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फर्जी GST रजिस्ट्रेशन वाले बिजनेस पर एक और बड़ी कार्रवाई, अब GSTN करेगी ये काम; जानिए क्या है खास

देश में फर्जी पंजीकरण को रोकने के लिए जीएसटी एक के बाद एक बड़े कदम उठा रही है। इस बार जीएसटीएन ने फर्जी पंजीकरण को रोकने के लिए जीएसटी पंजीकृत व्यवसायों के 1.8 करोड़ पता को जियोकोड करने का फैसला किया है। जीएसटी के मुताबिक इससे पंजीकृत इकाई के सटीक स्थान का पता लगाने और फर्जी पंजीकरण का पता लगाने में मदद मिलेगी।

By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Sat, 08 Jul 2023 01:46 PM (IST)
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All GST registered businesses will now have to geocode their addresses: GSTN
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क (GSTN) ने फर्जी पंजीकरण को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। जीएसटी ने पंजीकृत व्यवसायों के 1.8 करोड़ पता (Address) को जियोकोड करने का फैसला किया है।

जियोकोडिंग से क्या होगा फायदा?

जीएसटी के मुताबिक जियोकोडिंग से पंजीकृत इकाई के सटीक स्थान का पता लगाने और फर्जी पंजीकरण की जांच करने में मदद मिलेगी।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) पहले ही कुछ राज्यों में जियोकोडिंग के लिए एक पायलट कार्यक्रम आयोजित कर चुका है। व्यवसायों के लिए एक अपडेट में, गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क (GSTN) ने कहा कि व्यावसायिक पते के मुख्य स्थान को जियोकोड करने की कार्यक्षमता अब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए लाइव है।

क्यों लाया गया जियोकोडिंग?

यह सुविधा, जो किसी स्थान के पते या विवरण को भौगोलिक निर्देशांक में परिवर्तित करती है, GSTN रिकॉर्ड में पते के विवरण की सटीकता सुनिश्चित करने और पता स्थान और सत्यापन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए पेश की गई है।

जीएसटीएन ने कहा कि व्यवसाय या तो इसे स्वीकार कर सकते हैं या अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इसे अपडेट कर सकते हैं। ऐसे मामलों में जहां सिस्टम-जनरेटेड जियोकोडेड पता अनुपलब्ध है, एक रिक्त स्थान प्रदर्शित किया जाएगा, और आप सीधे जियोकोडेड पते को अपडेट कर सकते हैं।

क्या है GSTN?

जीएसटीएन का मतलब गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क है, यह एक गैर-लाभकारी गैर-सरकारी कंपनी है। यह करदाताओं और अन्य हितधारकों सहित केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को साझा आईटी बुनियादी ढांचा और सेवा प्रदान करता है।

सभी करदाताओं को पंजीकरण फ्रंट एंड सेवाएं, रिटर्न और भुगतान जीएसटीएन द्वारा प्रदान किया जाएगा। सरल शब्दों में कहें तो यह सरकार और करदाताओं के बीच इंटरफेस के रूप में काम करता है। जीएसटीएन में निजी खिलाड़ियों की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है, और शेष का स्वामित्व सरकार के पास है।