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देशभर में बनाए जाएंगे 12 औद्योगिक शहर, घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है लक्ष्‍य

डीपीआईआईटी के सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि ऐसे आठ शहर पहले से ही क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। गुजरात के धोलेरा महाराष्ट्र के आरिक (औरंगाबाद) मध्य प्रदेश के विक्रम उद्योगपुरी और आंध्र प्रदेश के कृष्णापत्तनम में इन शहरों की बसावट के लिए सहयोगी बुनियादी ढांचा विकसित किया जा चुका है और अब उद्योगों के लिए भूखंडों के आवंटन का काम चल रहा है।

By Agency Edited By: Yogesh Singh Updated: Fri, 26 Jul 2024 09:15 PM (IST)
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सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा ये आठ शहर पहले से ही विकास के चरण में हैं

पीटीआई, नई दिल्ली। देश में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा और गुजरात के धोलेरा की तरह विभिन्न राज्यों में 12 नए औद्योगिक शहर स्थापित किए जाएंगे। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव राजेश कुमार सिंह ने शुक्रवार को कहा कि इस तरह के दो औद्योगिक शहर आंध्र प्रदेश और एक बिहार में विकसित किए जा रहे हैं।

पहले से ही तैयार हो रहे 8 शहर

सिंह ने कहा कि ऐसे आठ शहर पहले से ही क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। गुजरात के धोलेरा, महाराष्ट्र के आरिक (औरंगाबाद), मध्य प्रदेश के विक्रम उद्योगपुरी और आंध्र प्रदेश के कृष्णापत्तनम में इन शहरों की बसावट के लिए सहयोगी बुनियादी ढांचा विकसित किया जा चुका है और अब उद्योगों के लिए भूखंडों के आवंटन का काम चल रहा है। इसी तरह, चार अन्य औद्योगिक शहरों में भी सरकार की विशेष इकाई वाहन सड़क संपर्क, पानी और बिजली आपूर्ति जैसे बुनियादी ढांचे के निर्माण की प्रक्रिया में जुटी हुई है।

औद्योगिक के साथ ही स्‍मार्ट भी होंगे ये शहर

सिंह ने कहा कि ये आठ शहर पहले से ही विकास के चरण में हैं और बजट में 12 नए औद्योगिक शहरों की घोषणा की गई है, जिससे देश में इन शहरों की कुल संख्या 20 हो जाएगी। उन्होंने कहा, 'ये औद्योगिक स्मार्ट शहर हैं। इन 12 नए शहरों के आने पर कुल संख्या 20 हो जाएगी। हमने बुनियादी ढांचा खड़ा करने के बाद भूखंड आवंटित किए। हम पूरे शहर के लिए पर्यावरण मंजूरी लेते हैं, लिहाजा वहां जाने वाली कंपनी को सिर्फ अपना काम शुरू करना होता है।'

सिंह ने कहा कि डीपीआइआइटी नए शहरों के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल से संपर्क करेगा। उन्होंने कहा, 'इसके लिए योजनाएं तैयार हैं और जमीन राज्य सरकारों के पास है। हमें बस इसके लिए गठित विशेष उद्देश्य वाली इकाइयों (एसपीवी) को इक्विटी मंजूरी देनी है।'