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Aam Budget 2024: निकायों के सुधरे बिना नहीं संवरेंगे शहर, लैंड रिकार्ड के डिजिटाइजेशन पर रहेगा जोर

शहरी मामलों के विशेषज्ञों के अनुसार लैंड रिकार्ड का डिजिटाइजेशन निकायों को संपत्तियों के रिकार्ड रखने में सहायता करेगा लेकिन सवाल यह है कि राज्य सरकारें क्या निकायों को यह अवसर और अधिकार देंगी कि वे अपनी जरूरतों के हिसाब से फैसला कर सकें। क्या वे शहरों के प्रबंधन का विकेंद्रीकरण करने के लिए तैयार हैं। शहरों के विकास के लिए साहसिक परिकल्पना की जरूरत है।

By Yogesh Singh Edited By: Yogesh Singh Updated: Tue, 23 Jul 2024 08:06 PM (IST)
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लैंड रिकार्ड का डिजिटाइजेशन निकायों को संपत्तियों के रिकार्ड रखने में सहायता करेगा

मनीष तिवारी, नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शहरी विकास को उन नौ क्षेत्रों में गिनाया जो देश की प्रगति और आर्थिक विकास का स्तंभ साबित होने जा रहे हैं, लेकिन इसका कोई ठोस खाका, खासकर बुनियादी सुधार की बातें कम से कम उनके बजट भाषण में नजर नहीं आईं। वित्तमंत्री ने शहरों में लैंड रिकार्ड यानी जमीन के दस्तावेजों के डिजिटाइजेशन का अवश्य एलान किया। जीआइएस मैपिंग के साथ यह रिकार्ड शहरी स्थानीय निकायों के संसाधन बढ़ाने में सहायक साबित हो सकता है।

शहरी मामलों के विशेषज्ञों के अनुसार लैंड रिकार्ड का डिजिटाइजेशन निकायों को संपत्तियों के रिकार्ड रखने में सहायता करेगा, लेकिन सवाल यह है कि राज्य सरकारें क्या निकायों को यह अवसर और अधिकार देंगी कि वे अपनी जरूरतों के हिसाब से फैसला कर सकें। क्या वे शहरों के प्रबंधन का विकेंद्रीकरण करने के लिए तैयार हैं। शहरों के ढांचे पर निगाह रखने वाले संगठन जनाग्रह के पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट प्रमुख प्रभात कुमार कहते हैं कि शहरों के विकास के लिए शून्य से सोचना होगा। केंद्र के पास शहरी विकास का एक विजन है, लेकिन यही बात राज्यों के लिए नहीं कही जा सकती।

शहरों के विकास के लिए साहसिक परिकल्पना की जरूरत है। तमाम दूसरे देश अर्बन प्लानिंग में बहुत आगे निकल चुके हैं, लेकिन हम एक आदर्श शहर नहीं बना पा रहे हैं, जिसे उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जा सके। शहरों का विकास राज्यों का विषय है, उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, खासकर अपने निकायों की जवाबदेही और उनके उत्तरदायित्व को लेकर। केंद्र सरकार ने दस साल में शहरी विकास के लिए बहुत पैसा खर्च किया है, लेकिन गौर कीजिए यह अभी भी कुल बजट का 1.7 प्रतिशत ही है। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 2030 में शहरों में रहने वाली आबादी 40 प्रतिशत से होगी।

यह आबादी बेहतर माहौल में जीने की हकदार है। प्रभात कुमार के मुताबिक इस बजट में ही शहरी विकास के लिए कुल आवंटन का 67 प्रतिशत केवल दो मदों के लिए है-पीएम आवास योजना और मेट्रो ट्रांजिट। जाहिर है, शहरी विकास के दूसरे विषय प्राथमिकता में छूट जाते हैं। केंद्र सरकार इस पर जोर दे रही है कि राज्य शहरी सुधारों को अपनाएं। उन्हें सहायता भी इसी कसौटी पर निर्भर की गई है, लेकिन हालात सुधर नहीं रहे हैं। जमीन के रिकार्ड के डिजिटाइजेशन पर वर्षों से ध्यान नहीं दिया जा रहा।

इस डिजिटाइजेशन के बिना वे न तो राजस्व अर्जित कर पा रहे हैं और न ही अपने नागरिकों को सुविधा दे पा रहे हैं। शायद अब वे 1150 करोड़ रुपये राष्ट्रीय अर्बन डिजिटल मिशन के सहारे आगे बढ़ें। उन्हें स्टैंप ड्यूटी को भी तार्किक बनाना होगा। शहरी विकास के लिए प्रमुख खर्च

  • मेट्रो प्रोजेक्ट 24931 करोड़
  • पीएम आवास योजना 30170 करोड़
  • अमृत योजना 8000 करोड़
  • पीएम ई बस सेवा 1300 करोड़
  • स्मार्ट सिटी मिशन 2400 करोड़
  • स्वच्छ भारत मिशन 5000 करोड़