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एयर एशिया की उड़ानों में हो सकती है देरी

एयर एशिया इंडिया के एयर ऑपरेशन परमिट (एओपी) में विलंब हो सकता है। सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद अब तक एयर एशिया और टाटा समूह की साझेदारी वाली इस एयरलाइन को एओपी मिल जाना चाहिए था, मगर कोर्ट में केस के कारण डीजीसीए निर्णय लेने से बच रहा है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एयर एशिया इंडिया और

By Edited By: Updated: Wed, 16 Apr 2014 02:39 AM (IST)

नई दिल्ली, जाब्यू। एयर एशिया इंडिया के एयर ऑपरेशन परमिट (एओपी) में विलंब हो सकता है। सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद अब तक एयर एशिया और टाटा समूह की साझेदारी वाली इस एयरलाइन को एओपी मिल जाना चाहिए था, मगर कोर्ट में केस के कारण डीजीसीए निर्णय लेने से बच रहा है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एयर एशिया इंडिया और टाटा-सिया एयरलाइंस को विदेशी निवेश संव‌र्द्धन बोर्ड (एफआइपीबी) की मंजूरी दिए जाने को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दे रखी है। केस की सुनवाई अभी चल रही है। ऐसे में विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा है। मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होनी है।

इस बीच एयर एशिया इंडिया ने एओपी के लिए जरूरी अंतिम औपचारिकता भी पूरी कर ली है। इसके तहत उसने भारत में एयर रूटों की जानकारी (रूट फैमिलराइजेशन) के लिए अपने विमानों की खाली उड़ानें (फेरी फ्लाइट) दिखाते हुए विमानों के आकार-प्रकार, सुरक्षा पहलुओं और मानकों की डीजीसीए से जांच करा ली है। इसके बाद कायदे से एओपी जारी हो जाना चाहिए था, मगर कोर्ट केस के कारण ही मामला लटक गया है। एओपी के आवेदन के बाद प्रक्रियाओं में लगने वाले समय के आधार पर एयर एशिया इंडिया ने मार्च के अंत में एओपी जारी होने की संभावना जताई थी।

एयरलाइन को एओपी मिलने में देरी के पीछे दूसरी वजह चुनाव आचार संहिता लागू होना भी है। सुब्रमण्यम ने चुनाव आयोग से भी अपील की थी कि जब तक आचार संहिता लागू है, तब तक एओपी जारी करने की अनुमति न दी जाए। इस पर आयोग ने विमानन मंत्रालय से पूछा था कि क्या एओपी पर आचार संहिता लागू होगी। जवाब में मंत्रालय ने कहा था कि एयर एशिया और टाटा-सिया को एओपी जारी करने का आचार संहिता से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि न तो यह नई नीति है और न ही नई प्रक्रिया। दोनों मामलों में पहले से जारी नीति और प्रक्रियाओं के तहत एओपी जारी किए जाने हैं।

घरेलू एयरलाइनों पर विदेशी नियंत्रण नहीं :

विमानन नियामक डीजीसीए ने स्पष्ट किया है कि विदेशी एयरलाइनों और विदेशी निवेशकों को भारतीय एयरलाइंस के प्रबंधन का नियंत्रण हासिल करने का अधिकार नहीं है। डीजीसीए के इस रुख से हाल ही में हुए जेट-एतिहाद सौदे और नई एयरलाइनों टाटा-सिया व एयर एशिया इंडिया पर असर पड़ सकता है।

डीजीसीए ने एयरलाइनों को परिचालन लाइसेंस संबंधी नियमों में संशोधन का हवाला देते हुए यह स्पष्टीकरण दिया है। इसके मुताबिक शेड्यूल्ड एयरलाइनें विदेशी निवेशकों या विदेशी एयरलाइनों से ऐसा कोई समझौता नहीं कर सकतीं जिससे उन्हें घरेलू एयरलाइन के प्रबंधन पर नियंत्रण हासिल होता हो। साथ ही, विदेशी इकाइयां भारतीय एयरलाइनों के निदेशक बोर्ड में एक तिहाई से ज्यादा प्रतिनिधि नियुक्त नहीं कर सकती हैं।

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