Move to Jagran APP

ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होने पर आपको मिलेगा कितना रिफंड, जानिए

ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हुए लोगों को राहत देते हुए आरबीआई ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं

By Praveen DwivediEdited By: Updated: Fri, 29 Dec 2017 12:40 PM (IST)
ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होने पर आपको मिलेगा कितना रिफंड, जानिए

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। नोटबंदी और तेज होती डिजिटल इंडिया की मुहिम के बाद बेशक लोग ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की तरफ बढ़े हैं, लेकिन अब भी काफी सारे लोग ऐसे हैं जो ऑनलाइन लेन-देन से घबराते हैं। इसकी प्रमुख वजह समय-समय पर सामने आने वाली ऑनलाइन फ्रॉड की शिकायतें हैं। लेकिन अब आपको घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होने वाले निर्दोष लोगों की मदद के लिए आरबीआई ने हाल ही में नई गाइडलाइन्स जारी की हैं। हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको बताएंगे कि ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होने की सूरत में आप कितना रिफंड पाने के हकदार होते हैं।

देखें वीडियो-

ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के दौरान हुए फ्रॉड से जुड़े रिफंड नियम: पहले के समय में जब भी किसी ग्राहक के साथ कोई फ्रॉड होता था तो सारा कसूर बैंक ग्राहक पर डाल देता था। ग्राहक को इस बात की पुष्टी करनी पड़ती थी उसने अपने बैंक डिटेल्स किसी के साथ साझा नहीं की, अब यह बैंकों के ऊपर है कि वे पता लगाएं कि ग्राहक कहां गलत था और वह ऑनलाइन बैंकिंग करते समय सतर्क था या नहीं।

पहले के समय में ग्राहक को नुकसान उठाना पड़ता था, या फिर बैंक ग्राहक को पैसा लौटाने में लंबा समय लेते थे क्योंकि कोई स्पष्ट गाइडलाइंस नहीं थी। अब आरबीआई ने इस संबंध में स्पष्ट गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। यह निश्चित रूप से ग्राहकों के लिए फायदेमंद साबित होंगी। आरबीआई ने अपनी गाइडलाइंस में बैंकों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे मजबूत और डायनैमिक फ्रॉड डिटेक्शन की प्रणाली अपनाएं।

किन स्थितिओं में ग्राहकों को मिलेगा पूरा रिफंड:

  • जब कोई गलत लेनदेन बैंक की अनदेखी के कारण होता है फिर चाहे ग्राहक ने इस मामले की शिकायत दर्ज कराई हो या नहीं, तो डिजिटल ट्रांजेक्शन कई प्लेटफॉर्म से गुजरता है। इनमें पेयर बैंक, पेई बैंक, पेमेंट गेटवे और ट्रांजेक्शन इंक्रिप्टिड होनी चाहिए। कोई भी डेटा किसी भी इंटरमिडियेटरी के पास स्टोर नहीं होना चाहिए, ये केवल ट्रांस्फर किया जाता है। इस दौरान अगर कोई फ्रॉड होता है तो इसमें ग्राहक जिम्मेदार नहीं होगा। ऐसे में आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार बैंक ग्राहक को पूरा रिफंड देंगे।
  • अगर किसी थर्ड पार्टी का हस्तक्षेप हुआ है जहां पर लापरवाही न तो बैंक की है और न ही कस्टमर की बल्कि उस सिस्टम की है जिसका इस्तेमाल किया गया है। साथ ही कस्टमर ने बैंक को ट्रांजेक्शन के बारे में तीन दिन के भीतर सूचित कर दिया है। इस सूरत में भी ग्राहक को पूरा पैसा वापस मिलेगा।

सीमित जवाबदेही: अगर फ्रॉड ग्राहक की लापरवाही के कारण हुआ है तो ग्राहक बैंक को सूचित करने तक सारा नुकसान खुद उठाएगा। जैसे:

  • अगर ग्राहक जाने अनजाने में अपनी कॉन्फिडेंशियल इंफॉर्मेशन जैसे कि एटीएम पिन, कार्ड नंबर आदि साझा करता है तो बैंक को सूचित करने तक सारा नुकसान ग्राहक खुद उठाएगा।
  • अगर फ्रॉड में ग्राहक और बैंक दोनों की ही गलती नहीं है, लेकिन सिस्टम की गलती है और ग्राहक ने बैंक को चार से सात दिनों के भीतर सूचित कर दिया है तो ग्राहक को 10,000 रुपये या उसकी ट्रांजेक्शन वैल्यू जो भी कम है उतनी खुद अदा करनी पड़ेंगी। यह लिमिट सेविंग एकाउंट, पांच लाख रुपये तक की लिमिट वाले क्रेडिट कार्ड, सालाना औसतन बैंलेस लिमिट 25 लाख तक के करंट एकाउंट के लिए लागू है। अगर ग्राहक तीन दिनों के भीतर सूचित करता है तो पूरी राशि रिफंड कर दी जाएगी। करंट एकाउंट, ओवरड्राफ्ट एकाउंट, और पांच लाख से ऊपर की लिमिट के क्रेडिट कार्ड के लिए अधिकतम सीमा 25000 रुपये है।
  • बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट एकाउंट जो नो फ्रिल्स खाता है उसकी लिमिट 5000 रुपये है।
  • यदि सात दिनों से ज्यादा की देरी हो जाती है तो ग्राहक की जवाबदेही बैंक के बोर्ड की ओर से मंजूर की गई पॉलिसी के आधार पर तय की जाएगी।
  • बैंक अपने ग्राहकों के सभी ट्रांजेक्शन के बारे में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर, ईमेल या एसएमएस के माध्यम से सूचना देता है। अब आरबीआई ने यह अनिवार्य कर दिया है कि बैंक ग्राहकों से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने के लिए उनके मोबाइल नंबर की मांग करें। ग्राहक की ओर से नंबर न देने कि स्थिति में बैंक इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन से मना कर सकता है। हालांकि इस सूरत में एटीएम कैश निकासी की सुविधा चालू रहेगी। मौजूदा समय में एसएमएस का चार्ज खाताधारक ही उठाता है।

क्या है रिप्लाई का विकल्प: आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि वेबसाइट, फोन बैंकिंग, एसएमएस, ईमेल, आईवीआर, टोल फ्री हेल्पलाइन, ब्रांच मैनेजर से संपर्क आदि के अलावा बैंकों को ग्राहकों को रिप्लाई ऑप्शन उपलब्ध कराना होगा ताकि एसएमएस या ईमेल के जरिए उन्हे अलर्ट मिल सके। इसके अतिरिक्त आरबीआई ने कहा है कि बैंकों को डायरेक्ट लिंक देना होगा ताकि ग्राहक शिकायत दर्ज कर सकें, जिसमें अनाधिकृत इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन बैंक की वेबसाइट के होम पेज में दिखे। बैंकों के लिए यह अनिवार्य है कि ग्राहक के शिकायत करते ही इसका तुरंत रिप्लाई भेजा जाए जिसमें रजिस्टर्ड कंप्लेंट नंबर लिखा हो।

रिफंड की क्या है समय सीमा:

  • नई गाइडलाइंस के मुताबिक ग्राहक के बैंक को सूचित करने के 10 वर्किंग डेज में रिफंड क्रेडिट कर दिया जाता है।
  • इसके अलावा जिन मामलों में बैंक का बोर्ड ग्राहक की लायबिलिटी का फैसला करता है उसमें शिकायत 90 दिनों के भीतर एड्रेस की जाती है। अगर बोर्ड ग्राहक की लायबिलिटी पर फैसला नहीं ले पा रहा है तो ग्राहक को जीरो लायबिलिटी मुआवजा दिया जाना चाहिए।