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बैंकों के निष्क्रिय खातों में पड़े हैं 26,697 करोड़ रुपये, जानें कैसे करें क्‍लेम

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि बैंकों (सार्वजनिक और सहकारी दोनों) के नौ करोड़ निष्क्रिय खातों में 26697 करोड़ रुपये पड़े हैं। पिछले 10 सालों के दौरान इन खातों में किसी तरह का लेनदेन नहीं हुआ है।

By Manish MishraEdited By: Updated: Thu, 02 Dec 2021 09:09 AM (IST)
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Rs 26,697 crore are lying in dormant accounts of banks, know how to claim
नई दिल्ली, पीटीआइ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि बैंकों (सार्वजनिक और सहकारी दोनों) के नौ करोड़ निष्क्रिय खातों में 26,697 करोड़ रुपये पड़े हैं। पिछले 10 सालों के दौरान इन खातों में किसी तरह का लेनदेन नहीं हुआ है। एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक से प्राप्त सूचना के मुताबिक 31 दिसंबर, 2020 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ऐसे खातों की संख्या 8,13,34,849 थी और इनमें 24,356 करोड़ रुपये जमा हैं। जबकि शहरी सहकारी बैंकों में ऐसे खातों की संख्या 77,03,819 है और इनमें 2,341 करोड़ रुपये जमा हैं।

'बैंकों में ग्राहक सेवा' पर रिजर्व बैंक द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि बैंकों को उन खातों की वार्षिक समीक्षा करनी होगी, जिनमें एक वर्ष से अधिक समय से कोई लेनदेन नहीं हुआ है। इस तरह के खाताधारकों से ना केवल बैंक संपर्क करें बल्कि लिखित रूप में भी सूचित करें कि उनके खातों में लेनदेन नहीं हो रहा है। बैंकों को यह भी सलाह दी गई है जो खाते निष्क्रिय हो गए हैं, उन खाताधारकों और या उनके नामिनी का पता लगाएं और खातों को दोबारा शुरू कराएं।

दो वर्षों तक लेनदेन नहीं होने पर

ऐसे खातों को निष्क्रिय माना जाता है, जिसमें दो वर्षों तक कोई लेनदेन नहीं होता है। इस तरह के खातों में पैसा जमा तो हो सकता है, लेकिन निकाला नहीं जा सकता है। इस तरह के खातों में जमा पैसे को दावारहित राशि (अनक्लेम्ड फंड) कहा जाता है। इस मद की पूरी रकम भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के डिपाजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (डीईएएफ) में जमा हो जाती है। इसका उपयोग ग्राहकों में जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जाता है। अगर कोई ग्राहक डीईएएफ में गई रकम वापस मांगता है तो बैंक को ब्याज सहित लौटाना होता है।

क्लेम फार्म भरकर वापस पा सकते हैं पैसा

आरबीआइ के अनुसार प्रत्येक बैंक को अपनी वेबसाइट पर अनक्लेम्ड रकम का ब्योरा देना होता है। अगर इसमें किसी ग्राहक की रकम है तो उसे अपने बैंक की वेबसाइट पर जाकर यह जानकारी जुटानी होती है। वह निष्क्रिय खाते की जानकारी जुटाने के लिए नाम और जन्मतिथि, पैन नंबर, पासपोर्ट नंबर अथवा टेलीफोन नंबर के जरिये यह सूचना हासिल कर सकता है। उसके बाद वह बैंक की संबंधित शाखा में जाकर क्लेम फार्म भरता है और केवाईसी समेत संबंधित दस्तावेज जमा करता है। बैंक यह सुनिश्चित कर लेता है कि दावेदार असली है तो वह भुगतान जारी कर देता है। खाताधारक की मृत्यु और उसके उत्तराधिकारी द्वारा दावा किए जाने के मामले में उसे खाताधारक का मृत्यु प्रमाणपत्र और अन्य दस्तावेज जमा करने पड़ते हैं। लंबित राशि के भुगतान के साथ ही खाता फिर चालू हो जाता है। बैंक खाता निष्क्रिय होने पर भी जमा पर ब्याज की रकम खाते में जमा होती रहती है।