वैसे तो कर्ज लेकर उसे समय से चुकाना बहुत बड़ी बात होती है। अगर टाइम से लोन की रिपेंमेंट (Loan Repayment) नहीं करते हैं तो फिर बैंक के पास सख्त कार्रवाई करने का अधिकार होता है।अब ऐसे में सवाल आता है कि अगर कभी लोन धारक की मृत्यु हो जाती है तो क्या उसका लोन माफ हो जाता है? अगर लोन माफ नहीं होता है तो फिर किसे लोन चुकाना होता है?
जब भी कोई लोन (
Loan) लिया जाता है तो उसमें कोई व्यक्ति लोन चुकाने की गारंटी देता है। ऐसे में अगर लोन का भुगतान नहीं होता है तो फिर गारंटर को लोन की बाकी राशि का भुगतान करना होता है।
इस वजह से फाइनेंशियल एक्सपर्ट भी सलाह देते हैं कि आपको कभी भी किसी लोन की गारंटर बनने से पहले विचार जरूर करना चाहिए।अब इसे ऐसे समझे कि अगर आपने कोई लोन नहीं लिया है और पड़ोसी के 10 लाख के लोन में आप गारंटर है। किसी स्थिति में पड़ोसी का मृत्यु हो जाती है तो उसके लोन की राशि का भुगतान करने की जिम्मेदारी अब आपकी होगी। अगर आप लोन का भुगतान नहीं करते हैं तब बैंक आपके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा।
क्या बदल सकते हैं गारंटर का नाम?
अब अगर कोई व्यक्ति पर्सनल लोन लेता है तो वह लोन के गारंटर, कानूनी वारिस या को-बॉरोअर के नाम में बदलाव भी कर सकता है। यहां तक कि गारंटर भी बैंक में खुद जाकर अपना नाम बदलने के लिए रिक्वेस्ट दे सकता है।भले ही पर्सनल लोन (
Personal Loan) बाकी लोन की तुलना में काफी महंगा होता है पर यह लोन अनसिक्योर्ड होता है। यानी कि इस लोन में कोई भी गारंटी नहीं देनी होती है। इसका मतलब है कि लोन चुकाने से पहले ही कर्जदार की मृत्यु हो जाती है तो गारंटर या कानूनी वारिस से लोन की राशि नहीं वसूली जाती है।
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क्या पर्सनल लोन माफ हो जाता है?
पर्सनल लोन में किसी भी तरह की सिक्योरिटी नहीं देनी होती है। ऐसे में बैंक लोन धारक की प्रॉपर्टी को जब्त नहीं कर सकता है। बाकी लोन में बैंक के पास प्रॉपर्टी जब्त करने का अधिकार होता है।पर्सनल लोन में लोन धारक की मृत्यु के बाद उसके लोन को माफ कर दिया जाता है और बैंक लोन की राशि को एनपीए अकाउंट (NPA Account) में डाल देता है। अगर दो व्यक्ति ने मिलकर पर्सनल लोन लिया है तो ऐसे में दूसरे व्यक्ति को लोन का भुगतान करना होता है।
पर्सनल लोन में मिलता है इंश्योरेंस
कई लोग इस बात से अनजान होते हैं कि पर्सनल लोन में लोन धारक को इंश्योरेंस (Insurance) का भी लाभ मिलता है। इसमें लेनदार इंश्योर्ड होता है। यह इंश्योरेंस लोन की पूरी रीपेमेंट अवधि तक जारी रहती है। लोन चुकाने के बीच अवधि में ही अगर लोन धारक के साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो ऐसे में लोन माफ कर दिया जाता है।
इसमें बैंक को लोन की राशि इंश्योरेंस कंपनी द्वारा मिलती है। इंश्योरेंस कंपनी वो होती जिसमें लोन का बीमा होता है।
बाकी लोन में बैंक कैसे करता है रिकवर?
पर्सनल लोन में ही बैंक के पास प्रॉपर्टी जब्त करने का अधिकार नहीं होता है। बाकी लोन में बैंक रिकवर के लिए प्रॉपर्टी को सीच कर सकता है।
अगर कर्जदार की मृत्यु हो जाती है तो बैंक सबसे को-एप्लिकेंट से संपर्क करता है। अगर वह लोन चुकाने से मना कर देता है तब बैंक घर के सदस्यों से संपर्क करता है। उनके द्वारा भी अगर मना कर दिया जाता है तो इसके बाद बैंक गारंटर से संपर्क करता है।अगर गारंटर भी लोन चुकाने से मना कर देता है तो बैंक लोन के लिए गिरवी रखी प्रॉपर्टी को सील कर देता है और उसे बेचकर लोन की रिकवरी करता है।
अगर कोई व्यक्ति लोन चुकाने के लिए तैयार होता है तो बैंक गिरवी रखी प्रॉपर्टी का मालिक उसे बना देता है।
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