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बच्चों और किशोरों में मांसपेशियों की कमजोरी के क्या है कारण, कैसे इससे बचा जाए

9 से 12 साल की उम्र में बच्चों के शरीर में कई जरूरी बदलाव होते हैं। इस दौरान बच्चों में मसल्स स्ट्रेंथ और बोन डेंसिटी में भी बदलाव होता है जिससे मसल्स की क्षमता और शरीर की ताकत प्रभावित हो सकती है। इससे शरीर के पूरे स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। हालांकि कई बार उनकी मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। जानते हैं इसके कारण और बचाव के तरीके।

By Jagran News Edited By: Harshita Saxena Updated: Fri, 17 May 2024 03:34 PM (IST)
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इन वजहों से कमजोर होती हैं बच्चों और किशोरों की मांसपेशियां

ब्रांड डेस्क, नई दिल्ली। 9 से 12 वर्ष की आयु के बच्चे और किशोरों के लिए शरीर में बदलाव एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसके अलावा इस उम्र में बच्चों में मसल्स स्ट्रेंथ और बोन डेंसिटी में भी बदलाव होता है। इससे मसल्स की क्षमता और शरीर की ताकत प्रभावित हो सकती है। यह चीज शरीर के पूरे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये बदलाव शारीरिक विकास का एक स्वाभाविक हिस्सा है और जरूरी नहीं कि इनसे सभी की मांसपेशियों की ताकत में गिरावट आए।

जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है वैसे-वैसे उसकी स्ट्रेंथ में बदलाव आता है। अगर बढ़ती आयु के बाद भी उसकी ताकत कम हो रही है, तो इससे उसकी दैनिक गतिविधियों और शारीरिक प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 1998, 2008 और 2014 के बीच 10 वर्षीय बच्चों की स्ट्रेंथ और फिटनेस की तुलना की। बच्चों का सिट-अप, हैंड-ग्रिप स्ट्रेंथ, खड़े होकर लंबी छलांग लगाना और बेंट-आर्म हैंगिंग का टेस्ट किया गया। परिणामों से पता चला कि 16 साल की अवधि में मांसपेशियों की ताकत में 20% की कमी और मांसपेशियों की सहनशक्ति में 30% की कमी आई। 1998 से 2008 की अवधि में मांसपेशियों की सहनशक्ति में गिरावट प्रतिवर्ष 2.5% थी, जो 2008 के बाद बढ़कर प्रति वर्ष 4% हो गई।

स्रोत - 10 वर्षीय इंग्लिश बच्चों की मांसपेशियों की फिटनेस में अस्थायी रुझान-1998- 2014: एक एलोमेट्रिक दृष्टिकोण; खेल में साइंस और मेडिसिन जर्नल

(गेविन आर.एच. सैंडरकॉक, डेनियल डी. कोहेन )

https://www.sciencedirect.com/science/article/abs/pii/S1440244018304389

इसका एक कारण जिसे अक्सर अनदेखा किया जाता है, वह है विटामिन डी जैसे आवश्यक पोषक तत्व की भूमिका। यह महत्वपूर्ण विटामिन हड्डियों के स्वास्थ्य, मांसपेशियों के कार्य और समग्र शारीरिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विटामिन बच्चों के शुरुआती वर्षों में शारीरिक ताकत के नाश होने से रोकने में मदद करता है।

बच्चों और किशोरों में मांसपेशियों की कमजोरी आम क्यों है?

1. मांसपेशियों के विकास में असंतुलन: किशोरावस्था में होने वाले विकास, जो यौवन की एक पहचान है, अक्सर मांसपेशियों के विकास में असंतुलन पैदा करती है। कुछ मांसपेशियां दूसरों की तुलना में तेज गति से बढ़ सकती हैं, जिससे अस्थायी कमजोरी और स्ट्रेंथ में कमी आ सकती है।

2. सेडेंटरी लाइफस्टाइल: मोबाइल फोन, लैपटॉप और टैबलेट के इस्तेमाल से बच्चे कई- कई घंटे बैठे रहते हैं। वे स्क्रीन पर बहुत ज्यादा समय बिताते हैं और पर्याप्त व्यायाम नहीं करते। पर्याप्त शारीरिक गतिविधि न होने की वजह से मांसपेशियां कमजोर होने लगती है।

3. शरीर में पोषक तत्वों की कमी: अपर्याप्त पोषण, जिसमें अपर्याप्त प्रोटीन और विटामिन-डी की कमी शामिल है, मांसपेशियों के विकास को बाधित कर सकती है। मांसपेशियों के विकास और उसके रखरखाव के लिए आवश्यक बिल्डिंग ब्लॉक जरूरी है जो उचित पोषण से मिलेगा।

4. कार्डियोवैस्कुलर व्यायाम पर अत्यधिक जोर: शरीर के लिए कार्डियोवैस्कुलर व्यायाम महत्वपूर्ण है। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के नाम पर रनिंग या साइकिल चलाने जैसी गतिविधियों पर अत्यधिक जोर देना असंतुलन का कारण बन सकता है। यहां मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए रेजिस्टेंस ट्रेनिंग महत्वपूर्ण है।

मांसपेशियों की कमजोरी को दूर करने के लिए क्या तरीके अपनाएं

1. नियमित रूप से स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करें: बच्चों के लिए एक ऐसा दिनचर्या बनाएं, जिसमें स्ट्रेंथ ट्रेनिंग शामिल हो जैसे बॉडी वेट एक्सरसाइज, रेजिस्टेंस ट्रेनिंग, योग और पिलेट्स एक्सरसाइज। ये मांसपेशियों की ताकत और लचीलेपन को बढ़ाते हैं।

2. संतुलित पोषण का सेवन: मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक प्रोटीन, विटामिन और मिनरल से भरपूर आहार पर जोर दें। मांसपेशियों के निर्माण और रिकवरी के लिए पर्याप्त प्रोटीन का सेवन जरूरी है। इसके लिए उन्हें लीन मीट, डेयरी, फल, सब्जियां और साबुत अनाज जैसे आवश्यक पोषक तत्व प्रदान किया जा सकता है।

3. विटामिन-डी का पर्याप्त सेवन: विटामिन डी कैल्शियम और फास्फोरस के अवशोषण में सहायता करता है। हड्डियों के विकास और रखरखाव के लिए यह महत्वपूर्ण माना जाता है। बच्चों या किशोरों के तेजी से हो रहे विकास में पर्याप्त विटामिन डी विशेष रूप से लाभदायक होता है, क्योंकि यह स्केलेटल सिस्टम की मांगों को पूरा करता है। शोध से पता चला है कि विटामिन डी मांसपेशियों के कार्य और ताकत में भूमिका निभाता है। इसकी कमी से मांसपेशियों का स्वास्थ्य खराब हो सकता है, जिससे शारीरिक कमजोरी और ताकत में कमी हो सकती है।

4. शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा: शारीरिक रूप से सक्रिय जीवनशैली से स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है जैसे वाकिंग, हाइकिंग और रिक्रिएशनल गेम्स। ये पूरे मांसपेशियों की सक्रियता और शारीरिक तंदुरुस्ती में योगदान करती हैं।

5. सही पोस्चर: अलग-अलग गतिविधियों के दौरान पोस्चर कैसा होना चाहिए, बच्चों को यह बताना जरूरी है। शरीर का पोस्चर अगर सही होगा तो चोट लगने की संभावना कम रहती है और मसल्स भी बेहतर तरीके से काम कर पाते हैं।

6. पर्याप्त आराम और रिकवरी है जरूरी: रोजाना शरीर को पर्याप्त आराम और रिकवरी की जरूरत होती है। इसके लिए किशोरों को पर्याप्त नींद लेना चाहिए, जिससे मांसपेशियों की रिकवरी के लिए समय मिल सके। आराम मांसपेशियों के विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो चोटों को रोकने और स्ट्रेंथ को बढ़ाने में मदद करता है।

बच्चों और किशोरों की मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए यह जरूरी है कि जीवनशैली में बदलाव किया जाए। इससे हम उनके भविष्य को शारीरिक रूप से सशक्त और सुरक्षित बना सकते हैं। माता-पिता के रूप में हमारा पहला कदम सही जानकारी प्राप्त करना है और सही समय पर सही निर्णय लेना है। आखिरकार, अच्छी तरह से जानकारी रखने वाले माता-पिता ही सबसे अच्छे निर्णय लेते हैं।

अगर आप अपने बच्चे के विटामिन डी के स्तर को समझना चाहते हैं, तो https://www.tayyarijeetki.in पर Nutricheck टूल पर जाएं।

लेखिका- तान्या मेहरा , चाइल्ड न्यूट्रीनिस्ट

स्रोत:

https://www1.essex.ac.uk/news/event.aspx?e_id=3077

https://www.theguardian.com/society/2018/sep/25/study-reveals-fall-in-muscle-strength-of-10-year-olds

https://www.bbc.com/news/health-45651719

डिस्क्लेमर: “इस कॉन्टेंट में दी गई जानकारी केवल सूचना प्रदान करने के उद्देश्य के वास्ते है और इसे प्रोफेशनल मेडिकल एडवाइस, डायग्नोसिस या ट्रीटमेंट का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपने आहार, व्यायाम या दवा की दिनचर्या में कोई भी बदलाव करने से पहले अपने चिकित्सक या किसी अन्य योग्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की सलाह लें।"