पांच साल में नए हाउसिंग प्रोजेक्ट में आधी रह गई अफोर्डेबल घरों की हिस्सेदारी, जानिए क्या है वजह
बीते तीन वर्षों के दौरान जो घर बिके हैं उनमें 40 लाख रुपये से कम कीमत वाले अफोर्डेबल घरों का हिस्सा कम हुआ है। 2019 में देश के 7 बड़े शहरों में 261400 घरों की बिक्री हुई थी और उनमें 38% घर अफोर्डेबल श्रेणी के थे।
By Jagran NewsEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Thu, 16 Mar 2023 08:02 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण न्यूज। हाउसिंग डेवलपर की तरफ से लॉन्च किए जाने वाले अफोर्डेबल हाउसिंग, अर्थात सस्ते घरों के प्रोजेक्ट में पांच साल से लगातार गिरावट आ रही है। 2018 और 2019 में लांच हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट में अफोर्डेबल का हिस्सा 40% था, लेकिन 2022 में यह घटकर सिर्फ 20% रह गया है। यह कहना है प्रॉपर्टी कंसल्टेंट फर्म एनारॉक का।
एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी के अनुसार, अफोर्डेबल हाउसिंग की डिमांड के साथ सप्लाई में भी कमी आई है। उन्होंने इसके कई कारण बताए हैं। पहला कारण है जमीन। शहरों में जिन जगहों पर लोग घर खरीदना चाहते हैं वहां जमीन इतनी महंगी मिलती है कि डेवलपर वहां मिड-रेंज अथवा और प्रीमियम घर ही बना सकते हैं। शहरों से बाहर जमीन तो सस्ती है, लेकिन वहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट, अच्छी सड़कें और बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते बहुत कम लोग वहां घर खरीदने को तैयार होते हैं। सीमेंट, स्टील, लेबर आदि महंगा होने के कारण डेवलपर्स के लिए सस्ते घर लांच करना कठिन हो गया है।
डेवलपर को फंड की कमी
पुरी के अनुसार दूसरा बड़ा कारण फाइनेंसिंग की कमी है। अफोर्डेबल हाउसिंग में ज्यादातर डेवलपर छोटे हैं, जबकि प्राइवेट इक्विटी निवेशक बड़े डेवलपर्स को फंड देना पसंद करते हैं। अफोर्डेबल हाउसिंग में उन्हें जोखिम ज्यादा लगता है। एक और कारण लोगों की आय है। पुरी का कहना है कि हमारी बड़ी आबादी ऐसी है, जिनकी आमदनी बहुत कम है। उनके लिए बहुत ही सामान्य श्रेणी के घर के लिए पैसे देना भी मुश्किल है।घट रही है अफोर्डेबल घरों की बिक्री
बीते तीन वर्षों के दौरान जो घर बिके हैं, उनमें 40 लाख रुपये से कम कीमत वाले अफोर्डेबल का हिस्सा कम हुआ है। 2019 में देश के 7 बड़े शहरों में 2,61,400 घरों की बिक्री हुई थी और उनमें 38% घर अफोर्डेबल श्रेणी के थे। लेकिन 2022 में 3,64,880 घरों की बिक्री हुई और उनमें से अफोर्डेबल श्रेणी के सिर्फ 26% घर थे। इस श्रेणी के लोग घर खरीदने का फैसला फिलहाल टाल रहे हैं। इन शहरों में दिल्ली-एनसीआर, मुंबई मेट्रोपोलिटन क्षेत्र, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु और पुणे शामिल हैं। एनारॉक रिसर्च के मुताबिक 2022 के अंत में इन शहरों में 6.3 लाख घर बिक्री के लिए उपलब्ध थे। इनमें 40 लाख से कम कीमत वाले 27% थे।
मिड-प्रीमियम सेगमेंट में मांग ज्यादा
मौजूदा डिमांड पर नजर डालें तो मिड और प्रीमियम सेगमेंट (40 लाख से 1.5 करोड़ रुपये) में घरों की मांग अधिक है। महामारी के बाद इन दोनों सेगमेंट में ही डिमांड ज्यादा है। यह डिमांड आईटी-आईटीईएस जैसे सर्विस सेक्टर और स्टार्टअप में काम करने वाले युवाओं के कारण है।