पैकेज से सरकारी बैंकों को दो अरब का चूना
खस्ताहाल सरकारी एविएशन कंपनी एयर इंडिया की वित्तीय स्थिति सुधारने के पैकेज को सरकारी बैंक अधूरा मान रहे हैं। इन बैंकों का कहना है कि कंपनी पर उनके बकाए की वापसी के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है। यदि एयर इंडिया पर लगभग 11,000 करोड़ रुपये के अल्पकालिक कर्ज को लंबी अवधि के लोन में तब्दील नहीं किया गया तो बैंकों का एनपीए [फंसा कर्ज] बढ़ जाएगा। इससे उन्हें दो अरब रुपये का चूना लग सकता है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। खस्ताहाल सरकारी एविएशन कंपनी एयर इंडिया की वित्तीय स्थिति सुधारने के पैकेज को सरकारी बैंक अधूरा मान रहे हैं। इन बैंकों का कहना है कि कंपनी पर उनके बकाए की वापसी के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है। यदि एयर इंडिया पर लगभग 11,000 करोड़ रुपये के अल्पकालिक कर्ज को लंबी अवधि के लोन में तब्दील नहीं किया गया तो बैंकों का एनपीए [फंसा कर्ज] बढ़ जाएगा। इससे उन्हें दो अरब रुपये का चूना लग सकता है। बैंक अपनी इन चिंताओं से शीघ्र ही वित्त मंत्रालय को अवगत कराएंगे।
बैंकों के लिए बढि़या बात यह है कि इस पैकेज में उन्हें अपने कर्ज की राशि को माफ करने के लिए नहीं कहा गया है। वैसे, उन्हें ज्यादा प्रावधान [प्रॉविजनिंग] करने होंगे। साथ ही उनकी संभावित आय में भी कमी होगी। इस वजह से एयर इंडिया को कर्ज मुहैया कराने वाले 14 बैंकों के कंसोर्टियम को संयुक्त तौर पर दो हजार करोड़ रुपये का झटका लग सकता है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बैंकों ने जब एयर इंडिया को कर्ज दिया था, उसकी तुलना में अब कम ब्याज मिलेगा। साथ ही कर्ज अदायगी की अवधि बढ़ने से उन्हें ज्यादा राशि का समायोजन करना पड़ेगा।