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Aam Budget 2024: मजबूत हुआ खजाना; काबू में घाटा, फिर से राजकोषीय संतुलन पर आगे बढ़ी सरकार

अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटे को 5.1 फीसद पर रखने की बात कही थी। इसके साथ ही सरकार ने सब्सिडी के बिल में 7.8 फीसद की कटौती करते हुए इसे 3.81 लाख करोड़ रुपये पर लाने का प्रस्ताव रखा है। कई विशेषज्ञों ने सरकारी खजाने की मजबूत स्थिति को देखते हुए कहा है कि जल्द ही अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां भारत की रेटिंग में सुधार कर सकती हैं।

By Jagran News Edited By: Yogesh Singh Updated: Tue, 23 Jul 2024 06:41 PM (IST)
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सरकार राजकोषीय संतुलन को लेकर पूरी तरह से सतर्क है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले दिनों जब आरबीआई ने केंद्र सरकार को अपने खाते से 2.10 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किये थे तभी यह साफ हो गया था कि कोविड महामारी के झंझावतों से सरकारी खजाने की नौका बाहर निकल चुकी है। हाल के महीनों में लगातार हर महीने 1.50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का जीएसटी संग्रह, सरकारी कंपनियों से मिलने वाले लाभांश में भारी वृद्धि का असर भी साफ होता दिख रहा है। तभी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटे को 4.9 फीसद पर सीमित करने की बात कही है और अगले वित्त वर्ष 2025-26 में घाटे को 4.5 फीसद (सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में) पर लाने की विश्वास जताया है।

अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटे को 5.1 फीसद पर रखने की बात कही थी। इसके साथ ही सरकार ने सब्सिडी के बिल में 7.8 फीसद की कटौती करते हुए इसे 3.81 लाख करोड़ रुपये पर लाने का प्रस्ताव रखा है। कई विशेषज्ञों ने सरकारी खजाने की मजबूत स्थिति को देखते हुए कहा है कि जल्द ही अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां भारत की रेटिंग में सुधार कर सकती हैं। जिस तरह से राजकोषीय घाटे काबू में आया है इसका असर भारतीय रुपये पर भी दिखेगा और इससे सरकार को महंगाई पर काबू पाने में भी मदद मिलेगी।

वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा है कि कोविड के दौरान राजकोषीय संतुलन को लेकर जो कदम उठाये गये थे उसका लाभ हुआ है। हमारा लक्ष्य अगले वर्ष घाटे को 4.5 फीसद से नीचे लाने का है। इस राह पर हम आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्ष 2026-27 में हमारा प्रयास प्रति वर्ष राजकोषीय घाटे को इस प्रकार रखना है कि केंद्र सरकार के ऋण व जीडीपी का अनुपात लगातार कम होता जाए।

वर्ष 2024-25 के लिए उधारियों को छोड़ कर सरकार की कुल प्राप्तियां 32.07 लाख करोड़ रुपये की और कुल व्यय 48.21 लाख करोड़ रुपये का रहा है। जबकि इस साल सरकारी प्रतिभूतियों को जारी करके 14.01 लाख करोड़ रुपये और बाजार से उधारी के जरिए 11.63 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना है।

यह दोनों राशि पिछले साल से कम रहेंगी। सब्सिडी के बिल में 7.8 फीसद की कमी भी बताती है कि सरकार राजकोषीय संतुलन को लेकर पूरी तरह से सतर्क है। खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम सेक्टर को इस साल कुल 3,81,175 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। पिछले वित्त वर्ष 4.13 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि बतौर सब्सिडी दी गई थी। खाद्य सब्सिडी 2,12,332 करोड़ रुपये से घट कर इस साल 2,05,250 करोड़ रुपये, उर्वरक सब्सिडी 1,88,894 करोड़ रुपये से घट कर 1,64,000 करोड़ रुपये और एलपीजी सब्सिडी 12,240 करोड़ रुपये से घट कर 11,925 करोड़ रुपये रहने का प्रस्ताव किया गया है।