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SBI, ICICI और HDFC बैंक के लिए हुआ अहम ऐलान, आरबीआई ने दी ये बड़ी खुशखबरी

आरबीआई ने एसबीआई आइसीआइसीआई और एचडीएफसी बैंक के ग्राहकों के लिए बड़ी खुशखबरी दी है। आरबीआई के इस ऐलान के बाद इन बैंकों की अहमियत भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में और भी बढ़ जाएगी। आइए इसके बारे में जानते हैं।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Tue, 03 Jan 2023 09:05 AM (IST)
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RBI says SBI ICICI HDFC Bank continue to remain Domestic Systemically Important Banks

मुंबई, बिजनेस डेस्क। आरबीआई ने सार्वजनिक क्षेत्र के एसबीआइ और निजी क्षेत्र के आइसीआइसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक को फिर से प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण घरेलू बैंकों (डी-एसआइबी) के रूप में चुना है। एसआईबी ऐसे बैंक को कहा जाता है जो टू बिग टू फेल (टीबीटीएफ) की श्रेणी में आता है। यानी इस बैंक के फेल होने का असर व्यापक होता है।

टीबीटीएफ दर्जा के चलते फेल होने पर सरकार ऐसे बैंकों की मदद करती है। एसआईबी दर्जा की वजह से ऐसे बैंक वित्त पोषण बाजार में भी कुछ फायदा उठाते हैं। इससे पहले 2021 में भी आरबीआई ने इन तीनों बैंकों को डी-एसआइबी के रूप में चुना था। आरबीआई ने 31 मार्च 2022 तक बैंकों से मिले डाटा के आधार पर इन तीनों बैंकों का चयन किया है। केंद्रीय बैंक ने 22 जुलाई 2014 को प्रणालीगत रूप से डी-आरबीआई के संबंध में फ्रेमवर्क जारी किया था।

आरबीआई ने दिया ये अपडेट

रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि 'एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक को उसी बकेटिंग ढांचे के तहत व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण बैंकों (डी-एसआईबी) के रूप में पहचाना जाता है, जैसा कि 2021 की डी-एसआईबी की सूची में था।' डी-एसआईबी के लिए अतिरिक्त कॉमन इक्विटी टियर 1 (सीईटी1) की आवश्यकता 1 अप्रैल, 2016 से चरणबद्ध तरीके से लागू की गई थी और 1 अप्रैल, 2019 से पूरी तरह प्रभावी हो गई थी। अतिरिक्त सीईटी1 आवश्यकता पूंजी संरक्षण बफर के अतिरिक्त होगी।

क्या है ये योजना

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2015 और 2016 में SBI और ICICI बैंक को D-SIB के रूप में घोषित किया था। 31 मार्च, 2017 तक बैंकों से एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर, HDFC बैंक को भी D-SIB के रूप में वर्गीकृत किया गया था। मौजूदा अपडेट 31 मार्च, 2022 तक बैंकों से जुटाए गए डेटा पर आधारित है।

डी-एसआईबी से निपटने के लिए ढांचा जुलाई 2014 में जारी किया गया था। ढांचे के लिए आरबीआई को 2015 से शुरू होने वाले डी-एसआईबी के रूप में नामित बैंकों के नामों का खुलासा करना होगा और इन उधारदाताओं को उनके प्रणालीगत महत्व स्कोर (एसआईएस) के आधार पर उपयुक्त बकेट में रखना होगा। एसबीआई के मामले में जोखिम भारित संपत्ति (आरडब्ल्यूए) के प्रतिशत के रूप में अतिरिक्त सामान्य इक्विटी टियर 1 के लिए आवश्यकता 0.6 प्रतिशत है और आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक के लिए 0.2 प्रतिशत है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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