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Card Tokenization के साथ आपकी प्राइवेसी को नहीं होता कोई खतरा, जानिए सुरक्षा के लिए कैसे करता है काम

Card Tokenization ऑनलाइन पेमेंट करते समय कई बार फ्रॉड का डर बना रहता है। ऐसे में इस तरह के फ्रॉड को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक ने Card Tokenization सिस्टम चालू किया है। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर कार्ड टोकनाईजेशन सिस्टम कैसे ऑनलाइन फ्रॉड से बचाता है। इसके अलावा यह कैसे काम करता है। पढ़िए पूरी खबर...

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Wed, 22 Nov 2023 08:30 PM (IST)
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Card Tokenization के साथ आपकी प्राइवेसी को नहीं होता कोई खतरा
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड के ट्रांजेक्शन को सुरक्षित बनाने के लिए Card Tokenization सिस्टम लागू किया है। इस सिस्टम का उद्देश्य ग्राहकों को ऑनलाइन पेमेंट के लिए ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित करना। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल आता है कि कार्ड टोकनाइजेशन कैसे ऑनलाइन फ्रॉड से सुरक्षित रखती है।

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कार्ड टोकेनाइजेशन क्या है?

टोकेनाइजेशन एक तरह की सिस्टम है। यह ऑनलाइन पेमेंट के समय डेबिट या क्रेडिट कार्ड की डाटा को सुरक्षित रखता है। कार्ड टोकेनाइजेशन में क्रेडिट या डेबिट कार्ड में शामिल 16 डिजिट का कार्ड नंबर, नाम, एक्सपायरी डेट और कोड को सिक्योर किया जाता है। कार्ड क नंबर को एक यूनिक नंबर में बदल दिया जाता है। कार्ड टोकेनाइजेशन से आसानी से थर्ड पार्टी ऐप या वेबसाइट से कांटेक्टलैस पेमेंट करने की सुविधा मिलती है।

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कार्ड टोकेनाइजेशन सिक्योरिटी के लिए काफी जरूरी है। यह ऑनलाइन शॉपिंग करते समय हो रहे फ्रॉड को एक हद तक कम कर दिया है। उदाहरण के तौर पर कि अगर कभी किसी मर्चेंट की डिटेल्स हैक हो जाती है तो ऐसे में ग्राहक की जानकारी का भी डाटा चोरी होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में कार्ड टोकेनाइजेशन ग्राहक के डाटा को सुरक्षित रखने में मदद करता है।

कार्ड टोकेनाइजेशन कैसे काम करता है?

कार्ड टोकेनाइजेशन में ग्राहक की जानकारी को अल्फानुमेरिक ID में बदल दिया जाता है। इस यूनिक आईडी में ग्राहक की कोई भी जानकारी को शामिल नहीं किया जाता है। अल्फानुमेरिक ID के बारे में बैंक को बताया जाता है कि ग्राहक की जानकारी को कहां पर सुरक्षित किया जाता है। इस टोकन की जानकारी किसी भी मर्चेंट के पास नहीं होती है।

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