इस भारतीय ने बनाया ऐसा जुगाड़, उड़ गई अमेरिकी चैनलों की नींद
मोबाइल फोन, टैबलेट और इंटरनेट पर टीवी देखना आज अजीब और अनोखा नहीं लगता। इसे शुरू करनेवाला शख्स जुगाड़ शब्द का मतलब अच्छे से समझता है। भोपाल का एक युवक नब्बे के दशक में अमेरिका अपनी किस्मत आजमाने गया और उसने अमेरिका के बड़े चैनलों की नींद उड़ा रखी। एक समाचार वेबसाइट में प्रकाशित खबर के मु
By Edited By: Updated: Fri, 28 Mar 2014 11:29 AM (IST)
नई दिल्ली। मोबाइल फोन, टैबलेट और इंटरनेट पर टीवी देखना आज अजीब और अनोखा नहीं लगता। इसे शुरू करनेवाला शख्स जुगाड़ शब्द का मतलब अच्छे से समझता है। भोपाल का एक युवक नब्बे के दशक में अमेरिका अपनी किस्मत आजमाने गया और उसने अमेरिका के बड़े चैनलों की नींद उड़ा दी।
एक समाचार वेबसाइट में प्रकाशित खबर के मुताबिक, चेत कनोजिया आज मैनहैटन के अपने छोटे से दफ्तर से एक ऐसी टेक्नॉलॉजी के जरिए अमेरिकी टेलीविजन उद्योग के दिग्गजों की नींद हराम कर रहे हैं जो काफी हद तक जुगाड़ की परिभाषा में फिट बैठती है। उन्होंने क्लाउड पर आधारित एक ऐसा मिनी एंटीना बनाया जो टेलीविजन सिग्नल्स को इंटरनेट के जरिए दर्शकों तक पहुंचाता है। दर्शक इसे फोन, टैबलेट, लैपटॉप और टीवी आदि पर देख या रिकॉर्ड कर सकते हैं। इतनी बड़ी जिम्मेदारी का सपना भी नहीं आया था: नडेला कनोजिया का कहना है कि हमारी कंपनी एरियो के इंजीनियर्स ने टेलीविजन की दुनिया को बदल दिया। जहां उन्नत तकनीक और इंटरनेट के जरिये डिजिटल दुनिया पर अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं। इसे क्लाउड आधारित डीवीआर कहा जाता है। हर उपभोक्ता के नाम पर एक छोटा सा एंटीना उस शहर में एक बड़े से सेंट्रल बोर्ड में प्लग कर दिया जाता है। उपभोक्ता को न तो तार की जरूरत होती है न केबल बॉक्स की, सिर्फ एक यूजर आईडी और पासवर्ड के जरिए वो जिस उपकरण पर चाहे ये चैनल देख सकता है।
पढ़ें : 10 हजार रुपये से 1 अरब डॉलर तक का हैरान करने वाला सफर टीवी नेटवर्क्स उनकी कंपनी एरियो को अदालत में ले गए हैं और उनका आरोप है कि ये कंपनी उनके कार्यक्रम चुरा रही है। उनकी ये टेक्नॉलॉजी टीवी कंपनियों के लिए बड़ा खतरा साबित हो रही है क्योंकि इसका सीधा असर उनकी जेब पर हो रहा है। एक अंग्रेजी पत्रिका के अनुसार पिछले साल अमेरिका की चार बड़ी टेलीविजन कंपनियों की कमाई सिर्फ केबल ऑपरेटरों के जरिए 1.3 अरब डॉलर की थी।
पढ़ें : पढि़ये वॉट्स एप्प के सफर की ये हैरान कर देने वाली कहानी. कनोजिया कहते हैं कि उनका ये आविष्कार दर्शकों की बदलती आदत से प्रेरित है। लोग अब टैबलेट और लैपटॉप पर टीवी देख रहे हैं। केबल के ज़रिए आज के दिन अमरीकी दर्शकों को 400 चैनल्स का पैकेज लेना पड़ता है लेकिन देखते वो सिफऱ् आठ या दस हैं। आधे से ज्यादा दर्शक उन्हीं चैनलों को देखते हैं जो मुफ्त उपलब्ध हैं और जिन्हें अमेरिकी कानून के तहत एंटीना के जरिए देखा जा सकता है लेकिन आमतौर पर एंटीना के जरिए तस्वीरों की क्वालिटी अच्छी नहीं मिलती। एरियो अपने मिनी एंटीना को क्लाउड पर आधारित कर उच्च-क्वालिटी की तस्वीर दर्शकों तक पहुंचा रही है। कॉपीराइट कानून के जानकारों का कहना है कि टीवी नेटवर्क्स की नाराजगी इस वजह से है कि एरियो उनके सिग्नल को पकड़ती है और उनका प्रसारण करती है लेकिन उसके बदले कोई पैसा नहीं देती।