जानिये, कब और कैसे बढ़ाएं अपनी क्रेडिट लिमिट
क्रेडिट लिमिट वह राशि है जो क्रेडिट कार्ड होल्डर एक बिलिंग साइकिल में खर्च कर सकता है
By Pramod Kumar Edited By: Updated: Sat, 03 Nov 2018 11:30 AM (IST)
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। हर क्रेडिट कार्ड के साथ एक क्रेडिट लिमिट मिलती है। क्रेडिट लिमिट वह राशि है जो क्रेडिट कार्ड होल्डर एक बिलिंग साइकिल में खर्च कर सकता है। क्रेडिट लिमिट सेट करने का एक उद्देश्य अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाए रखने में मदद करना है। अलग-अलग बैंक हर कार्ड होल्डर के लिए अलग क्रेडिट लिमिट तय करते हैं।
क्रेडिट लिमिट तय करने के पीछे कई फैक्टर होते हैं। किसी भी ग्राहक की क्रेडिट लिमिट तय करते वक्त बैंक उनकी क्रेडिट हिस्ट्री, इनकम, लोन और दूसरे बैंको द्वारा जारी किए गए दूसरे क्रेडिट कार्ड और उनकी लिमिट की जांच करते हैं। हालांकि, कई बैंक इन फैक्टर्स की जांच किए बिना भी क्रेडिट कार्ड जारी कर देते हैं।क्रेडिट लिमिट कब बढ़ाएं?
शुरुआत में कम इनकम के आधार पर क्रेडिट लिमिट काफी कम होती है। ऐसे में थोड़े समय बाद कार्ड होल्डर को लगने लगता है कि उसकी क्रेडिट लिमिट कम है। इस वजह से वह ज्यादा खर्च नहीं कर पाता है। साथ ही इनकम बढ़ने पर ग्राहकों की खर्च करने की क्षमता भी बढ़ती जाती है। इसलिए अपनी आय बढ़ने या हर तीसरे-चौथे साल अपनी क्रेडिट लिमिट बढ़ा लें। इससे आप समय के साथ बढ़ती महंगाई के बीच अपनी जरूरतें पूरी कर सकेंगे। हालांकि, अपनी लिमिट बढ़ाने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आप पर कोई देनदारी तो नहीं बची है। अगर आप पर कोई देनदारी है तो कोशिश करें कि उसे पहले पूरा कर लिया जाए।
क्रेडिट लिमिट बढ़ाने का तरीका?
अगर आप अपनी क्रेडिट लिमिट बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको बैंक में आवेदन करना होगा। आवेदन मिलने के बाद आपके कार्ड यूजेस की जांच करता है। साथ ही बैंक देखता है कि आप समय पर बिल का भुगतान कर रहे हैं या नहीं। इनके अलावा आपके क्रेडिट स्कोर आदि को देखने के बाद बैंक आपकी क्रेडिट लिमिट बढ़ा देता है। इसके अलावा आप बैंक के कस्टमर केयर में कॉल कर भी अपनी लिमिट बढ़ा सकते हैं।
अगर तय समय से पहले आपकी इनकम बढ़ गई है तब भी आप अपनी क्रेडिट लिमिट बढ़ा सकते हैं। इसके लिए आपको बैंक में इनकम सर्टिफिकेट दिखाना होगा। इसके अलावा कई बार बैंक कार्ड होल्डर की क्रेडिट हिस्ट्री देखकर खुद भी क्रेडिट लिमिट बढ़ाने का ऑप्शन देते हैं। इसके लिए जरूरी है कि अच्छा खर्च और पेमेंट हिस्ट्री सही रखें।