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आखिर क्यों सस्ते घर नहीं खरीद रहे लोग, एक्सपर्ट बोले- इस वजह से हुआ खरीदारों का मोहभंग

जनवरी-मार्च 2024 की तिमाही के किफायती घरों (45 लाख रुपये से कम कीमत) की हिस्सेदारी सिर्फ 22 प्रतिशत रह गई है। पिछले साल इसी अवधि में कुल घरों की बिक्री में अफोर्डेबल घरों की हिस्सेदारी करीब 48 प्रतिशत थी। बिल्डर महंगी जमीन में छोटे घर बनाने की बजाय लग्जरी सेगमेंट पर फोकस कर रहे हैं ताकि उन्हें पर्याप्त फायदा हो।

By Subhash Gariya Edited By: Subhash Gariya Updated: Tue, 16 Apr 2024 06:09 PM (IST)
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शहरों में घट रही किफायती घरों की बिक्री
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले दिनों देश की प्रतिष्ठित रियल एस्टेट डेवलपर गोदरेज प्रॉपर्टीज ने गुरुग्राम में तीन दिन के भीतर 1050 लग्जरी घर बेचकर रिकॉर्ड बनाया। इनकी कुल कीमत 3 हजार करोड़ रुपये से अधिक है। वहीं, हाउसिंग ब्रोकरेज फर्म प्रॉपटाइगर ने अपनी हालिया रिपोर्ट में दावा किया है कि देश के प्रमुख 8 शहरों में किफायती घरों की मांग में कमी आ रही है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि एनसीआर में लग्जरी घरों की मांग में तेजी से बढ़ रही है और किफायती घरों में लोगों की दिलचस्पी कम हो रही है।

किफायती घरों की मांग में कमी

रिपोर्ट में दावा किया गया है जनवरी-मार्च 2024 की तिमाही के किफायती घरों (45 लाख रुपये से कम कीमत) की हिस्सेदारी सिर्फ 22 प्रतिशत रह गई है। पिछले साल समान अवधि (जनवरी-मार्च 2023 तिमाही) में किफायती घरों की हिस्सेदारी करीब 48 फीसदी थी।

रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते तिमाही के दौरान देश के 8 प्रमुख शहरों में कुल कुल 1 लाख 20 हजार 640 घरों की बिक्री हुई। इस दौरान 25 लाख रुपये से कम कीमत वाले घरों की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत थी।

पिछले साल इस कीमत में बिकने वाले घरों की हिस्सेदारी 15 फीसदी थी। वहीं, 25 से 45 लाख रुपये की कीमत वाले घरों की बिक्री पिछले साल 23 प्रतिशत थी, जो बीती तिमाही में घटकर 17 प्रतिशत हो गई है।

क्यों घट रही किफायती घरों की मांग

बढ़ती महंगाई: देश के बड़े शहरों में जमीन और मैटेरियल की बढ़ती कीमतों के चलते अफोर्डेबल हाउसिंग की बिक्री में कमी आ रही है। बिल्डर महंगी जमीन में छोटे घर बनाने की बजाय लग्जरी सेगमेंट पर फोकस कर रहे हैं, ताकि उन्हें पर्याप्त फायदा हो। इसके साथ ही शहरों में किफायती घरों की उपलब्धता में भी कमी देखने को मिल रही है।

जमीन की ऊंची लागत की वजह से आज किफायती आवासीय परियोजनाएं बिल्डरों के लिए आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं रह गई है। कोविड के बाद होम बॉयर्स का माइंड सेट भी बदला है और वे बेहतर सुविधाएं और अपनी पसंद की जगह पर घर खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं। ऐसे में सस्ते और छोटे मकान खरीदने को लेकर बॉयर्स का रुझान कम हो रहा है।

यश मिगलानी, एमडी मिगसन ग्रुप

रहेजा डेवलपर्स के नयन रहेजा का मानना है कि टियर 1 शहरों में अफोर्डेबल कैटेगरी के तहत हाउसिंग डेवलपमेंट में गिरावट आ रही है। इसके लिए एक बड़ा कारण जमीन की बढ़ती कीमतें हैं, जिसके परिणामस्वरूप डेवलपर्स प्रीमियम और लक्जरी सेगमेंट की ओर रुख कर रहे हैं। वे आगे कहते है कि घर खरीदारों के लिए 30-50 लाख रुपये का सेगमेंट बहुत बड़ा है। ऐसे में सरकार को आवश्यक मदद के लिए आगे आना चाहिए।

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बड़े घर की चाहत: इकोनॉमी की बढ़ती रफ्तार के साथ लोगों की आमदनी में भी इजाफा हुआ है। इसके चलते लोग बड़े घर की ओर रुख कर रहे हैं। इसके साथ ही कोरोना के बाद से लोगों में बड़े घरों की डिमांड बढ़ रही है।

देश का हाउसिंग सेक्टर वर्ष 2023 से ही अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। कोरोना के बाद से लोग बड़े घरों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे है। अब लोग छोटे घरों की अपेक्षा बड़े घरों में रहना ज्यादा पसंद कर रहे है, यही वजह है की महंगे और बड़े घरों की डिमांड लगातार बढ़ रही है। लोगों को 1 और 2 बीएचके फ्लैट छोटे पड़ रहे हैं। उन्हें अब ज्यादा जगह की जरूरत महसूस हो रही है, इसलिए लोग अब बड़े घरों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं।

रजत गोयल, मैनेजिंग डायरेक्टर एमआरजी ग्रुप

अनिश्चिता का माहौल: बीते कुछ महीनों में नौकरियों के पैटर्न में काफी बदलाव आया है। AI जैसी टेक्नोलॉजी के चलते देश में नौकरियों (खासकर प्राइवेट सेक्टर) को लेकर डरे हुए हैं। कई बड़ी कंपनियां छंटनी भी कर चुके हैं। यही अनिश्चिता घर खरीदारों को प्रभावित कर रही है।

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