Rs 2000 Note: नोटबंदी से कितना अलग है दो हजार की करेंसी बंद करने का फैसला, ये पांच कारण बनाते हैं इसे खास
RBI के फैसले के बाद कुछ लोग इसकी तुलना 2016 में हुई नोटबंदी से कर रहे हैं। हम आपको बताते हैं कि आपको आरबीआई के कल के फैसले की नोटबंदी से तुलना क्यों नहीं करनी चाहिए और इनके क्या कारण हैं।
By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Sat, 20 May 2023 05:42 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2000 रुपये के नोट वापस लेने की घोषणा की है। इसका मतलब ये हुआ कि अब इस नोट की छपाई भी नहीं होगी और न ही कोई बैंक आपको यह नोट देगा। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि ये नोट बंद हो जाएंगे या फिर इनकी वैधता समाप्त हो जाएगी।
आरबीआई ने देश की जनता को बैंक शाखाओं में या फिर नामित आरबीआई कार्यालयों में 2,000 रुपये के नोटों को बदलने या जमा करने के लिए चार महीने यानी 30 सितंबर तक का वक्त दिया है।
डिजिटल मीडिया के इस जमाने में आरबीआई की घोषणा के बाद, सोशल मीडिया पर इसको लेकर कई तरह की अटकलें, फर्जी खबरें और जानकारियां सामने आ रही हैं। कुछ लोग तो आरबीआई की इस घोषणा को 2016 के विमुद्रीकरण अभियान से जोड़कर देख रहे हैं। लेकिन ये आज हम आपको बताते हैं कि आपको आरबीआई के कल के इस फैसले की तुलना नोटबंदी से क्यों नहीं करनी चाहिए।
पहला कारण
आपके लिए यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि 2016 में जो हुआ था वो नोटबंदी था, जिसमें पुराने 500 और 1000 रुपए के नोट अवैध घोषित कर दिए गए, लेकिन कल जो आरबीआई का फैसला आया है उसमें 2000 के नोट के सर्कुलेशन को बंद करने का फैसला लिया गया है, मतलब 2000 रुपये के नोट अभी चलेंगे और आप इससे कोई भी सामान खरीद सकते हैं।दूसरा कारण
आरबीआई के इस फैसले से भारत के किसी भी नागरिक को परेशान या घबराने की जरूरत नहीं है। बैंक शाखाओं या अधिकृत आरबीआई केंद्रों में इन नोटों को जमा करने या बदलने के लिए आरबीआई द्वारा पर्याप्त समय और सुविधा जनता को दी गई है।आप 30 सितंबर तक एक बार में 20,000 मूल्य के 2,000 रुपये तक के नोट बदल सकते हैं। साथ ही ग्राहकों के खातों में 2,000 रुपये के नोट जमा करने पर भी कोई पाबंदी नहीं है।