Aam Budget 2024: कौशल विकास योजना को नया 'रंग-रूप' देने की तैयारी, मंत्रालय का बजट 4520 करोड़
प्रधानमंत्री पैकेज के रूप में योजना को शामिल करते हुए पांच वर्ष में एक हजार आइटीआई को अपग्रेड करने का निर्णय किया गया है। इन्हें स्किल हब के रूप में विकसित करते हुए कौशल की गुणवत्ता बढ़ाने उद्योग की आवश्कता अनुसार नए पाठ्यक्रम शामिल करने वर्तमान पाठ्यक्रमों के पुनर्निधारण और हब आइटीआई में अल्पकालिक पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए पांच वर्ष में 60 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। युवाओं के रोजगार और स्वरोजगार के लिए इस बार अधिक चिंतित दिखी सरकार ने न सिर्फ चहुंओर संभावनाओं को टटोला है, बल्कि वास्तविकता का 'आईना' देखते हुए प्रयासों को नया रंग-रूप देते नजर आई है। यहां साफ देखा जा सकता है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के चौथे चरण को लागू करने की जल्दबाजी दिखाने की बजाए तीन चरणों से सबक लेते हुए जमीन मजबूत करने की ओर कदम बढ़ाया है।
इस बार औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआई) के कायाकल्प के प्रति गंभीरता बरतते हुए पांच वर्ष में एक हजार आइटीआई के उन्नयन का निर्णय किया गया है। महत्वपूर्ण यह कि इसमें राज्यों को भी साझेदार बनाया गया है। मोदी सरकार ने कौशल विकास की भविष्य की जरूरत मानते हुए पहले कार्यकाल में ही कौशल विकास एवं उद्यमीशलता मंत्रालय की स्थापना की। उसमें सबसे प्रमुखता से प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना शुरू की, जिसमें कई कौशल कार्यक्रम शामिल किए गए।
इस योजना के तीन चरण पूरे होने के बाद भी आशातीत सफलता नहीं मिली। विशेषज्ञों ने नए सुधारों की आवश्यकता जताई, जिसे देखते हुए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के चौथे चरण की रूपरेखा तय कर ली गई, लेकिन चिंता का सबब यह तथ्य रहा कि विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों की संख्या जोड़ ली जाए, तब भी देशभर में औपचारिक तकनीकी या व्यावसायिक प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं का आंकड़ा मात्र 4.4 प्रतिशत ही है, जबकि अनौपचारिक रूप से 16.6 प्रतिशत युवाओं ने लिया।
सरकार के पास यह रिपोर्ट भी आई कि औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का ढांचागत या अकादमिक स्तर वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुकूल नहीं है। वह भी तब, जबकि बीते दो कार्यकाल में कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय चरणवार ढंग से 1396 आइटीआई के उन्नयन पर करोड़ों रुपये खर्च कर चुका है। उद्योगों की भागीदारी भी आशा अनुरूप नहीं रही। बहरहाल, अब सरकार ने फिलहाल प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के मद में कोई आवंटन न करते हुए सबसे अधिक ध्यान औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के उन्नयन पर लगाया है।
प्रधानमंत्री पैकेज के रूप में योजना को शामिल करते हुए पांच वर्ष में एक हजार आइटीआई को अपग्रेड करने का निर्णय किया गया है। इन्हें स्किल हब के रूप में विकसित करते हुए कौशल की गुणवत्ता बढ़ाने, उद्योग की आवश्कता अनुसार नए पाठ्यक्रम शामिल करने, वर्तमान पाठ्यक्रमों के पुनर्निधारण और हब आइटीआई में अल्पकालिक पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए पांच वर्ष में 60 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
इसमें केंद्र सरकार 30,000 करोड़, राज्य सरकारें 20,000 करोड़, जबकि उद्योग समूह सीएसआर फंड को सम्मिलित करते हुए 10,000 करोड़ रुपये खर्च अंशदान देंगे। इसके साथ ही पांच राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों को ट्रेनर्स ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के रूप में भी विकसित किया जाएगा।सरकार ने इन प्रयासों के माध्यम से पांच वर्ष में 20 लाख युवाओं के कौशल विकास का है। उल्लेखनीय है कि इस बार सरकार ने कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय का बजट 4520 करोड़ रुपये रखा है, जबकि 2023-24 का बजट 3260.18 करोड़ रुपये था। तब की तुलना में जो लगभग 1259 करोड़ की वृद्धि हुई है, उसमें से एक हजार करोड़ तो इस वर्ष आइटीआई के उन्नयन वाले मद में ही खर्च किया जाना है।