Bank Loan: बैंकों में पैसे जमा करना कम कर रहे लोग, क्या मुश्किल होने वाला है अब कर्ज लेना?
भारत में लोन लेने की शर्तें अभी ज्यादा कठिन नहीं हैं। यही वजह है कि बैंकों की लोन ग्रोथ लगातार बढ़ रही है। लेकिन दूसरी ओर डिपॉजिट घट रहा है। बैंक अमूमन डिपॉजिट को ही कर्ज के रूप में देकर ब्याज से मुनाफा कमाते हैं। ऐसे में अगर उनके पास जमा से ज्यादा लोन की डिमांड रहेगी तो वे कर्ज देने की प्रक्रिया को थोड़ा मुश्किल कर सकते हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों में HDFC बैंक और यस बैंक समेत कई बैंकों ने अपने जनवरी-मार्च तिमाही नतीजों का एलान किया। इनमें से अधिकतर की ग्रोथ और प्रॉफिट में दमदार वृद्धि हुई है। मौजूदा वित्त वर्ष में भी इनका प्रदर्शन शानदार रहने का अनुमान है।
हालांकि, अमेरिका की प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसी S&P Global Ratings का मानना है कि बैकों को मजबूरन अपनी लोन ग्रोथ कम करनी पड़ सकती है, क्योंकि बैंक डिपॉजिट उस रफ्तार से नहीं बढ़ रहा। मतलब कि लोग बैकों में ज्यादा पैसे नहीं जमा कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास अच्छे रिटर्न के साथ निवेश के कई विकल्प हो गए हैं।
S&P ग्लोबल रेटिंग्स में साउथ ईस्ट एशिया की डायरेक्टर निकिता आनंद का कहना है, 'अगर बैंकों की डिपॉजिट ग्रोथ, खासकर रिटेल डिपॉजिट, सुस्त बनी रहती है, तो यह उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं होगा। इस स्थिति में बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ वित्त वर्ष 2024-25 में घटकर 14 प्रतिशत पर आ जाएगी, जो पिछले वित्त वर्ष में 16 प्रतिशत थी।
कर्ज ज्यादा, जमा करना
S&P के मुताबिक, सभी बैंकों के लोन-टु-डिपॉजिट रेशियो में गिरावट आई है यानी कि लोग बैंकों से कर्ज ज्यादा ले रहे हैं, लेकिन अपने पैसे कम जमा कर रहे हैं। डिपॉजिट ग्रोथ के मुकाबले लोन ग्रोथ 2-3 प्रतिशत अधिक है।निकिता ने कहा, 'हमें उम्मीद हैं कि चालू वित्त वर्ष में बैंक लोन ग्रोथ को कम करेंगे और इसे अपनी डिपॉजिट ग्रोथ के आसपास रखेंगे। अगर बैंक ऐसा नहीं करते, तो उन्हें होलसेल फंडिंग के ज्यादा भुगतान करना होगा, जिसका सीधा असर उनके मुनाफे पर पड़ेगा।'