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Explainer : Sebi चीफ तक पहुंची आंच, हिंडनबर्ग और अदाणी मामले में अब तक क्या-क्या हुआ?

Adani vs Hindenburg Research हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी 2023 में अदाणी ग्रुप के खिलाफ एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। इसमें अदाणी ग्रुप पर शेयरों की कीमतों में हेरफेर करने समेत कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। इससे अदाणी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। अब हिंडनबर्ग ने इस मामले में सेबी चीफ को भी लपेट लिया है। आइए जानते हैं कि इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 12 Aug 2024 01:43 PM (IST)
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हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों पर सेबी चीफ ने सफाई भी दी है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च और भारत के दिग्गज कारोबारी घराने अदाणी ग्रुप (Adani Group) के बीच अदावत पिछले करीब डेढ़ साल से चल रही है। इस जंग ने रविवार को नया मोड़ लिया, जब हिंडनबर्ग ने हितों के टकराव (Conflict of Interest) के मुद्दे पर कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी की चीफ माधवी पुरी बुच को भी लपेटे में ले लिया।

कब शुरू हुआ हिंडनबर्ग-अदाणी विवाद?

हिंडनबर्ग रिसर्च ने पिछले साल जनवरी में एक रिपोर्ट जारी की। इसमें अदाणी ग्रुप के खिलाफ गलत तरीके से शेयरों के दाम बढ़ाने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। इस रिपोर्ट के बाद अदाणी ग्रुप के शेयरों में 150 अरब डॉलर की बिकवाली हुई। कंपनी ने कई बार दोहराया कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया, फिर भी 18 महीनों में उसके स्टॉक पूरी तरह से रिकवर नहीं कर पाए।

कौन हैं गौतम अदाणी और हिंडनबर्ग रिसर्च?

गुजरात के रहने वाले गौतम अदाणी अरबपति कारोबारी हैं। स्कूल ड्रॉप-आउट अदाणी का बिजनेस पोर्ट्स, पावर जेनरेशन, एयरपोर्ट्स, माइनिंग, रिन्यूएबल एनर्जी, सीमेंट और मीडिया तक फैला है। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने से पहले वह एशिया के सबसे रईस शख्स थे। लेकिन, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से उनकी नेटवर्थ में भारी गिरावट आई।

वहीं, हिंडनबर्ग रिसर्च की बात करें, तो इसकी नींव 2017 में नाथन एंडरसन ने रखी थी। यह एक फोरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च कंपनी है, जिसका इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स एनालिसिस करना है। हिंडनबर्ग रिसर्च दावा करती है कि वह कॉरपोरेट वर्ल्ड में गलत तरीके कामकाज करने वाली कंपनियों का पर्दाफाश करती है और उन कंपनियों के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन बनाकर कमाई करती है।

अदाणी ग्रुप पर क्या था हिंडनबर्ग का आरोप?

पिछले साल हिंडनबर्ग ने खुलासा किया कि उसने यू.एस.-ट्रेडेड बॉन्ड और नॉन-इंडया-ट्रेडेड डेरिवेटिव के माध्यम से अदाणी ग्रुप की कंपनियों में शॉर्ट पोजीशन रखी थी। हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट भी जारी की और इसमें अदाणी ग्रुप पर टैक्स हैवेन देशों का अनुचित तरीके से इस्तेमाल किया और अपने शेयरों की कीमत बढ़वाई। उसने कंपनी के अधिक कर्ज लेने पर भी चिंता जताई। अदाणी ग्रुप ने सभी आरोपों को निराधार बताया।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद क्या हुआ?

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद निवेशकों ने घबराहट में अदाणी ग्रुप की कंपनियों में बिकवाली शुरू कर दी। इससे ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों की ओवरऑल मार्केट वैल्यू में 150 अरब डॉलर की गिरावट आई। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अदाणी ग्रुप के शेयर अभी भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले के स्तरों से लगभग 35 अरब डॉलर नीचे हैं, लेकिन उन्होंने स्मार्ट रिकवरी की है। सेबी ने भी इस मामले में हिंडनबर्ग रिसर्च को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

हिंडनबर्ग रिसर्च के लेटेस्ट आरोप क्या हैं?

हिंडनबर्ग ने शनिवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में आरोप लगाया कि सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने उस ऑफशोर फंड में निवेश किया था, जिसका इस्तेमाल अदाणी ग्रुप कथित तौर पर शेयर मार्केट में हेरफेर के लिए कर रहा था। व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि बुच दंपती ने 2015 में एक में निवेश किया और 2018 में बाहर निकल गए।

हिंडनबर्ग दरअसल बुच दंपती के निवेश और अदाणी ग्रुप के ऑफशोर फंड के कथित तौर पर सुस्त जांच से जोड़ने की कोशिश कर रहा है। अमेरिकी शॉर्ट सेलर ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'हमें बिल्कुल हैरानी नहीं कि सेबी उन सुरागों के आधार पर जांच को आगे नहीं बढ़ाना चाहती थी, जो उसे अपने अध्यक्ष तक ले जा सकते थे।' अदाणी समूह की 10 सूचीबद्ध फर्मों ने शुक्रवार के बंद के मुकाबले सोमवार को बाजार पूंजीकरण में संयुक्त रूप से 11 अरब डॉलर का शुरुआती नुकसान उठाया।

सेबी और बुच ने कैसे प्रतिक्रिया दी?

सेबी चीफ माधवी पुरी बुच ने बयान जारी करके कहा कि हिंडनबर्ग के आरोपों पर दी। उन्होंने कहा कि सेबी के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने से पहले उन्हें व्यक्तिगत क्षमता में निवेश किया गया था और सभी आवश्यक खुलासे किए गए थे। जिस फंड में बुच ने निवेश किया था, आईपीई-प्लस फंड 1 ने एक अलग बयान जारी कर कहा कि उसने अदाणी समूह के किसी भी शेयर में निवेश नहीं किया है।

वहीं, मार्केट रेगुलेटर सेबी के प्रवक्ता ने एक आधिकारिक बयान में के एक औपचारिक बयान में बुच की बातों को दोहराया और निवेशकों से शांत रहने की अपील की। प्रवक्ता ने हिंडनबर्ग जैसी रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करने भी सलाह दी।

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