मॉरीशस कार्यक्रम के बाद ओडिशा लौटीं रासेश्वरी देवी जी, 25 दिन की यात्रा में छाई भागवत महापुराण की लहर
पूजनीया रासेश्वरी देवी भारत से 70 भक्तों के प्रतिनिधिमंडल के साथ 12 अगस्त 2024 को मॉरीशस पहुंचीं जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। देवी जी ने मॉरीशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन से 16 अगस्त के दिन मुलाकात की। वहां श्रीमद्भागवत महापुराण कथा यज्ञ का आयोजन 17 अगस्त से 23 अगस्त तक किया गया जिसमें प्रतिदिन लगभग 400 श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
ब्रांड डेस्क, जयपुर। पूजनीया देवी जी भारत से 70 भक्तों के प्रतिनिधिमंडल के साथ 12 अगस्त 2024 को मॉरीशस पहुंचीं। शिव सागर रामगुलाम एयरपोर्ट पर देवी जी का भव्य स्वागत किया गया। करीब 25 दिनों तक आयोजित इस यात्रा में चारों ओर भागवत महापुराण की लहर छाई रही। पूजनीय देवी जी ने न केवल श्रीमद्भागवत कथा का ज्ञान सुनाया, बल्कि मॉरीशस के लोगों को सनातन धर्म के सार्वभौमिक पहलुओं से भी परिचित कराया।
MBC रेडियो और TV में LIVE साक्षात्कार
रेडियो पर दिए गए अपने लाइव साक्षात्कार में देवी जी ने बताया कि सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हम दो भागों में बंटे हुए हैं— एक हमारा शरीर और दूसरा हमारी आत्मा। जैसा कि संसार शरीर से संबंधित है, उसी प्रकार परमात्मा आत्मा से संबंधित है। परमात्मा को केवल आध्यात्मिक मार्ग पर चलकर ही प्राप्त किया जा सकता है।
मॉरीशस के राष्ट्रपति से मुलाकात
देवी जी ने मॉरीशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन से 16 अगस्त के दिन मुलाकात की। अपनी मुलाकात में उन्होंने कहा, 'हमारा मिशन दुनिया की हर आत्मा में रूपांतरण लाना और उसमें ईश्वर के प्रेम का बीज बोना है। प्रेम का बीज हर व्यक्ति की सोच को सकारात्मक ऊर्जा से भर देगा और यही एकमात्र तरीका है, जिससे लोगों को सांसारिक दुखों की भावना से मुक्ति मिलेगी और पूरे विश्व में शांति का माहौल कायम होगा।'श्रीमद्भागवत महापुराण कथा यज्ञ
श्रीमद्भागवत महापुराण कथा यज्ञ का आयोजन 17 अगस्त से 23 अगस्त तक किया गया, जिसमें प्रतिदिन लगभग 400 श्रद्धालुओं ने भाग लिया। कथा की पूर्व संध्या (16 अगस्त) को श्री राधा कृष्ण की दिव्य झांकी के साथ कलश यात्रा का पावन अनुष्ठान किया गया। भक्तों ने श्री राधा कृष्ण की मूर्ति को अपने हाथों में थामे और श्रीमद्भागवत महापुराण के भगवद् स्वरूप को अपने सिर पर धारण कर भगवन्नाम के कीर्तन के बीच इस महापर्व में भाग लिया। मॉरीशस में वह शाम पूजनीया देवी जी की दिव्य आभा से आलोकित थी।
सनातन धर्म की सार्वभौमिकता का वर्णन करते हुए देवी जी ने कहा कि सनातन धर्म का आदर्श वसुधैव कुटुम्बकम है। सनातन धर्म प्रत्येक व्यक्ति के मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक सभी पहलुओं का रक्षक है। तीसरे दिन कथा में पूजनीया देवी जी ने भागवत वक्ता शुकदेव परमहंस के जीवन का वर्णन करते हुए कहा कि भक्ति के बिना आज का जीवन जटिल हो गया है। भागवत हमारे जीवन को सरल बनाती है।
उन्होंने जीवन में गुरु के महत्व को समझाया। देवी जी ने कहा कि गीता आध्यात्मिक प्रशिक्षुओं का ग्रंथ है, उपनिषद ईश्वर का पता बताते हैं, लेकिन भागवत आपको ईश्वर से मिलाती है। विदुर के जीवन का उदाहरण देते हुए देवी जी ने कहा कि जीवन के सत्य को स्वीकार करने से दुःख का अनुभव नहीं होता। अंतिम दिन देवी जी ने महारास का दिव्य प्रसंग प्रस्तुत किया, जिसके माध्यम से उन्होंने भक्तों को प्रेम की सर्वोच्च अवस्था से परिचित कराया, जो प्रत्येक जीव के लिए अनुभव की अंतिम अवस्था है। देवी जी ने गोपी गीत के भावपूर्ण गायन से श्रोताओं के दिलों को छू लिया।