Wheat Production : अब पाकिस्तान में आटे के लिए नहीं होगी मारामारी! इस बार गेहूं की बंपर पैदावार का अनुमान
पिछले साल पाकिस्तान में आटे का भाव आसमान पर पहुंच गया था। लोग आटे के लिए लड़ते-झगड़ते दिख रहे थे। लेकिन इस साल ऐसी नौबत आने की उम्मीद नहीं है। कृषि वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस साल मौसम गेहूं की फसल के काफी अनुकूल है और भारत के साथ पाकिस्तान में भी बंपर पैदावार दिखेगी। आइए जानते हैं पूरी खबर।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों में इस साल गेहूं की बंपर पैदावार होगी। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, दोनों देशों में मौसम गेहूं की फसल के काफी अनुकूल है। इससे उन्हें गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन करने में मदद मिलेगी। हालांकि, कृषि वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि पड़ोसी देश के मुकाबले भारत ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने की बेहतर तैयारी की है, जिसका उसे फायदा मिलेगा।
पाकिस्तान से कैसे आगे हुआ भारत?
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, भारत ने गेहूं की कई स्वदेशी किस्में विकसित कर ली हैं। इन पर गर्मी का ज्यादा बुरा असर नहीं होता और ये दूसरी किस्मों के मुकाबले जल्दी पक भी जाती हैं। इससे भारत में गेहूं की पैदावार पर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों का ज्यादा नहीं होता। वहीं, पाकिस्तान अभी इस मामले में काफी पीछे है, जिसका असर उसके गेहूं उत्पादन पर भी नजर आता है।
भारत आत्मनिर्भर, पाकिस्तान आयात भरोसे
भारत फिलहाल चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे गेहूं उत्पादक देश है। हम अपनी जरूरत से अधिक गेहूं पैदा कर लेते हैं। भारत का गेहूं उत्पादन 11 करोड़ टन के पार पहुंच गया है। हम सालाना 20 से 70 लाख टन तक गेहूं निर्यात भी करते हैं। वहीं, पाकिस्तान उत्पादक देशों की लिस्ट में आठवें नंबर पर है और अभी भी सालाना 20-30 लाख टन गेहूं आयात करता है।पाकिस्तान में आटे के लिए मचा था बवाल
पिछले साल पाकिस्तान में आटे की भारी किल्लत हो गई थी। दुनिया का सबसे महंगा खरीद रहे थे वहां के लोग। एक किलो आटे के लिए 160 रुपये से अधिक खर्च करने पड़ रहे थे। पाकिस्तान में आटे की इतनी तंगी हो गई थी कि पैसे होने के बावजूद भी नहीं मिल रहा था। सोशल मीडिया पर कई वीडियो भी वायरल हुए थे, जिनमें लोग आटे के लिए लड़ाई और छीना-झपटी कर रहे थे।आयात पर क्यों निर्भर है पाकिस्तान?
पाकिस्तान अभी तक जलवायु के हिसाब से गेहूं की स्वदेशी किस्में विकसित नहीं कर पाया है। इससे उसके बीज जलवायु परिवर्तन और दूसरी परेशानियों को मजबूती से नहीं झेल पाते। इसका नतीजा उत्पादन में कमी के रूप में सामने आता है। पिछले साल पाकिस्तान में आटे के लिए लाइन लगने और छीना झपटी की वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं।