7 years of demonetisation: UPI को मिला जबरदस्त बूस्ट, नकद लेनदेन के साथ डिजिटल ट्रांजेक्शन में आई तेजी
7 नवंबर 2016 को 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट को बंद करने का फैसला लिया गया था। इस फैसले को 7 साल (Demonetisation 7 Years) हो गए हैं। यह फैसला काले धन पर रोक लगाने के लिए लिया गया था। इस फैसले के बाद देश में डिजिटल पेमेंट का युग शुरू हो गया था। इसमें यूपीआई (Unified Payment Interface) ने अपना अहम योगदान दिया था।
By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Wed, 08 Nov 2023 09:43 AM (IST)
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। आज से ठीक 7 साल पहले यानी कि 7 नवंबर 2016 को देश के प्रधानमंत्री ने देश के सभी नागरिकों के लिए एक अहम एलान किया। इस एलान में पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि देश में सभी 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट बंद हो गए हैं। इसका मतलब था कि अब उन नोटों का इस्तेमाल किसी भी लेनदेन के लिए नहीं किया जाएगा। यह फैसला काले धन पर अंकुश लगाने के लिए गया था। नोटबंदी को 7 साल (Demonetisation 7 Years) हो गए हैं।
इस विमुद्रीकरण के फैसले के बाद यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की शुरुआत हुई। यूपीआई ने पूरी तरह से लेनदेन प्रक्रिया को बदल दिया है। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर यूपीआई ने लेनदेन की प्रक्रिया में अपना अहम रोल कैसे निभाया है।यह भी पढ़ें- क्या सोशल मीडिया से हो रही इनकम के बारे में कंपनी को बताना है जरूरी? जानिए क्या कहता है कानून
UPI का अहम रोल
आज यूपीआई (Unified Payment Interface) का इस्तेमाल शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में पहुंच गया है। अगर हम बात करें तो कोविड-19 से पहले यूपीआई पेमेंट केवल बड़े सर्विस या फिर बड़ी पेमेंट के लिए होता था। लेकिन, अब 5 रुपये के टॉफी के लिए भी यूपीआई से भुगतान करना काफी आसान हो गया है। इस साल जारी एक आंकड़ों से पता चलता है कि मई 2023 तक भारत में टोटल रिटेल डिजिटल पेमेंट के लिए यूपीआई का 78 फीसदी से ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, यूपीआई ने ने 11.4 बिलियन (करीब 1,140 करोड़) लेनदेन को पार कर लिया है।इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि अब 3 में 2 व्यक्ति आसानी से यूपीआई के जरिये पेमेंट करता है। डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भी लॉन्च किया गया है। सीबीडीसी ने ऑनलाइन पेमेंट की प्रक्रिया को काफी आसान कर दिया है।देश में जिस प्रकार ऑनलाइन पेमेंट की प्रक्रिया में तेजी देखने तो मिल रही है उसका असर नकद लेनेदेन पर पड़ रहा है। देश में नकद लेनदेन की संख्या काफी कम हो गई है। ऐसे में सवाल आता है कि देश में अब किस सर्विस के लिए नकद लेनदेन किया जाता है।