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एयर इंडिया में एक और घोटाला, इस बार फैमिली फेयर स्कीम में घपला

एलटीसी स्कीम में गड़बड़ी के बाद एयर इंडिया की फैमिली फेयर स्कीम में भी हेराफेरी का मामला सामने आया है। आंतरिक विजिलेंस जांच में गड़बड़ी की पुष्टि के बाद सरकारी एयरलाइन ने सीबीआइ को मामले की जांच के लिए भेज दिया है। फैमिली फेयर स्कीम के तहत एयर इंडिया कर्मचारियों के परिवार वालों को हवाई

By Edited By: Updated: Sat, 22 Feb 2014 09:40 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एलटीसी स्कीम में गड़बड़ी के बाद एयर इंडिया की फैमिली फेयर स्कीम में भी हेराफेरी का मामला सामने आया है। आंतरिक विजिलेंस जांच में गड़बड़ी की पुष्टि के बाद सरकारी एयरलाइन ने सीबीआइ को मामले की जांच के लिए भेज दिया है।

फैमिली फेयर स्कीम के तहत एयर इंडिया कर्मचारियों के परिवार वालों को हवाई किराये में रियायत दी जाती है। साल में एक बार परिवार को भारत में किसी एक स्थान की यात्र पर रियायत मिलती है। एयर इंडिया के सतर्कता विभाग की प्रारंभिक जांच में एक ट्रैवल एजेंसी को इस घोटाले में शामिल पाया गया है।

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अकेले इस एजेंसी ने एयरलाइन को तकरीबन छह करोड़ रुपये का चूना लगाया है। कई और ट्रैवल एजेंसियों के इस गड़बड़झाले में शामिल होने की आशंका है। उधर, सीबीआइ ने कहा है कि एयर इंडिया ने आंतरिक जांच में 2007 के बाद का रिकॉर्ड खंगाला। इसमें पाया गया कि अकेले एक खास सेक्टर (रूट) में 5,916 टिकटों की धोखाधड़ी की गई है। इसके लिए ट्रैवल एजेंसी उड़ान कूपनों पर वास्तविक किराये के स्थान पर अधिक राशि दर्ज करती थी। और इस तरह प्राप्त अतिरिक्त राशि वह अपनी जेब में डालती थी।

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एफएसएस स्कीम के तहत जारी टिकटों पर 'परिवार के सभी सदस्यों के एक साथ यात्र करने' का ब्योरा दर्ज नहीं किया जाता था। नियमानुसार यह अनिवार्य है। इस स्कीम का दुरुपयोग रोकने के लिए ही इसे जरूरी किया गया है। सूत्रों के अनुसार, एयर इंडिया को अपने कर्मचारियों के भी इस घोटाले में शामिल होने की आशंका है।

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घोटालेबाजों ने एयरलाइन से ज्यादा पैसों का दावा करने के लिए यात्रियों और कर्मचारियों के रिडेंप्शन कूपनों पर अलग-अलग किराये लिख दिए। यही वजह है कि एयर इंडिया प्रबंधन ने पूरे देश में इस घोटाले का अंदेशा जताते हुए सीबीआइ से व्यापक जांच को कहा है। प्राथमिक जांच में घोटाले का केंद्र बिंदु चेन्नई-पोर्टब्लेयर और कोलकाता-पोर्टब्लेयर सेक्टर पाया गया है। इससे एयर इंडिया को छह करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। अन्य सेक्टरों में भी यदि घोटाले के सूत्र मिलते हैं तो यह राशि 15-20 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।