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Crude Oil: रूस के क्रूड को लेकर फिर भारत पर दबाव बनाएगा अमेरिका, हरदीप सिंह पुरी के साथ उठेगा मुद्दा

गुरुवार को रूस की तरफ से अमेरिका और जी7 के अन्य देशों को साफ तौर पर यह धमकी दी गई कि अगर उसके क्रूड की एक निश्चित कीमत तय करने की कोशिश की गई तो उसके गंभीर परिणाम होंगे।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Thu, 06 Oct 2022 09:29 PM (IST)
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रूस ने जी7 देशों को दी घमकी। (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गुरुवार को रूस की तरफ से अमेरिका और जी7 के अन्य देशों को साफ तौर पर यह धमकी दी गई कि अगर उसके क्रूड की एक निश्चित कीमत तय करने की कोशिश की गई तो उसके गंभीर परिणाम होंगे। रूस की इस धमकी के कुछ ही घंटे बाद भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी अमेरिका पहुंचने वाले हैं। ऐसे में यह समझा जा सकता है कि वहां बाइडेन प्रशासन के अधिकारियों और ऊर्जा मंत्री जेनिफर ग्रानहोम के साथ होने वाली मुलाकात में कौन सा मुद्दा सबसे मुखर रहेगा।

जी7 देशों के प्रस्ताव मानने का बनाया जा सकता है दबाव

पुरी के साथ अमेरिका जाने वाले अधिकारी मानसिक तौर पर इस बात के लिए तैयार हैं कि उन पर जी7 देशों के प्रस्ताव मानने का दबाव बनाया जाएगा। हालांकि भारत ऊर्जा सुरक्षा के हिसाब से क्रूड खरीदने को लेकर अडिग है। सितंबर, 2022 में दुनिया के सबसे अमीर सात देशों के संगठन जी7 ने यह एलान किया था कि रूस से निकलने वाले क्रूड की कीमत मौजूदा स्तर से काफी कम की जाएगी और अन्य सभी देशों को इसी कीमत पर उससे क्रूड खरीदना होगा।

बीमा कंपनियां नहीं देंगी सुरक्षा

क्रूड की कीमत क्या होगी, इसका अंतिम फैसला ये देश दूसरे साझेदार देशों के साथ मिलकर करेंगे। अगर कोई देश इस सीमा से बाहर जाकर ज्यादा कीमत पर क्रूड खरीदता है तो अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय देशों की बीमा कंपनियां उसे किसी तरह की सुरक्षा नहीं देंगी। माना जाता है कि इन देशों का यह कदम रूस के 95 प्रतिशत खरीद को प्रभावित कर सकता है। अमेरिका चाहता है कि भारत भी इस कदम में उनकी मदद करे।

भारत से ज्यादा सिर्फ चीन ही रूस से खरीदता है तेल

जुलाई और अगस्त के महीने में रूस से तेल खरीदने में कमी करने के बाद सितंबर, 2022 में भारतीय तेल कंपनियां एक बार फिर रूस से बड़े पैमाने पर तेल की खरीद कर रही हैं। फरवरी, 2022 में भारत कुल आयात का सिर्फ एक प्रतिशत रूस से क्रूड खरीदता था लेकिन सितंबर महीने में यह हिस्सेदारी बढ़कर 18.5 प्रतिशत की हो गई है। भारत से ज्यादा सिर्फ चीन ही रूस से तेल खरीद रहा है।

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