षेत्र के अमहवा एपीसी कैंप से 400 मीटर अंदर जंगल में टेरिटरी फाइट में एक बाघ की मौत हो गई थी, जबकि दूसरा बाघ जख्मी है। उसे वनकर्मी खोज रहे हैं।
इसबीच, नेपाल के चितवन राष्ट्रीय निकुंज के सुगीभार जंगल में बीते 23 अगस्त को बाघ ने पर्सा जिले के सुगीभार जंगल में खुवनिया के तुलसी राउत थारू को मार डाला था।
घटनास्थल पश्चिम चंपारण के भंगहा थाना से करीब दो किमी के आसपास है। चूंकि, वीटीआर और चितवन राष्ट्रीय निकुंज की सीमा एक-दूसरे से लगती है। दोनों टाइगर रिजर्व का आपस में जुड़ा होने के कारण जानवरों का भटकाव एक-दूसरे की सीमा में भी हो जाता है।
घायल बाघ के नेपाल में प्रवेश करने की संभावना
सूत्रों के अनुसार, टेरिटरी फाइट में घायल बाघ के नेपाल में प्रवेश करने की संभावना है। ऐसे में ग्रामीणों की चिंता बढ़ी है। अब चितवन नेशनल पार्क के वनकर्मी भी ग्रामीण पर हमला करने वाले बाघ की तलाश कर रहे हैं।
नेपाल के पटेरवा सुगौली गांवपालिका के अध्यक्ष दिनेश चौधरी ने बताया कि कि जंगल में बाघों की संख्या बढ़ी है। चितवन में 2022 में बाघों की संख्या 128 थी। शाकाहारी जानवरों की संख्या कम होने के कारण वे भटकते हैं।कभी भारत के वीटीआर में जाते हैं, तो कभी नेपाल के ग्रामीण इलाके में। नेपाल के सखुवा परसौनी गांवपालिका के अध्यक्ष यसवन्त यादव ने बताया कि दो माह पहले गांव के समीप गन्ने के खेत में छुपे बाघ को रेस्क्यू किया गया था। वह माली वस्ती व बघमुर्चा गांव के दो लोगों का शिकार कर दिया था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।हाथियों की तरह बाघों को रोकने की हो व्यवस्था
नेपाल के जिराभवानी गांव के हरिकिशोर शर्मा, सेरहवा के कृष्णमोहन साह, ठोरी गांवपालिका अध्यक्ष लालबहादुर श्रेष्ठ, विजयवस्ती के टेकबहादुर साक्य ने कहा कि दो- तीन वर्ष पूर्व चितवन से हाथियों का झुंड वीटीआर में जाता था और ग्रामीणों इलाकों में उपद्रव मचाता था।हाथियों की आवाजाही रोकने के लिए दोनों जंगल में कही कही कुछ दूरी तक बाड़ लगाया गया है। हाथियों की आवाजाही तो रुक गई, लेकिन बाघ छलांग लगाकर पार कर जाते है। भगहा थाना के धुम्माटांड़ जसौल गांव के मो. कलाम, जिगना गांव मनोहर उरांव का कहना है कि नेपाली क्षेत्र में बाघ हमला किया है। इस वजह से गांव के लोग डरे हुए हैं।20 दिनों तक रिहायशी इलाके में भटका था बाघ
वीटीआर का मंगुराहा वन क्षेत्र बाघों के आवासन के लिए मुफीद है। सर्वाधिक बाघ इस परिक्षेत्र में अपना अधिवास बनाए हुए हैं। बीते 13 जुलाई को नीलगाय का पीछा करते एक बाघ मैनाटांड़ के पुरैनिया सरेह में पहुंचा था। वहां नीलगाय को मारने के बाद तीन दिनों तक रहा। फिर वह रिहायशी इलाके में चनपटिया, साठी आदि में 20 दिनों तक भटकता रहा। वन कर्मियों के काफी मशक्कत के बाद बाघ जंगल में लौटा था।यह भी पढ़ें: मोबाइल जब्त होने पर इतना गुस्सा? सिमुलतला स्कूल के छात्रों ने पार की हदें, शिक्षकों के घरों पर की तोड़फोड़; गाली-गलौज भी की 'विकास तेरा नहीं मेरा पति'; दो पत्नियों के बीच जमकर हुई मारपीट, चौराहे पर चला हाईवोल्टेज ड्रामाचितवन निकुंज के सुगीभार जंगल में बाघ के हमले में तुलसीदास राउत थारु की मौत हुई है। बाघ के पगमार्क की जांच की जा रही है। जांच के बाद हीं पता चलेगा कि बाघ वीटीआर का है या चितवन निकुंज का। इस संभावना पर भी जांच हो रही है।