रोजगार के बढ़ेंगे अवसर, एसीसी बैटरी मैन्युफैक्चरिंग में 90 अरब डॉलर के निवेश की उम्मीद
आइएएसए की मांग पर सरकार ने एसीसी मैन्युफैक्चरिंग संयंत्रों की स्थापना और शुरू कराने में मदद के लिए विदेशी विशेषज्ञों को छह माह का वीजा देने की मंजूरी दे दी है। इस वीजा पर विदेशी विशेषज्ञ कई बार यात्रा कर सकेंगे और इसकी अवधि नहीं बढ़ाई जाएगी। इसके अतिरिक्त इससे एसीसी आयात में खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
आइएएनएस, नई दिल्ली। एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी और इससे संबंधित उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में भारत अगले पांच वर्षों में 90 अरब डॉलर (करीब 7.5 लाख करोड़ रुपये) का निवेश आकर्षित कर सकता है। उद्योग से जुड़े एक डाटा में यह बात कही गई है। इंडिया एनर्जी स्टोरेज अलायंस (आइईएसए) के अनुसार, एसीसी मैन्युफैक्चरिंग उद्योग में इस दौरान 50 हजार प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित करने की संभावना है।
आइएएसए की मांग पर सरकार ने एसीसी मैन्युफैक्चरिंग संयंत्रों की स्थापना और शुरू कराने में मदद के लिए विदेशी विशेषज्ञों को छह माह का वीजा देने की मंजूरी दे दी है। इस वीजा पर विदेशी विशेषज्ञ कई बार यात्रा कर सकेंगे और इसकी अवधि नहीं बढ़ाई जाएगी। आइईएसए के प्रेसिडेंट देबी प्रसाद दाश ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इससे भारत में अगले पांच वर्षों में 100 गीगावाट घंटा से ज्यादा क्षमता के एसीसी बैटरी और बैटरी उपकरण संयंत्र स्थापित करने के अवसर सृजित होंगे।
इसके अतिरिक्त इससे एसीसी आयात में खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की बचत होगी और चीन व अन्य देशों पर भारत की निर्भरता कम होगी। उन्होंने कहा कि वैश्विक इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनने के लिए भारत को ईवी और इसके उपकरणों के लिए एक व्यापक व स्वदेशी वैल्यू चेन विकसित करनी चाहिए। अभी भारत में एसीसी बैटरी की मैन्युफैक्चरिंग प्रारंभिक चरण में है।