टॉप 150 जिलों में पांच लाख से ज्यादा आय वाले 60 प्रतिशत परिवार, बेंगलुरु शहरी और हैदराबाद शीर्ष पर
इन संकेतकों के इस्तेमाल से जिला संभावना सूचकांक (डीपीआई) तैयार किया जाता है। जिलों की वृद्धि को मापने के लिए 2019 के डीपीआई स्कोर की तुलना 2023 के साथ की गई है। भारत में जिलों की संख्या 2019 के 723 से बढ़कर 788 हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु शहरी और हैदराबाद जिले 2023 में सभी 788 जिलों में उच्चतम स्कोर के साथ शीर्ष दो स्थानों पर रहे हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली। सालाना पांच लाख या इससे ज्यादा की आय वाले 60 प्रतिशत परिवार देश के शीर्ष 150 जिलों में रहते हैं, जो देश के कुल जिलों का करीब 20 प्रतिशत है। डाटा एनालिटिक्स फर्म क्लैरिटीएक्स ने मंगलवार को जिला संभावना सूचकांक 2024 रिपोर्ट में यह जानकारी दी। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले चार वर्षों में पूरे देश में समृद्धि 17 से 30 प्रतिशत तक की वृद्धि रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अखिल भारतीय जिला औसत से ऊपर के कुल जिलों में से दो-तिहाई पश्चिमी भारत में हैं। इनमें सबसे तेजी से बढ़ते जिलों की हिस्सेदारी भी सबसे अधिक है। रिपोर्ट में आय वितरण, स्वास्थ्य सेवा जैसे सामाजिक प्रोत्साहन, प्रति व्यक्ति शिक्षा सुविधाएं, बुनियादी ढांचे की उपलब्धता, बैंकिंग कवरेज जैसी वित्तीय गतिविधियों जैसे सामाजिक-आर्थिक संकेतकों के आधार पर जिलों की वृद्धि को मापा गया है।
इन संकेतकों के इस्तेमाल से जिला संभावना सूचकांक (डीपीआई) तैयार किया जाता है। जिलों की वृद्धि को मापने के लिए 2019 के डीपीआइ स्कोर की तुलना 2023 के साथ की गई है। भारत में जिलों की संख्या 2019 के 723 से बढ़कर 788 हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु शहरी और हैदराबाद जिले 2023 में सभी 788 जिलों में उच्चतम स्कोर के साथ शीर्ष दो स्थानों पर रहे हैं। मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में झारखंड और त्रिपुरा सबसे अधिक वृद्धि दर्शाने वाले राज्यों के रूप में उभरे हैं।
सबसे तेजी से बढ़ने वाले पंजाब, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्य उत्तरी क्षेत्रों के हैं। रिपोर्ट कहती है कि स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जहां प्रति 1,000 लोगों पर स्वास्थ्य सुविधाओं की संख्या 263 से बढ़कर 903 हो गई है।ये भी पढ़ें- विदेशी निवेशकों का बड़ी कंपनियों से मोहभंग, अब नई रणनीति से भारतीय मार्केट में लगा रहे पैसा